जो बात दुनिया के बाकी देश कर रहे थे. जो बात भारत कई दशकों से विश्व के सभी मंचों से कह रहा था. आखिर, उस बात को मानने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी तैयार हो गए. बाइडेन ने खुल्लम-खुल्ला भरी सभा में मंच से बोल दिया कि पाकिस्तान दुनिया का सबसे ख़तरनाक देश है. उन्होंने पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर चिंता जताते हुए कहा कि उसके पास परमाणु हथियार बिना किसी सामंजस्य के हैं.
दरअसल, जो बाइडेन अमेरिकी मध्यावधि चुनाव के लिए एक फंड जुटाने के कार्यक्रम के दौरान पाकिस्तान को जमकर लताड़ते नज़र आए. उन्होंने कहा, “पाकिस्तान के पास बिना किसी सामंजस्य के परमाणु हथियार हैं जो दूसरे देशों के लिए बहुत बड़ा खतरा साबित हो सकता है.”
जो बाइडेन के इस बयान को कूटनीति के जानकार एक बड़े बदलाव के तौर पर देख रहे हैें. हालांकि, कुछ का मानना है कि यह हाल के दिनों में भारत की टॉप क्लास विदेश नीति का नतीजा है. जिसमें भारत ने अमेरिका को भी अपना सख्त लहजा दिखाने से परहेज नहीं किया है. हाल ही में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वैश्विक मंच से अमेरिका के पाकिस्तान को F-16 विमान दिए जाने पर आपत्ति जाहिर की थी.
एस जयशंकर ने कहा था, “इस्लामाबाद और वाशिंगटन के बीच रिश्ते से न तो पाकिस्तानियों का भला है और न ही अमेरिका की जनता का. अमेरिका को पाकिस्तान से अपने संबंधों पर सोचना चाहिए कि उसे इससे क्या हासिल हुआ”
बाइडन ने इसके बाद नाटो के सदस्य देश हंगरी और इटली पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “आप दुनियाभर में जारी चर्चाओं को देखें, खासकर लोकतंत्र के क्या मायने हैं, इस मुद्दे पर। लेकिन जब आप हंगरी को देखते हैं, जो कि एक नाटो का सदस्य है। मैं आपको उसके लोकतंत्र के बारे में बताकर बोर कर सकता हूं।”
जयशंकर ने आगे कहा था, “मैं ये बात इसीलिए कह रहा हूं क्योंकि ये आतंकवाद विरोधी सामान है. जब आप एफ-16 की क्षमता जैसे विमान की बात कर रहे हैं… हर कोई जानता है, ये आप भी जानते हैं कि विमानों को कहां तैनात किया गया है और उनका क्या उपयोग किया जा रहा है. आप ये बातें कहकर किसी को बेवकूफ नहीं बना सकते.’
गौरतलब है कि भारत वैश्विक स्तर पर शक्तियों के बीच एक अपनी अलग हैसियत रखता है. अब कूटनीतिक लिहाज से भारत हर वो मुमकिन कदम उठा रहा है, जिससे भारत का हित साधा जा सके. यही वजह है कि क्वाड का सदस्य होने के साथ-साथ भारत दूसरे गुटों के साथ भी अपने हित बरकरार रखे हुए है. जिनमें से रूस एक बड़ी वजह है.
वहीं, अमेरिका बदले हालात को देखते हुए अपनी मौजूदा स्थिति को बदलने पर विशेष जोर देता दिखाई दे रहा है. क्योंकि, बीते दिनों सऊदी अरब ने भी तेल के व्यापार में उसके इशारों पर नाचने से लगभग इनकार कर दिया है.
हालांकि, जानकार ये भी मानते हैं कि बाइडेन का यह बयान एक फंडरेजर कार्यक्रम में दिया गया है. लिहाजा, इसके और भी मायने हो सकते हैं. क्योंकि, दुनिया भर में आर्थिक तौर पर भारतीय मूल के नागरिकों की साख काफी मजबूत है. अमेरिका के ही कई टॉप कंपनियों के सीईओ भारतीय नागरिक या भारतीय मूल के नागरिक हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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