Shri Krishna Janmabhoomi Case: मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने फैसला देते हुए हिंदू पक्ष की याचिका को स्वीकार कर लिया है. हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह परिसर के कोर्ट कमीशन सर्वे की मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने ईदगाह कमेटी और वक्फ बोर्ड की दलीलों को खारिज कर दिया है.अब ज्ञानवापी की तरह ही शाही ईदगाह परिसर में सर्वे किया जाएगा.
इससे पहले, अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी, आचार्य सत्येन्द्र दास ने कहा, “यह अच्छा है कि फैसला आएगा. सर्वेक्षण महत्वपूर्ण है. सर्वेक्षण स्पष्ट रूप से तथ्यों को दिखाता है.” हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, “इलाहाबाद HC ने हमारे आवेदन को स्वीकार कर लिया है, जहां हमने अधिवक्ता आयुक्त द्वारा (शाही ईदगाह मस्जिद) के सर्वेक्षण की मांग की थी. तौर-तरीके 18 दिसंबर को तय किए जाएंगे.”
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काशी और मथुरा का विवाद कुछ-कुछ अयोध्या जैसा ही है. दावा किया जाता है कि औरंगजेब ने काशी और मथुरा में मंदिर तोड़े और मस्जिदें बनवाईं. 1669 में औरंगजेब ने काशी में विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त कर दिया और 1670 में उसने मथुरा में केशवदेव मंदिर को तोड़ने का आदेश जारी किया. इसके बाद काशी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया गया. मथुरा में विवाद कुल 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक को लेकर है. हिंदू पक्ष की ओर से शाही ईदगाह मस्जिद को हटाकर यह जमीन श्री कृष्ण जन्मस्थान को सौंपने की मांग की जा रही है. कई सालों तक जिला अदालतों में रहा. अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने परिसर में सर्वे कराने की अनुमति दे दी है.
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