दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को “राष्ट्रीय दुर्लभ रोग कोष” बनाने का निर्देश दिया है. अदालत ने साथ ही धन के वितरण की निगरानी करने तथा यदि कोई देरी हो रही है, तो उसकी पहचान करने के लिए अनिवार्य मासिक बैठकें आयोजित करने का आदेश दिया है. न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने निर्देश दिया कि न्यायालय द्वारा 15 मई, 2023 को गठित राष्ट्रीय दुर्लभ रोग समिति (NRDC) अगले पांच वर्षों तक कार्य करती रहेगी. उन्होंने आदेश दिया केन्द्र दुर्लभ रोगों के लिए राष्ट्रीय कोष स्थापित करेगा, जिसके लिए NRDC की सिफारिश के अनुसार तथा स्वास्थ्य मंत्रालय की स्वीकृति लंबित रहने तक वित्तीय वर्ष 2024-25 तथा 2025-26 के लिए 974 करोड़ रुपये आवंटित किए जाएंगे.
न्यायमूर्ति सिंह ने विश्वास व्यक्त किया कि एक बार कोष बन जाने के बाद अगले कुछ वर्षों में दवाओं की कीमतों को कम करने और उन्हें अधिक सुलभ बनाने के प्रयास किए जाएंगे. अदालत ने ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी और हंटर सिंड्रोम जैसी दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित बच्चों के उपचार से संबंधित 105 याचिकाओं का निपटारा करते हुए यह आदेश पारित किया. याचिकाओं में रोगियों के लिए मुफ्त उपचार की मांग की गई थी, जो अन्यथा बहुत महंगा है.
अदालत 2020 से समय-समय पर याचिकाओं पर विभिन्न आदेश पारित करता रहा है. अदालत ने निर्देश दिया कि क्राउडफंडिंग और CSR (कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी) फंडिंग से दुर्लभ बीमारियों से निपटने के लिए अतिरिक्त धन भी मिलेगा. केन्द्र को NRDC की सिफारिश को स्वीकार करने और 974 करोड़ रुपये जारी करने से नहीं रोका जाना चाहिए. उक्त निधियों के हस्तांतरण के लिए अनुमोदन दिया जाना चाहिए और संबंधित मंत्रालयों और सक्षम अधिकारियों द्वारा 30 दिनों के भीतर दुर्लभ बीमारियों के लिए राष्ट्रीय कोष में राशि हस्तांतरित की जानी चाहिए.
अदालत ने कहा निधि के वितरण की निगरानी करने तथा किसी भी देरी की पहचान करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय और उत्कृष्टता केन्द्रों तथा NRDC के बीच अनिवार्य मासिक बैठक होनी चाहिए. पहली बैठक 30 दिनों के भीतर निर्धारित की जानी चाहिए. उक्त राशि का उपयोग उन सभी याचिकाकर्ताओं को उपचार प्रदान करने के लिए किया जाना चाहिए जो दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित हैं.
अदालत ने कहा स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दवाओं की खरीद NRDC द्वारा तय की गई कीमतों पर की जाएगी. एनआरडीएफ का प्रशासन राष्ट्रीय दुर्लभ रोग प्रकोष्ठ द्वारा किया जाएगा, जिसमें स्वास्थ्य मंत्रालय में एक या अधिक नोडल अधिकारी शामिल होंगे, जो NRDC द्वारा निर्देशित दुर्लभ रोग के लिए राष्ट्रीय नीति के तहत रोगियों के उपचार के लिए निधि जारी करेंगे. इसी प्रकार निधि का उपयोग कम होने के कारण समाप्त या वापस नहीं किया जाएगा. निधि के उपयोग की मासिक रिपोर्ट NRDC को प्रस्तुत की जाएगी.
अदालत ने कहा तीन महीने की अवधि के भीतर केन्द्र सरकार को एक केंद्रीकृत राष्ट्रीय दुर्लभ रोग सूचना पोर्टल विकसित और संचालित करना चाहिए, जिसमें रोगी रजिस्ट्री, उपलब्ध उपचार, निकटतम सीओई और निधि उपयोग पर अद्यतन जानकारी शामिल हो. यह पोर्टल मरीजों, डॉक्टरों और आम जनता के लिए सुलभ होना चाहिए. सीएसआर योगदान को सक्षम करने के लिए दुर्लभ बीमारियों के लिए दान को कंपनी अधिनियम की अनुसूची सात में जोड़ा जाएगा.
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-भारत एक्सप्रेस
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