अडानी कोनेक्स अगले 7 सालों में हाइपर स्केल डेटा सेंटर में 13,200 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। अभी ये चेन्नई के SIPCOT IT पार्क में, एडवांस्ड 33 मेगावाट क्षमता का डेटा सेंटर ऑपरेट करता है। कंपनी की योजना है कि इसे बढ़ाकर 200 मेगावाट किया जाए।
गौरतलब है कि अडानी ग्रुप की उपस्थिति तमिलनाडु में तेजी से कई क्षेत्रों में बढ़ रही है, जिनमें पोर्ट और लॉजिस्टिक्स, खाद्य तेल, पावर ट्रांसमिशन, सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन, डेटा सेंटर, ग्रीन एनर्जी और सीमेंट मैन्युफैक्चरिंग शामिल है। अडानी ग्रुप तमिलनाडु में 42,700 करोड़ रुपये का बड़ा निवेश करेगा, इसके लिए चेन्नई ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट 2024 में एक एमओयू पर हस्ताक्षर हुए हैं।
इस मौके पर अडानी ग्रुप के करण अडानी ने कहा “आज का तमिलनाडु स्थिरता, एक अच्छी तरह से स्थापित इंडस्ट्रियल इकोसिस्टम, एडवांस्ड इंफ्रास्ट्रक्चर, टोटल कनेक्टिविटी, सुरक्षित पड़ोस, अधिकारियों की एक सक्षम और कुशल टीम के साथ बिजनेस फ्रेंडली पॉलिसीज और स्किल्ड वर्कफोर्स एक असाधारण उदाहरण है.”
तमिलनाडु में चेन्नई 1 फैसिलिटी, वर्ल्ड क्लास एक्सीलेंस के लिए मान्यता प्राप्त है और साथ ही क्षेत्र में सबसे एडवांस डेटा सेटर है। यह फैसिलिटी स्थिरता को ध्यान रखते हुए बनाई गई है और ये 100% तक रिन्यूएबल एनर्जी से संचालित है। चेन्नई 1 तमिलनाडु का पहला डेटा सेंटर है जिसे आईजीबीसी प्लैटिनम रेटेड प्री-सर्टिफिकेशन से सम्मानित किया गया है। चेन्नई 1 फैसिलिटी का डिज़ाइन सिक्योरिटी सिस्टम 7 लेयर का है जो इसके आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करता है। यह कस्टमर को 99.999% उपलब्धता देने के लिए प्रतिबद्ध है। रणनीतिक रूप से SIPCOT-IT पार्क में स्थित, अदाणी कनेक्स, चेन्नई 1 डेटा सेंटर अपनी तरह की पहली बहुउद्देशीय फैसिलिटी है जो भारत में दूसरे बाजारों तक घरेलू पहुंच के साथ डेटा सेंटर के वैश्विक नेटवर्क के दरवाजे खोलती है।
डेटा सेंटर ऐसी जगह होती है जहां किसी कंपनी की आईटी गतिविधियों और डिवाइस को कई तरह की सुविधाएं दी जाती हैं। इन सुविधाओं में डाटा स्टोरेज, सूचनाओं की प्रोसेसिंग और दूसरे स्थान पर उसे पहुंचाना और कंपनी के एप्लिकेशन से जुड़े कामकाज शामिल हैं। इसे किसी सर्वर की तरह मान सकते हैं जहां से किसी कंपनी का पूरा आईटी ऑपरेट होता है। आप सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं जैसे फेसबुक, व्हाट्सप्प, इस्टाग्राम, या यूट्यूब, सवाल है कि ये ऍप्लिकेशन्स कहाँ से संचालित होती हैं और इनमे आप जो डाटा डालते हैं, वो कहाँ स्टोर होता है। यह सभी एप्लिकेशन अमेरिकी हैं, और यह मूल रूप से अमेरिका से ही संचालित होती हैं। जहां तक डाटा की बात है तो वह डाटा अमेरिकी डाटा सेंटर्स में स्टोर होता है।
एक सर्वे के मुताबिक डेटा सेंटर के जरिए भारत में डिजिटल बदलाव होगें और इसके चलते साल 2025 तक 1 ट्रिलियन डॉलर डिजिटल इकोनॉमी बनने में मदद करेंगे। भारतीय डेटा सेंटर उद्योग के लिए रीढ़ की हड्डी के रूप में कार्य करेगा, जिससे भारत एक वैश्विक हब के रूप में उभर सकेगा। अपनी भौगोलिक स्थिति और बुनियादी ढांचे के कारण, मुंबई और चेन्नई को भारत के डेटा सेंटर बाजार की पहचान की गई है।
पिछले कुछ सालों में भारत सरकार तेजी से डिजिटलीकरण, सूचना टेक्नोलॉजी के बुनियादी ढांचे में सुधार, 5जी, अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी आधुनिक टेक्नोलॉजी पर काम होने के कारण देश में नए डाटा सेंटर्स बनाने का काम बेहद तेज गति से चल रहा है. इसके अलावा डेटा प्राइवेसी जैसे कानूनों के कारण भी देश के नागरिको के डाटा को देश में ही रखने की मांग उठने लगी है, जिसके कारण भी देसी-विदेशी कंपनियां अब भारत में ही अपने डाटा सेंटर्स खोल रही है। इसके कारण लाखों की संख्या में नौकरियां पैदा होंगी, वहीं उच्च तकनीकी की नौकरियां भी भारत में पैदा होंगी।
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