दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली में अवैध और अनाधिकृत निर्माणों को लेकर एमसीडी आयुक्त को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा इस प्रक्रिया में अदालतों का इस्तेमाल मोहरे के तौर पर किया जा रहा है. न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि दिल्ली में बाढ़ का एक कारण यह है कि अनधिकृत निर्माणों के कारण पानी के आउटलेट बंद हो गए हैं. पीठ ने नगर निगम प्रमुख को दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि उसने देखा है कि कुछ वकील भी अनधिकृत निर्माण के मामलों में ब्लैकमेल कर रहे हैं और पैसे ऐंठ रहे हैं और अदालती प्रक्रिया का दुरुपयोग किया जा रहा है.
कोर्ट ने एमसीडी आयुक्त से कहा हमें इस पूरे मामले में मोहरे के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. हम इस गठजोड़ को तोड़ना चाहते हैं, यह एक बड़ा गठजोड़ है. व्यवस्था ध्वस्त हो रही है. आप कुछ करें और अपने अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें. कोर्ट ने अदालत के निर्देश के अनुपालन में कार्यवाही में वर्चुअली शामिल दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) आयुक्त अश्विनी कुमार को प्रेरित याचिकाओं के दाखिल होने के बारे में अवगत कराया, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि अवैध और अनधिकृत निर्माण के तथ्य पर कोई विवाद नहीं है.
कोर्ट ने कहा याचिकाकर्ता और एमसीडी के अधिकारी अपने गुप्त उद्देश्यों और धन उगाही के लिए अदालतों का रणनीतिक उपकरण के रूप में उपयोग कर रहे हैं. पेशेवर व्यक्ति अनधिकृत निर्माणों पर कई याचिकाएँ दाखिल कर रहे हैं. हम एक अजीब स्थिति में फंस गए हैं. अगर हम कार्रवाई करते हैं तो वे संपत्ति के मालिक से पैसे ऐंठने लगते हैं. अगर हम कार्रवाई नहीं करते हैं, तो अनधिकृत निर्माण बना रहता है. कोर्ट ने कहा दिल्ली में बाढ़ इसलिए आती है क्योंकि पानी के आउटलेट अवरुद्ध हैं. नालियां जाम हैं. यह अनधिकृत निर्माणों के कारण है. सार्वजनिक भूमि और नालियों पर मकान और इमारतें बनाई गई हैं, इसलिए पानी के बहने का कोई रास्ता नहीं बचा है. पीठ ने शहर में हो रहे अनाधिकृत निर्माणों पर आंखें मूंदने के लिए एमसीडी अधिकारियों पर सवाल उठाया और कहा कि एमसीडी अधिकारियों की मिलीभगत के बिना यह संभव नहीं है.
पीठ द्वारा उठाई गई चिंताओं का जवाब देते हुए आयुक्त ने अदालत को आश्वासन दिया कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी उन्हें संवेदनशील बनाया जाएगा और एक कड़ा संदेश दिया जाएगा कि ऐसी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने अदालत को आश्वासन दिया कि नगर निकाय अनाधिकृत निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई करेगा और उन्हें हटाया जाएगा. कोर्ट एक 20 वर्षीय महिला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अधिकारियों को पहाड़गंज में एक भूमि पर किए जा रहे अवैध और अनाधिकृत निर्माण को रोकने और ध्वस्त करने के निर्देश देने की मांग की गई थी.
सुनवाई के दौरान एमसीडी के वकील ने तर्क दिया कि याचिका प्रेरित है. उच्च न्यायालय ने पहले कहा था कि हालांकि वह प्रथम दृष्टया इस तर्क से सहमत है कि याचिका प्रेरित लगती है, लेकिन यह इस तथ्य को नकार नहीं सकता कि निर्माण अवैध और अनाधिकृत है. न्यायालय ने कहा था यह न्यायालय ऐसे अनेक मामलों पर विचार कर रहा है, जहां याचिकाकर्ता की ईमानदारी संदिग्ध है, लेकिन अनधिकृत और अवैध निर्माण का तथ्य विवाद का विषय नहीं है.
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-भारत एक्सप्रेस
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