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चंद्रयान की सफल लैंडिंग में गाजियाबाद की तनिषा का अहम योगदान, सेंसर को दे रही थी कमांड

Chandrayaan-3: भारत ने बुधवार को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर अपने चंद्र मिशन चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग के साथ इतिहास रच दिया. इस उपलब्धि के साथ भारत चंद्रमा के चुनौतीपूर्ण दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर उतरने वाला पहला देश बन गया है. लैंडिंग के बाद लैंडर ने चांद से संदेश भेजा, ‘भारत, मैं अपनी मंजिल पर पहुंच गया और आप भी!’ लेकिन भारत के इस सपने को साकार करने में देश के कई वैज्ञानिकों ने दिन-रात एक करके काम किया. आज इन्ही की बदौलत भारत ने वो कर दिखाया है जहां कई देश पहुंचने के लिए तरसते हैं.

चंद्रयान 3 को सफल बनाने में गाजियाबाद की तनिषा का भी अहम रोल है. तनिषा को हर तरफ से बधाइयां मिल रही हैं. तनिषा जिस स्कूल से पढ़ी हैं वो है डीपीएसजी. स्कूल ने अपनी पूर्व छात्रा को शुभकामनाएं दी हैं. तनिषा इसरो के चंद्रयान मिशन में बतौर प्रोजेक्ट मैनेजर के तौर पर सेंसर टीम का नेतृत्व कर रही हैं. डीपीएसजी मेरठ रोड की प्रिंसिपल कैप्टन दिनिशा भारद्वाज सिंह ने बताया कि तनीषा भाटिया 2009 में स्कूल से पास-आउट हुई थी. उन्होंने जिले का नाम पूरे विश्व में कर दिया है.

यह भी पढ़ें: Chandrayaan-3: ऐसे चांद की सतह पर उतरा रोवर प्रज्ञान, ISRO ने जारी किया शानदार वीडियो

रात के समय काम नहीं करेगा रोवर प्रज्ञान

बता दें कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान 3 को सफलतापूर्वक उतारने में भारत की उपलब्धि का दुनिया जश्न मना रही है. फिर भी, जैसे-जैसे मिशन आगे बढ़ रहा है कि 14 दिनों के बाद रोवर प्रज्ञान क्या करेगा. दरअसल, चंद्रमा पर पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर एक दिन होता है. 14 दिन के बाद चंद्रमा पर रात हो जाएगी. रोवर प्रज्ञान को जिस तकनीक से बनाया गया है वो सौर उर्जा से ही चलता है. चुकी चंद्रमा पर 14 दिन बाद रात हो जाएगी तो रोवर प्रज्ञान को उर्जा नहीं मिल सकेगा. इस दौरान वो निष्क्रिय हो जाएगा. यह केवल सूर्य के प्रकाश में ही काम कर सकते हैं.

इसके अलावा, चंद्रमा की रात का समय बेहद ठंडा होता है, जिसमें तापमान -208 डिग्री फ़ारेनहाइट या -133 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है. ऐसी अत्यधिक ठंड की स्थितियां रोवर, लैंडर और उनके वैज्ञानिक उपकरणों के सुचारू संचालन में एक महत्वपूर्ण बाधा उत्पन्न करती हैं.

-भारत एक्सप्रेस

 

 

Rakesh Kumar

Sr. Sub-Editor

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