विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की जारी नवीनतम विश्व मलेरिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने मलेरिया के मामलों और मृत्यु दर को कम करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है. मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है जो मादा एनोफिलीज मच्छरों द्वारा मनुष्यों में फैलती है. इसे रोका जा सकता है और इसका इलाज संभव है.
रिपोर्ट से पता चला है कि देश में मलेरिया के अनुमानित मामलों की संख्या 2017 के 64 लाख से घटकर 2023 में 20 लाख रह गई जो 69 प्रतिशत की गिरावट है.
इसी अवधि के दौरान मलेरिया से होने वाली मौतों की अनुमानित संख्या भी 11,100 से घटकर 3,500 पर आ गई, जो 68 प्रतिशत की कमी को दिखाती है. डब्ल्यूएचओ ने कहा, “भारत 2024 में आधिकारिक तौर पर हाई बर्डेन टू हाई इम्पैक्ट (एचबीएचआई) समूह से बाहर हो गया है.”
एचबीएचआई दृष्टिकोण एक लक्षित मलेरिया रिस्पॉन्स है जिसका उपयोग कई उच्च बोझ वाले देशों में मलेरिया उन्मूलन की गति को तेज करने के लिए किया जाता है. भारत जुलाई 2019 में एचबीएचआई पहल में शामिल हुआ था. एचबीएचआई पहल देश के चार राज्यों छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में शुरू की गई थी.
इसके अलावा रिपोर्ट से पता चला है कि साल 2023 में डब्ल्यूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में मलेरिया के अनुमानित मामलों में से आधे भारत से थे. उसके बाद इंडोनेशिया का स्थान है, जिसकी हिस्सेदारी लगभग एक-तिहाई है. साल 2023 में इस क्षेत्र में मलेरिया से प्रभावित आठ देश थे, जिनमें 40 लाख मामले थे तथा वैश्विक स्तर पर मलेरिया के मामलों में इनका योगदान 1.5 प्रतिशत रहा.
इस क्षेत्र में अनुमानित सभी मामलों में से लगभग 48 प्रतिशत प्लाजमोडियम विवैक्स नामक परजीवी के कारण थे. हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर साल 2000 से 2023 तक मलेरिया के मामलों में 82.4 प्रतिशत की कमी आई. इनकी संख्या साल 2000 में 2.28 करोड़ थी. जोखिम वाली आबादी में मलेरिया की दर भी इस दौरान साल 2000 के 1.77 प्रतिशत से 87 प्रतिशत घटकर 0.23 प्रतिशत रह गई.
डब्ल्यूएचओ ने बताया, ”इस कमी का मुख्य कारण भारत में अनुमानित मामलों में 1.77 करोड़ की कमी तथा जोखिम वाली प्रति 1000 की जनसंख्या पर मामलों की संख्या 20 से कम होकर 1.5 रह जाना है जो 93 प्रतिशत की कमी को दर्शाता है.” रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2023 में इस क्षेत्र में मलेरिया से होने वाली अनुमानित कुल मौतों में से लगभग 88 प्रतिशत भारत और इंडोनेशिया में दर्ज की गई.
क्षेत्र के भूटान और तिमोर-लेस्ते में क्रमशः 2013 और 2015 से मलेरिया से कोई मौत नहीं हुई है, जबकि श्रीलंका को 2016 में मलेरिया मुक्त घोषित कर दिया गया था.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक सैमा वाजेद ने कहा कि यह प्रगति सदस्य देशों द्वारा अब तक की सर्वोच्च राजनीतिक प्रतिबद्धता के अनुरूप है, जो उप-राष्ट्रीय स्तर तक वर्षों से किए गए ठोस कार्यों और अथक प्रयासों से मेल खाती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2000 से मलेरिया के अनुमानित 2.2 अरब मामलों और 1.27 करोड़ मौतों को टाला गया, लेकिन यह रोग विशेष रूप से विश्व स्वास्थ्य संगठन के अफ्रीकी क्षेत्र में एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य खतरा बना हुआ है.
साल 2023 में दुनिया भर में मलेरिया के 26.3 करोड़ मामले सामने आए जो 2022 की तुलना में 11 लाख अधिक है. साथ ही 5,97,000 मौतें भी हुईं.
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने कहा, “जीवन रक्षक उपकरणों का एक विस्तारित पैकेज अब बीमारी के खिलाफ बेहतर सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन उच्च बोझ वाले देशों में खतरे को कम करने के लिए निवेश और उपायों में तेजी की आवश्यकता है.”
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-भारत एक्सप्रेस
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