Gyanvapi Survey: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम को ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के दौरान मंदिर के तमाम सबूत मिलने के बाद से हिंदू और मुस्लिम पक्ष की ओर से लगातार बयान सामने आ रहे हैं. जहां एक ओर सर्वे रिपोर्ट ने मंदिर के तमाम साक्ष्य मिलने की बात कही है और तमाम मूर्तियों आदि के बारे में कहा है तो वहीं मुस्लिम पक्ष का दावा है कि ये मूर्तियां किराएदारों की हैं जो कि मूर्ति बनाने का काम करते थे.
वहीं, दूसरी ओर अब विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने दो मांगें उठाई हैं. इस सम्बंध में विहिप के अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष, आलोक कुमार ने ये भी कहा है कि साक्ष्य मिलने के बाद कोई संदेह नहीं रह जाता. इसी के साथ ही उन्होंने मुस्लिम पक्ष से अपील की है कि वह वाराणसी का ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंप दें. साथ ही वजूखाना क्षेत्र में पाए गए शिवलिंग की पूजा करने की अनुमति देने की भी मांग की है.
ज्ञानवापी मामले पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट के बाद, विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष, आलोक कुमार का बयान सामने आया है. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि, “जो सबूत एकत्र किए गए हैं और जो निष्कर्ष निकाला गया है, उसके लिए कोई जगह नहीं है मंदिर के बारे में संदेह. उन्होंने कहा कि, विहिप ने दो मांगें की हैं, पहली ये कि, वज़ुखाना क्षेत्र में पाए गए शिवलिंग पर सेवा पूजा की पेशकश अब शुरू होनी चाहिए और न्यायालय को इसके लिए हिंदू समुदाय को अनुमति देनी चाहिए तो वहीं दूसरी मांग ये है कि, हम यह भी आग्रह करते हैं इंतेज़ामिया समिति नई रिपोर्ट का संज्ञान लेगी और ज्ञानवापी मस्जिद को सम्मानपूर्वक किसी अन्य उपयुक्त स्थान पर स्थानांतरित करने और मूल स्थल को हिंदू समुदाय को सौंपने का प्रस्ताव देगी”.
विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने इस सम्बंध में आगे कहा कि, “कोर्ट में पेश एएसआई के सबूत एवं निष्कर्ष साबित करते हैं कि इस पूजा स्थल का धार्मिक चरित्र 15 अगस्त, 1947 को अस्तित्व में था और वर्तमान में यह एक हिंदू मंदिर है. उपासना स्थल अधिनियम, 1991 की धारा 4 के अनुसार भी इस संरचना को हिंदू मंदिर घोषित किया जा सकता है.” इसी के साथ ही विहिप ने ज्ञानवापी में मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी से आह्वान किया कि वह मस्जिद को किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करे और काशी विश्वनाथ के मूल स्थल को हिंदू समुदाय को सौंप दें.
बता दें कि ज्ञानवापी मामले से जुड़ी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की रिपोर्ट अब सार्वजनिक हो चुकी है. इस सम्बंध में गुरुवार देर शाम रिपोर्ट सामने आई थी और जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्ववेश की अदालत ने सर्वे रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया था. इसके मुताबिक, ज्ञानवापी परिसर में मंदिर की संरचना मिली है. रिपोर्ट सामने आने के बाद हिंदू पक्ष ने अपनी जीत बताया है और कहा है कि, सर्वे रिपोर्ट से साफ हो गया कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई. अब हिंदुओं को पूजा-पाठ की अनुमति मिलनी चाहिए. वहीं दूसरी तरफ से मुस्लिम पक्ष ने कानूनी लड़ाई को आगे बढ़ाने की घोषणा की है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि सर्वे के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद में 55 मूर्तियां मिली हैं तो वहीं 15 शिवलिंग और अलग-अलग काल के 93 सिक्के भी मिले हैं. पत्थर की मूर्तियों के साथ ही अलग-अलग धातु, टेराकोटा सहित घरेलू इस्तेमाल की 259 सामग्रियां मिली हैं. जबकि, एक ऐसा पत्थर मिला है, जिस पर राम लिखा है. जीपीआर सर्वे में मुख्य गुंबद के नीचे बेशकीमती पन्नानुमा टूटी कीमती धातु मिली है. इसे मुख्य शिवलिंग बताया जा रहा है. इस स्थान पर खनन और सर्वे की बात कही गई है.
बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर का एएसआई की 176 सदस्यीय टीम ने सर्वे किया था. फिलहाल अब सर्वे रिपोर्ट भी सार्वजनिक हो चुकी है. रिपोर्ट में ज्ञानवापी को बड़ा हिंदू मंदिर बताया गया है. इसमें 32 अहम हिंदू स्थलों क बारे में जिक्र किया गया है तो वहीं शिवलिंग के साथ नंदी, गणेश की मूर्तियों के मिलने की भी बात कही गई है.
बता दें कि एएसआई ने मस्जिद परिसर का जो सर्वे किया गया है, उसमें मंदिर के प्रमाण के साथ ही विष्णु, मकर, कृष्ण, हनुमान, द्वारपाल, नंदी, पुरुष और मन्नत तीर्थ सहित अन्य विग्रह मिले हैं. साथ ही मुगल काल, अंग्रेजी हुकूमत सहित अन्य समय काल के चिह्न भी मिले हैं. वहीं सर्वे के दौरान शाह आलम और सिंधिया काल के सिक्के (एक और 25 पैसे) संरक्षित किए गए हैं. वैज्ञानिक पद्धति से हुए सर्वे मे 93 सिक्के जुटाए गए हैं, इनमें विक्टोरिया महारानी, धीरम खलीफा, किंग चार्ज सहित अन्य काल के सिक्के शामिल हैं. जानकारी रहे कि एएसआई ने टेरोकोटा की 23 मूर्तियों, 2 स्लिंग बॉल, एक टाइल्स, एक डिस्क, देवी-देवताओं की दो मूर्तियां, 18 मानव की मूर्तियां, तीन जानवरों की मूर्ति को साक्ष्य के तौर पर जुटाया है. इसके अलावा 113 धातु की सामग्रियां भी सर्वे के दौरान मिली हैं, जिसमें लोहे की 16, तांबा की 84, एल्युमिनियम की 9, निकेल की तीन और एलॉय की एक सामग्री मिली है.
शिवलिंग का विग्रह मिला है, जिसकी 15 संख्या है तो वहीं विष्णु के विग्रह की 3, मकर की एक, कृष्ण की दो, गणेश की तीन, हनुमान की 5, द्वारपाल की एक, नन्दी की दो, अपस्मार पुरुष की एक, मन्नत तीर्थ की एक तो वहीं विग्रह के 14 टुकड़े, 7 मिश्रित मूर्तियों के विग्रह सर्वे के दौरान मिले हैं.
जानकारी के मुताबिक, एएसआई की सर्वे रिपोर्ट में ज्ञानवापी की दीवार के साथ ही कई स्थानों से जो विग्रह और धार्मिक चिह्न मिले हैं, उसकी विधिवत जांच की गई. जीपीआर सहित अन्य तकनीक से हुई जांच में कुछ चिह्नों की उम्र दो हजार वर्ष पुरानी है. बता दें कि एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में प्रत्येक चिह्न को पूरे विवरण के साथ प्रस्तुत किया है.
बता दें कि, ज्ञानवापी सर्वे की एएसआई रिपोर्ट चार खंड में है. हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु जैन के मुताबिक, पहले खंड में 137 पेज हैं, जिसमें स्ट्रक्चर और ब्रीफ फाइडिंग ऑफ सर्वे रिपोर्ट है. दूसरे खंड में पेज संख्या 1 से 195 तक साइंटिफिक सर्वे की रिपोर्ट है. तो वहीं तीसरे खंड में पेज नंबर 204 पर बरामद वटु का जिक्र किया गया है तो वहीं चौथे खंड में तस्वीरे व डायग्राम हैं, जो 238 पेज में है. इसी के साथ ही एक हजार फोटोग्राफ भी हैं.
दूसरी ओर इस रिपोर्ट को लेकर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता एखलाक अहमद की ओर से बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा कि सर्वे रिपोर्ट में जो फिगर्स हैं, वे मलबे में मिले हैं तो कोई बड़ी बात नहीं है. हमारी एक बिल्डिंग में पांच किरायेदार थे. वे सभी मूर्तियां बनाते थे और जो मलबा होता था, उसे पीछे की तरफ फेंक देते थे. एखलाख ने ये भी दावा किया है कि, सारी मूर्तियां खंडित मिली हैं, कोई ऐसी मूर्ति नहीं मिली, जिसे कहा जाए कि यह भगवान शिव की मूर्ति है. आगे उन्होंने कहा कि मूर्तियां मस्जिद के अंदर नहीं मिली हैं. पूरी रिपोर्ट पढ़ेंगे. इसमें देखेंगे क्या गलत रिपोर्ट दी गई है. उस पर हम आपत्ति दाखिल करेंगे.
बता दें कि सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद हिंदू पक्ष ने अब आगे की कार्रवाई करने की ठानी है. साथ ही हिंदू पक्ष सुप्रीम कोर्ट में एक और प्रार्थना पत्र देने जा रहा है. इसके माध्यम से परिसर स्थित सील वजूखाने का एएसआई से सर्वे कराने का अनुरोध किया जाएगा. इसी के साथ ही कुछ अन्य पुख्ता साक्ष्य एकत्र करने के लिए अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि जैसी खोदाई की मांग भी की जाएगी. इस सम्बंध में शनिवार को ही हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने मीडिया को बयान देते हुए कहा था कि, 29 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना पत्र देंगे. इसके जरिये सील वजूखाने के वैज्ञानिक पद्धति से सर्वे का अनुरोध किया जाएगा कि वहां मौजूद स्वयंभू शिवलिंग के बारे में एएसआई सर्वे कर बताए कि उनसे संबंधित वास्तविकता है क्या..?
अधिवक्ता ने आगे बताया कि, परिसर में जहां भी खोदाई कर साक्ष्य एकत्र करने की जरूरत है, उसके लिए भी सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया जाएगा. उन्होंने भरोसा जताते हुए आगे बताया कि, खोदाई इस तरह से की जाएगी कि ज्ञानवापी के मौजूदा ढांचे को किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचेगा. आगे उन्होंने कहा कि, हमारा उद्देश्य सिर्फ इतना है कि वैज्ञानिक तरीके से यह साबित हो कि ज्ञानवापी का सच क्या है…? शेष, ज्ञानवापी का सर्वे कर एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में वैज्ञानिक तरीके से यह बता ही दिया है कि वहां मस्जिद से पहले भव्य हिंदू मंदिर था. सभी लोगों से हमारी अपील यही है कि धैर्य के साथ वैज्ञानिक तथ्यों को देखें व समझें और कोर्ट के आदेश का इंतजार करें.
-भारत एक्सप्रेस
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