दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने एक मृत व्यक्ति के फ्रीज स्पर्म (Dead Man’s Sperm) को उसके माता-पिता को देने का निर्देश अस्पताल को दिया है. युवक को कैंसर (Cancer) हुआ था और उसके इलाज के दौरान एहतियातन उसका स्पर्म (वीर्य) फ्रीज कराया गया है. 4 साल पहले युवक की मौत के बाद उसके माता-पिता ने अस्पताल से उसका फ्रीज स्पर्म देने का आग्रह किया था, लेकिन ऐसा नहीं होने पर उन्हें अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा.
जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह ने मृत युवक के पिता द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल (Sir Ganga Ram Hospital) को फ्रीज स्पर्म उसके माता-पिता को देने का निर्देश जारी किया है. अदालत ने शुक्रवार (4 अक्टूबर) को फैसला सुनाया कि वे अपने बेटे के स्पर्म को पाने के हकदार हैं और अगर स्पर्म (पुरुष) या Egg Doner (महिला) की सहमति है, तो जीवनसाथी (Spouse) की गैर-मौजूदगी में ‘मरने के बाद बच्चा पैदा करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है’.
30 साल के प्रीत इंदर सिंह (Preet Inder Singh) को 22 जून 2020 को नॉन-हॉजकिन्स लिंफोमा (Non-Hodgkin’s Lymphoma/कैंसर का एक प्रकार) का पता चला था. पांच दिन बाद कीमोथेरेपी (Chemotherapy) शुरू करने से पहले उन्होंने क्रायोप्रिजर्वेशन के लिए अपने स्पर्म का नमूना दिया था. उस समय डॉक्टरों का कहना था कि कीमोथेरेपी उनकी प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है.
इसके बाद 1 सितंबर 2020 को सिंह का निधन हो गया था. उसी साल 21 दिसंबर को उनके माता-पिता गुरविंदर सिंह और हरबीर कौर ने सर गंगाराम अस्पताल से संरक्षित स्पर्म का नमूना जारी करने का अनुरोध किया था.
नमूना प्राप्त करने में असफल रहने पर माता-पिता ने 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया. वरिष्ठ अधिवक्ता सुरुचि अग्रवाल और अधिवक्ता गुरमीत सिंह की ओर से दायर याचिका में माता-पिता ने कहा कि वे अपनी दो बेटियों के साथ फ्रीज स्पर्म के नमूने का उपयोग करके सरोगेसी के माध्यम से पैदा होने वाले किसी भी बच्चे की पूरी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हैं.
दूसरी ओर अस्पताल ने हाईकोर्ट के समक्ष अधिवक्ता अनुराग बिंदल के जरिये दलील दी थी कि ‘सहायक प्रजनन तकनीक (विनियमन) अधिनियम 2021 के संदर्भ में अविवाहित व्यक्ति के स्पर्म के नमूनों के निपटान/उपयोग के संबंध में कोई वैधानिक दिशानिर्देश नहीं दिए गए हैं’.
-भारत एक्सप्रेस
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