भारतीय वायु सेना (IAF) की नव निर्मित हथियार प्रणाली शाखा के लिए अधिकारियों का पहला बैच शनिवार (14 दिसंबर) को हैदराबाद के पास डुंडीगल में वायु सेना अकादमी (AFA) से पास आउट हुआ. वे 204 कैडेटों में शामिल थे, जिनमें फ्लाइंग और ग्राउंड ड्यूटी स्ट्रीम की 26 महिलाएं शामिल थीं. इन्हें संयुक्त ग्रेजुएशन परेड में फ्लाइंग ऑफिसर के रूप में कमीशन दिया गया, जिसकी समीक्षा वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने की.
हथियार प्रणाली संचालकों के लिए दो-चरणीय प्रशिक्षण पाठ्यक्रम विकसित किया गया है, जिसमें AFA में प्रारंभिक प्रशिक्षण और उसके बाद हैदराबाद के पास बेगमपेट में नव स्थापित हथियार प्रणाली स्कूल में विशेष कौशल पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा.
2022 में चंडीगढ़ में आयोजित वायु सेना दिवस समारोह के दौरान, तत्कालीन वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी ने अपने अधिकारियों के लिए हथियार प्रणाली शाखा के निर्माण की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य विशेषज्ञ ग्राउंड-आधारित प्रणालियों और हवाई प्लेटफार्मों में सभी हथियार प्रणाली संचालकों को एक ही स्ट्रीम के तहत एकीकृत करना था.
आजादी के बाद यह पहली बार है कि भारतीय वायुसेना में एक नई परिचालन शाखा (Operational Branch) बनाई गई है. एयर चीफ मार्शल चौधरी ने अपने संबोधन के दौरान कहा था, “यह मुख्य रूप से सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, दूर से संचालित होने वाले विमानों और जुड़वां और बहु-चालक विमानों में हथियार प्रणाली संचालकों की चार विशेष धाराओं के संचालन के लिए होगा.”
उन्होंने आगे कहा था, “इस शाखा के निर्माण से उड़ान प्रशिक्षण पर खर्च कम होने के कारण 3,400 करोड़ रुपये से अधिक की बचत होगी.”
शाखा को चार उप-धाराओं में विभाजित किया गया है, जिनमें से प्रत्येक की अपनी विशेषज्ञता है, जिसमें हथियारों का प्रक्षेपण, सूचना एकत्र करना और यहां तक कि अंतरिक्ष परिसंपत्तियों का संचालन करना शामिल है. ये सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें, सतह से हवा में मार करने वाली निर्देशित मिसाइलें, मानव रहित हवाई वाहन (UAV) और जुड़वां और बहु-चालक विमानों में सभी हथियार प्रणाली संचालक हैं.
पहली उपधारा है ‘उड़ान’, इस श्रेणी के अधिकारी Su-30MKI जैसे विमानों में हथियार प्रणाली संचालक, AH-64E अपाचे जैसे हमलावर हेलीकॉप्टर, सोवियत मूल के Mi-25/35 और स्वदेशी प्रचंड तथा विशेष अभियान विमान C-130J सुपर हरक्यूलिस होंगे.
दूसरी उपधारा है ‘रिमोट’, जिसमें यूएवी या ड्रोन द्वारा संचालन शामिल है. भारतीय वायुसेना द्वारा हमला, निगरानी और रसद जैसे विभिन्न मिशनों के लिए कई प्रकार के यूएवी संचालित किए जाते हैं. कुछ को अमेरिका और इजरायल जैसे विदेशी आपूर्तिकर्ताओं से प्राप्त किया जाता है जबकि अन्य को स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया जाता है.
तीसरी उपधारा है ‘खुफिया’, जिसमें अंतरिक्ष, विमान या यूएवी में निगरानी परिसंपत्तियों के माध्यम से प्राप्त छवियों की व्याख्या शामिल है. इसमें खुफिया विश्लेषक, सूचना युद्ध विशेषज्ञ, पर्यवेक्षक, सिग्नल खुफिया कॉलेटर के साथ-साथ अंतरिक्ष प्रणालियों के संचालक भी शामिल होंगे.
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-भारत एक्सप्रेस
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