Supreme Court: चुनाव आयोग ने शिवसेना की बागडोर शिंदे गुट को सौंप दी है. लेकिन चुनाव आयोग के फैसले को उद्धव गुट पचा नहीं पा रहा है. ऐसे में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है. कल (सोमवार को) उद्धव गुट के वकील ने कोर्ट से सुनवाई का अनुरोध किया था. लेकिन मामले की उचित तरीके से लिस्टिंग न होने से ऐसा हो नहीं पाया. ऐसे में आज सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हो सकती है.
उद्धव ठाकरे के हाथ से शिवसेना का नाम और निशान दोनों निकल गए. चुनाव आयोग ने शिवसेना की कमान शिंदे गुट को क्या सौंपी उद्धव से उनके पिता बाला साहेब ठाकरे की विरासत एक झटके में छिन गई. चुनाव आयोग का यही फैसला उद्धव ठाकरे स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं. चुनाव आयोग का निर्णय भले ही शिंदे के पक्ष में गया हो, लेकिन उद्धव इसे लेकर एक पल भी चैन से नहीं बैठने वाले. जिसको लेकर वो लगातार संकेत देते हुए आ रहे थे. अब वो इस मामले को देश की सर्वोच्च अदालत की चौखट तक ले आए हैं.
सुप्रीम कोर्ट में आज शिवसेना की इस जंग पर सुनवाई होने के पूरे आसार हैं. उद्धव ठाकरे गुट ने एकनाथ शिंदे गुट को आधिकारिक तौर पर शिवसेना की मान्यता देने के बाद सुप्रीम अदालत में चुनौती दी है. सोमवार को उद्धव गुट के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने संविधान पीठ के समक्ष चल रहे मामलों के साथ लिस्ट करने का अनुरोध किया था. हालांकि चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इसकी इजाजत नहीं दी. क्योंकि कल सही से लिस्टिंग नहीं हो पाई.
चीफ जस्टिस की बेंच ने सिंघवी को कहा- नियम सभी पर समान रूप से लागू होता है और उचित प्रक्रिया के माध्यम से आएं. हालांकि शिंदे गुट भी इस मामले पर पूरी तरह नजर गढ़ाए हुए है. पहले ही अंदेशा था कि उद्धव सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं इसलिए शिंदे गुट की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में कैविएट याचिका दायर की जा चुकी है. जिसमें सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि कोई भी फैसला सुनाने से पहले महाराष्ट्र सरकार की दलील भी सुनी जाए.
दरअसल, पिछले साल जून में शिवसेना दो धड़ों में बंट गई थी. महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की अगुवाई में महाविकास अघाड़ी की सरकार चल रही थी. लेकिन एकनाथ शिंदे ने 40 विधायकों के अपने साथ लाकर बगावत कर दी. शिंदे लगातार उद्धव से कांग्रेस और एनसीपी से गठबंधन तोड़ने की मांग कर रहे थे, लेकिन बात बिगड़ गई और उद्धव ठाकरे को सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी. बाद में एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली.
वहीं, चुनाव आयोग ने शिवसेना के सिंबल धनुष-बाण को फ्रीज कर दिया था. अंधेरी ईस्ट विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव के लिए चुनाव आयोग ने शिंदे और उद्धव गुट को अलग-अलग सिंबल दिए थे. इतना ही नहीं पार्टी का नाम भी अलग दिया गया था.
पिछले दिनों चुनाव आयोग ने शिवसेना की कमान पूरी तरह शिंदे गुट को सौंप दी जिसके बाद उद्धव ने फैसले को लोकतंत्र की हत्या करने वाला बताया. अब उद्धव गुट अदालत की शरण में पहुंचा है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से किसे राहत मिलेगी अब इसका इंतजार है.
-भारत एक्सप्रेस
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