Manipur Violence: मणिपुर हिंसा की आग में जल रहा है. पूर्वोत्तर के इस राज्य में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर शुरू हुई हिंसा अब पूरे राज्य में फैल चुका है. इस हिंसा में 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. हजारों लोग बेघर हो चुके हैं. सरकार ने इस विपदा से निपटने के लिए तमाम कोशिशें कीं. इसी क्रम में केंद्र सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है. दरअसल, केंद्र सरकार ने राज्यपाल अनुसुइया उइके की अध्यक्षता में मणिपुर में एक शांति समिति का गठन किया है. समिति के सदस्यों में मुख्यमंत्री, राज्य सरकार के कुछ मंत्री, सांसद, विधायक और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता शामिल हैं.
गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि समिति का जनादेश राज्य के विभिन्न जातीय समूहों के बीच शांति प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए होगा, जिसमें शांतिपूर्ण वार्ता और परस्पर विरोधी दलों के बीच बातचीत शामिल है. बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह ने 29 मई से 1 जून तक राज्य का दौरा किया था.
बता दें कि मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा देने की मांग के विरोध में मणिपुर के कई जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ निकाला गया. इस दौरान 3 मई को पूर्वोत्तर राज्य में पहली बार झड़पें हुईं. मैतेई समुदाय मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. जनजातीय नागा और कुकी जनसंख्या का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं. राज्य की हालात को देखते हुए शांति बहाल करने के लिए सेना और असम राइफल्स के करीब 10,000 जवानों को तैनात किया गया है.
-भारत एक्सप्रेस
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