Anil Dujana Encounter: कुख्यात गैंगस्टर अनिल दुजाना के एनकाउंटर के बाद मेरठ एसटीएफ (स्पेशल टॉस्क फोर्स) की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. जानकारी सामने आ रही है कि गैंगस्टर दुजाना के लिए दिल्ली पुलिस का एक इंस्पेक्टर और एक कांस्टेबल भी काम करते थे. यह रिपोर्ट शासन के साथ ही दिल्ली पुलिस मुख्यालय को भी भेजने की तैयारी की जा रही है.
एसटीएफ की जांच में गैंग के 47 लोगों के नाम का भी खुलासा हुआ है जो कि मेरठ, मुजफ्फरनगर, बागपत, बुलंदशहर, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, के रहने वाले हैं. जानकारी सामने आ रही है कि एसटीएफ ने सभी की कुंडली बनाकर तैयार कर ली है. इस मामले में कुछ राजनीतिक दलों के द्वारा दुजाना को संरक्षण देने की बात भी सामने आई थी. एसटीएफ को जानकारी हाथ लगी थी कि दुजाना को कुछ सफेदपोश लोगों ने संरक्षण दे रखा था और वे लगातार उसकी मदद करते थे. फिलहाल उसने जहां पर शरण ली थी, उनके नामों का पर्दाफाश हो गया है. जानकारी सामने आ रही है कि फरारी के दौरान अनिल दुजाना को गौतमबुद्धनगर जिले के डडाबरा गांव निवासी योगेश, हरेंद्र, अजीत और डेरी स्कैनर निवासी सतीश पहलवान ने शरण दे रखी थी.
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बता दें कि वेस्ट यूपी का कुख्यात गैंगस्टर अनिल दुजाना गुरुवार को दोपहर में एसटीएफ के साथ एक मुठभेड़ में मारा गया था. वेस्ट यूपी में खौफ का पर्याय रहे दुजाना पर लूट, हत्या, अपहरण, डकैती समेत 65 मुकदमे दर्ज थे. एसटीएफ के एसपी बृजेश सिंह के नेतृत्व में टीम ने उसे जानी थाना क्षेत्र के गंगनहर पर भोला की झाल के पास घेर लिया था. इसके बाद खुद को बचाने के लिए अनिल दुजाना ने एसटीएफ की टीम पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी, जवाबी फायरिंग में वह मारा गया. बताया जा रहा है कि पुलिस ने उसे उस वक्त ढेर किया, जब वह किसी वारदात को अंजाम देने जा रहा था.
दुजाना के गैंग के लोगों के बारे में जानकारी सामने आ रही है कि उसके गैंग में वैसे तो काफी सदस्य हैं, लेकिन मुख्य शूटर के रूप में कुछ चुनिंदा लोग ही हैं. इनमें मुजफ्फरनगर के भोपा निवासी मोहित, बागपत के विक्की सुन्हैडा, मेरठ के मोरना निवासी सोनू उर्फ शौकेंद्र, परीक्षितगढ़ के ऐंची गांव निवासी कर्नल गिरी का नाम मुख्य शूटर के रूप में सामने आया है. बताया जा रहा है कि हाल ही में मुकीम काला गैंग ने भी अनिल दुजाना से हाथ मिलाया था. जांच में यह भी सामने आया है कि मेरठ के इस्माईल नगर का रहने वाला सारिक चौधरी इस गैंग को हथियार सप्लाई करता था. गैंग को जब भी हथियार की जरूरत होती थी, दुजाना कुछ दिन पहले ही ऑर्डर कर देता था और फिर सारिक उसके लिए हथियारों का बंदोबस्त कर देता था.
सूत्रों के मुताबिक, तिहाड़ जेल से छूटने के बाद अनिल दुजाना ने गौतमबुद्धनगर के जयचंद प्रधान हत्याकांड में उसकी पत्नी और गवाह संगीता को धमकी दी थी. इसके बाद अनिल दुजाना के खिलाफ गौतमबुद्धनगर पुलिस ने दो मुकदमे दर्ज किए थे. इसी के बाद से एसटीएफ और गौतमबुद्धनगर पुलिस की टीमें लगातार उसको ढूंढ रही थी. इसी बीच गुरुवार को मेरठ एसटीएफ यूनिट को सूचना मिली कि अनिल दुजाना मेरठ में किसी वारदात को अंजाम देने आ रहा है. वह बागपत से कार द्वारा जानी गंगनहर के पास टीकरी गांव के संपर्क मार्ग से होता हुआ भोला झाल पहुंचेगा. इस पर एसटीएफ भी वहीं पहुंच गई और फिर यहां हुई मुठभेड़ में वह मारा गया. उसके पास से एसटीएफ को एक .30 बोर की चाइना स्टार पिस्टल, .32 बोर की दो कंट्री मेड पिस्टल, एक 315 बोर का तमंचा और 69 कारतूस बरामद हुए थे. फिलहाल एसटीएफ दुजाना के अन्य सहयोगियों की तलाश कर रही है.
-भारत एक्सप्रेस
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