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Gyanvapi Case: हिंदू संगठन ने ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज पर रोक के लिए खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, पूजा शुरू कराने की मांग

Gyanvapi Case: वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट सामने आने के बाद से ही हिंदू और मुस्लिम पक्ष के अलग-अलग बयान सामने आ रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर हिंदू संगठनों ने ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर की जा रही नमाज का विरोध शुरू कर दिया है. इसी के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में नमाज पर रोक लगाए जाने और पूजा-पाठ शुरू कराने की गुहार लगाते हुए याचिका दायर की गई है. इस सम्बंध में हिंदू सिंह वाहिनी सेना ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा है, जिसमें ASI सर्वे रिपोर्ट के साक्ष्यों के आधार पर ये मांग की गई है. इसी के साथ कहा गया है कि काशी के ज्ञानवापी परिसर में नमाज पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए.

इस सम्बंध में हिंदू संगठन के अधिवक्ता विनीत जिंदल ने मीडिया को जानकारी दी कि हिंदू सिंह वाहिनी सेना के महासचिव की हैसियत से चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नाम पत्र लिखा गया है. उन्होंने आगे बताया कि पत्र में ये बात साफ-साफ कही गई है कि “एएसआई की रिपोर्ट साफ-साफ कहती है कि वहां भव्य हिंदू मंदिर था. तस्वीरें और शिलालेख भी इसकी तस्दीक करते हैं. इसके हिंदू मंदिर में अब कोई शक नहीं है, लिहाजा यहां होने वाली नमाज पर अविलंब रोक लगाई जानी चाहिए. “इसी के साथ ही पत्र में नमाज पर रोक लगाने और उसी स्थान पर हिंदुओं को अपने आराध्य देव की पूजा-अर्चना करने के अधिकार की बहाली का आदेश देने की गुहार लगाई गई है. मालूम हो कि 25 जनवरी को एएसआई सर्वेक्षण की रिपोर्ट सार्वजनिक की गई थी, जिसमें हिंदू मंदिर होने के तमाम प्रमाण मिले हैं. साथ ही रिपोर्ट में मस्जिद स्थल का निर्माण भव्य हिंदू मंदिर तोड़कर किए जाने की बात कही गई है. इसी के साथ ही हिंदू संगठन ने अपनी मांग का समर्थन देने के लिए एएसआई के विशेषज्ञों को मौके से तथ्य, तस्वीरें और शिलालेख मिले हैं, उसका हवाला दिया गया है.

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रिपोर्ट में कही गई है ये बात

बता दें कि सर्वे रिपोर्ट में ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण एक पुराने मंदिर के अवशेषों पर किए जाने का दावा किया गया है. इस सम्बंध में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने मीडिया को बताया है कि सर्वे में सामने आई रिपोर्ट में ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण 17वीं सदी में होने के साक्ष्य मिले हैं. उन्होंने कहा कि उस समय मुगल बादशाह औरंगजेब का शासनकाल था और उसने एक पुराने मंदिर को ध्वस्त कर यहां पर मस्जिद का निर्माण करवाया था. इसी के साथ ही विष्णु जैन ने ये भी दावा किया है कि एएसआई की टीम जब मंदिर के भीतर सर्वे करने गई तो उसे इसके भीतर तहखानों में मूर्तियों के अवशेष मिले हैं. इसी के साथ उन्होंने रिपोर्ट के आधार पर कहा है कि मस्जिद के निर्माण के लिए जिन स्तंभों और पिलरों का इस्तेमाल किया गया है, वे पहले से मौजूद मंदिर के हैं. इसी के साथ रिपोर्ट में मस्जिद की पीछे की दीवार को एक मंदिर की दीवार बताया गया है.

-भारत एक्सप्रेस

Archana Sharma

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