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Caste Census: भाजपा के वोटों में सेंध लगाने के लिए जातिगत जनगणना का कार्ड खेल सकती हैं सपा और BSP

UP Politics: लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी दल भी माहौल तैयार करने में जुटे हैं. यूपी में विधानसभा चुनाव मेें मिली हार के बाद अब सपा लोकसभा चुनाव में इसकी भरपाई करना चाहती है. इसीलिए यूपी की मुख्य विपक्षी पार्टी सपा ने पहले रामचरितमानस का मुद्दा उठाया और अब जातीय जनगणना का शिगूफा छेड़कर सियासी बढ़त लेने की फिराक में है.

राजनीतिक जानकारों की मानें तो सभी दल पिछड़े वर्ग के वोटरों को अपने पक्ष में लाने के लिए यह प्रयास तेज कर रहे हैं. इसी को देखते हुए केशव प्रसाद मौर्य को भी जातीय जनगणना का समर्थन करना पड़ा. हालांकि भाजपा के सहयोगी दल निषाद पार्टी और अनुप्रिया की पार्टी भी जातीय जनगणना के पक्ष में है. यह ऐसा मुद्दा है कि इसे हर कोई लपकने को तैयार है। बस सत्तारूढ़ दल ज्यादा खुल के सामने नहीं आ पा रहा है.

सियासी पंडितों की मानें तो भाजपा के वोटबैंक बन चुके पिछड़े और दलितों को सपा अपने खेमे में वापस लाने की कोशिश कर रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव इन्हें अपने पाले में लाने की कोशिश में हैं. बसपा के दलित मूवमेंट से जुड़े रहे पहली कतार के नेताओं को सपा में शामिल करवा लिया है. इसमें स्वामी प्रसाद मौर्य से लेकर रामअचल राजभर, इंद्रजीत सरोज और लालजी वर्मा जैसे कई नाम शामिल हैं.

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अखिलेश प्लान बनाने में जुटे

अंबेडकरवादियों के जरिए अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश की सियासत में दलित और ओबीसी को अपने पक्ष में एकजुट कर भाजपा को पटखनी देना चाहते हैं. सियासी जानकारों का मानना है कि इस पूरे मामले में अगर राजनीतिक दलों को देखें तो भाजपा के लिए अब बहुत सधी हुई सियासी बयानबाजी और कवायद बेहद जरूरी मानी जा रही है.

सपा के पिछड़े वर्ग प्रकोष्ठ के अध्यक्ष राजपाल कश्यप कहते हैं कि सपा का यह बहुत पुराना मुद्दा है जिस पर भाजपा सरकार ध्यान नहीं दे रही है. कश्यप कहते हैं कि देश व प्रदेश में पिछड़े, वंचित समाज को अधिकार कैसे प्राप्त हो सकता है जब जातियों के लोगों की कितनी संख्या है ये ही नहीं पता हो और खासतौर पर जो जातियां इस देश में अपने अधिकार व सम्मान और शिक्षा से बहुत पीछे छूट गई है.

बसपा मुखिया मायावती कहती हैं कि एससी व एसटी की तरह ही ओबीसी वर्ग की भी जातीय जनगणना कराने की मांग पूरे देश में काफी जोर पकड़ चुकी है, लेकिन केन्द्र का इससे साफ इंकार पूरे समाज को उसी प्रकार से दु:खी व इनके भविष्य को आघात पहुंचाने वाला है जैसे नौकरियों में इनके बैकलॉग को न भरने से लगातार हो रहा है.

-आईएएनएस

आईएएनएस

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