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2070 नेट ज़ीरो के टारगेट पर अडानी ग्रुप की बड़ी भागीदारी, भारत की पहल पर जर्मनवॉच रिपोर्ट ने लगाई मुहर

Adani: बॉन स्थित जर्मनवॉच की वार्षिक रिपोर्ट में भारत की जलवायु गतिविधियों को चौथा सबसे मजबूत दर्जा दिया गया.भारत को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और ऊर्जा उपयोग संकेतकों पर हाई रैंकिंग और जलवायु नीति और रिन्यूबल एनर्जी तैनाती पर मध्यम रेटिंग प्राप्त हुई है. जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक हर साल 59 देशों और यूरोपीय संघ को जलवायु कार्यों पर उनके प्रदर्शन के आधार पर रैंक करता है.इनमें से कोई भी देश पिछले कुछ वर्षों से ‘बहुत ऊंची’ रेटिंग हासिल नहीं कर सका है, जिसके कारण पहले तीन रैंक खाली रह गए हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है चीन सबसे बड़े विकसित तेल और गैस भंडार वाले 20 देशों में से एक है.यह वैश्विक कोयला उत्पादन के 90 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार नौ देशों में से एक है. चीन ने भी 2030 तक अपना गैस उत्पादन बढ़ाने की योजना बनाई है. यह 1.5 डिग्री सेल्सियस लक्ष्य के साथ असंगत है. पिछले वर्ष की तरह,डेनमार्क के प्रदर्शन को सर्वश्रेष्ठ आंका गया और उसने चौथी रैंक अर्जित की. इस वर्ष भारत से बेहतर प्रदर्शन वाले अन्य दो देश एस्टोनिया और फिलीपींस थे.

ये रिपोर्ट चार संकेतकों पर देशों के प्रदर्शन का आकलन करता है – देश का कुल उत्सर्जन, न्यूबल एनर्जी तैनाती, ऊर्जा उपयोग और जलवायु नीति. रिपोर्ट में कहा गया है ये कहा गया है कि भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है, लेकिन इसका प्रति व्यक्ति उत्सर्जन अपेक्षाकृत कम है. हमारा डेटा दिखाता है कि प्रति व्यक्ति जीएचजी श्रेणी में, देश 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे के बेंचमार्क को पूरा करने की राह पर है. हालांकि यह नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी में थोड़ा सकारात्मक रुझान दिखाता है, लेकिन यह प्रवृत्ति बहुत धीमी गति से आगे बढ़ रही है.

अडानी समूह के चैयरमेन गौतम अडानी ने इस रिपोर्ट पर कहा, “यह बहुत गर्व का क्षण है क्योंकि एनजीओ द्वारा नवीनतम जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक में भारत की जलवायु पहल को विश्व स्तर पर चौथे सबसे मजबूत के रूप में मान्यता दी गई है. इस रिपोर्ट में भारत ने हर ‘प्रमुख’ अर्थव्यवस्था से बेहतर प्रदर्शन किया है. यह उपलब्धि मानव विकास के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जो दीर्घकालिक स्थिरता उद्देश्यों के साथ तत्काल विकासात्मक आवश्यकताओं को कुशलतापूर्वक संतुलित करती है.अडानी समूह स्थिरता की दिशा में हमारे देश की यात्रा में अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है.”

खावड़ा रिन्यूबल एनर्जी उत्पादन में दुनिया का सबसे बड़ा हब बनने वाला है और ये भविष्य के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा. खावड़ा की रणनीतिक और भौगोलिक स्थिति, समुद्र तट के होने से विन्ड और सोलर एनर्जी के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनाती है इस लिहाज से रिन्यूबल एनर्जी प्रोजेक्ट के लिए ये एक शानदार जगह है. ये ना सिर्फ एजीईएल के 45 गीगावॉट परिचालन के दृष्टिकोण को पूरा करेगा बल्कि 2030 तक भारत के नेट जीरो में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. खावड़ा में दुनिया का सबसे बड़ा रिन्यूबल एनर्जी पार्क बनते ही भारत रिन्यूबल एनर्जी के उत्पादन और इस्तेमाल में पहले पायदान की दौड़ में शामिल हो जाएगा और इसमें खावड़ा में स्थापित किया जा रहे दुनिया का सबसे बड़े रिन्यूबल एनर्जी का पार्क मील का पत्थर साबित होगा.

इसके लिए अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) ने 1.36 बिलियन अमेरिकी डॉलर (बीएन) की फॉलो-ऑन फंडिंग की घोषणा की है. अडानी समूह ने 8 प्रमुख अंतरराष्ट्रीय बैंकों के साथ समझौते किए हैं. सभी ऋणदाता एजीईएल के निर्माण में फाइनेंस में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. मार्च 2021 से फ्रेमवर्क कंसोर्टियम द्वारा ग्रीन लोन सुविधा का विस्तार किया गया, इसमें बीएनपी पारिबा, कूपरेटिव रबोबैंक यू.ए., डीबीएस बैंक लिमिटेड, इंटेसासैनपोलो एस.पी.ए., एमयूएफजी बैंक, लिमिटेड, सोसाइटी जेनरल, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉर्पोरेशन ऋणदाता के तौर पर शामिल हैं. दुनिया भर में रिन्यूबल एनर्जी को प्राथमिकता देने के मामले में एशिया सबसे तेज़ी से उभर रहा है. एशिया की वर्ल्ड रिन्यूबल एनर्जी कैपेसिटी का 52.5% का प्रतिनिधित्व करता है और इस भौगोलिक क्षेत्र में रिन्यूबल एनर्जी के मामले में प्रमुख योगदान चीन, भारत और वियतनाम का है. भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा खपत वाला देश है. भारत की स्थापित गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता पिछले 8.5 वर्षों में 396% बढ़ी है और 176.49 गीगावॉट (बड़े हाइड्रो और परमाणु सहित) से अधिक है, जो देश की कुल क्षमता का लगभग 43% है (जुलाई 2023 तक). भारत ने 2022 में रिन्यूबल एनर्जी में 9.83% की वृद्धि हासिल की है. स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता पिछले 9 वर्षों में 30 गुना बढ़ गई है और जुलाई 2023 तक 70.10 गीगावॉट है. स्थापित रिन्यूबल एनर्जी कैपेसिटी में (बड़ी पनबिजली सहित) 2014 के बाद से लगभग 128% की वृद्धि हुई है.

भारत का लक्ष्य 2030 तक पांच मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करना है.जर्मनवॉच की रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भारत को कोयले को तेजी से चरणबद्ध तरीके से बंद करने, गैस पर निर्भरता कम करने और अपनी रिन्यूबल एनर्जी क्षमता का और विस्तार करने पर सहमत होने की जरूरत है. साथ ही, उसे अपने 2070 नेट ज़ीरो लक्ष्य को आगे बढ़ाने की ज़रूरत थी.

-भारत एक्सप्रेस

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