Ghosi Bypolls 2023: घोसी विधानसभा उपचुनाव के लिए मंगलवार को मतदान हुआ. इस मुकाबले को समाजवादी पार्टी बनाम भाजपा नहीं बल्कि एनडीए बनाम ‘इंडिया’ के बीच कांटे का मुकाबला माना जा रहा है. मतदान प्रतिशत की बात करें तो पिछली बार की तुलना में अबकी केवल 51 प्रतिशत मतदान ही हुआ. मतदान प्रतिशत भले ही उत्साह बढ़ाने वाला न हो, लेकिन भाजपा और सपा दोनों अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं. वहीं इसे ‘इंडिया’ अलायंस के लिए लिटमस टेस्ट भी कहा जा रहा है.
घोसी उपचुनाव में भाजपा के समर्थित माने जाने वाले नोनिया चौहान, राजभर, निषाद और कुर्मी मतदाताओं ने भी मतदान में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. वहीं सपा के परंपरागत वोट बैंक माने जाने वाले मुस्लिम और यादव समाज के साथ सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह के के सजातीय ठाकुर मतदाताओं ने मतदान में जोश दिखाया. ऐसे में दलित वोटर्स की भूमिका निर्णायक हो सकती है और उनका वोट किसके पाले में गया है, ये कल सुबह 11 बजे तक काफी हद साफ हो चुका होगा. बसपा का उम्मीदवार न होने के कारण पार्टी के समर्थकों में कोई खास उत्साह तो नहीं नजर आया लेकिन उनके वोट यहां बीजेपी-सपा के उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला जरूर कर सकते हैं.
इन सबके बीच जदयू की तरफ से आए एक बयान ने यूपी के सियासी गलियारे में अलग ही चर्चा छेड़ दी है. दरअसल, जदयू की उत्तर प्रदेश इकाई के उपाध्यक्ष अवलेश सिंह ने दावा किया कि घोसी उपचुनाव के परिणाम के आते ही एनडीए से जुड़ी पार्टियों के टूटकर विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ से जुड़ने सिलसिला शुरू हो जाएगा. अवलेश सिंह ने दावा किया कि घोसी उपचुनाव में सपा और ‘इंडिया’ गठबंधन की जीत होगी. उन्होंने कहा कि इस उपचुनाव से भाजपा की विदाई का बिगुल बज चुका है और 2024 में सत्ता परिवर्तन होने जा रहा है.
उन्होंने कहा कि उपचुनाव के नतीजे आते ही राजग के घटक दलों में टूट का सिलसिला शुरू हो जाएगा और वे एनडीए छोड़कर ‘इंडिया’ में शामिल होने लगेंगे. यही नहीं, उन्होंने यह भी दावा किया कि 2024 में केन्द्र में ‘इंडिया’ गठबंधन की सरकार बनते ही उत्तर प्रदेश में भी सत्ता परिवर्तन होगा, क्योंकि राज्य के सैकड़ों विधायक विपक्षी गठबंधन के सम्पर्क में हैं. हालांकि ये कल के नतीजे बताएंगे कि चुनाव में जीत या हार किसकी होती है, लेकिन ‘माइंड-गेम’ में कोई भी दल पीछे नहीं रहता चाहता है.
घोसी चुनाव में अखिलेश यादव के उस दावे की भी परीक्षा है जिसमें वे बार-बार ‘पीडीए’ की बात करते हैं. इस उपचुनाव में दलित वोटर्स ‘एक्स फैक्टर’ बनकर उभर सकते हैं और ये एनडीए के साथ समाजवादी पार्टी भी बखूबी समझती है. पिछले चुनावों में दलित वोटरों ने बड़ी संख्या में वोट किया है. ऐसे में उनको नजरअंदाज करना किसी भी दल के लिए नुकसानदायक हो सकता है. दूसरी तरफ, एनडीए के लिए भी चुनौतियां कम नहीं हैं. अगर यह चुनाव बीजेपी के पक्ष में गया तो वे लोकसभा चुनाव 2024 में ‘इंडिया’ गठबंधन की संभावनाओं को खारिज कर सकते हैं. लेकिन घोसी उपचुनाव में सपा की जीत से ‘इंडिया’ गठबंधन का जोश हाई होगा ही, साथ ही बीजेपी की हार अपने पीछे कई सवाल छोड़ जाएगी, जिनका जवाब उन्हें समय रहते ढूंढना होगा.
-भारत एक्सप्रेस
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