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मध्य प्रदेश चुनाव से पहले बदले-बदले नजर आ रहे हैं ‘महाराज’, क्या सिंधिया की होने जा रही है घर वापसी?

Jyotiraditya Scindia : मध्य प्रदेश चुनाव से ठीक पहले केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी प्रमोद टंडन कांग्रेस में लौट आए हैं. टंडन को रामकिशोर शुक्ला और दिनेश मल्हार के साथ इंदौर में पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख कमल नाथ ने औपचारिक रूप से कांग्रेस में फिर से शामिल किया.

टंडन तब बीजेपी में शामिल हुए थे जब ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके करीबी कई कांग्रेस विधायक मार्च 2020 में पार्टी में शामिल हो गए थे. इसके बाद कमल नाथ की सरकार भी गिर गई थी. बीजेपी ने टंडन को राज्य भाजपा की कार्यसमिति का सदस्य बनाया था, लेकिन उन्होंने हाल ही में इस्तीफा दे दिया. उनके बारे में कहा जाता था कि वे ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनसे पहले उनके पिता स्वर्गीय माधवराव सिंधिया के कट्टर वफादार थे.

इससे पहले भी सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल होने वाले कई नेताओं ने घर वापसी कर ली है. हाल ही में भाजपा कार्यसमिति के एक अन्य सदस्य समंदर पटेल 18 अगस्त को भोपाल में सैकड़ों समर्थकों के साथ कांग्रेस में लौट आए थे. सियासी जानकारों का मानना है कि चुनाव से ठीक पहले सिंधिया भी कांग्रेस का हाथ थाम सकते हैं.

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सोनिया से बढ़ी है सिंधिया की नजदीकी

बता दें कि हाल ही में संसद के विशेष सत्र के दौरान सिंधिया सोनिया गांधी के साथ बैठे नजर आए थे. सूत्रों के हवाले से खबर ये भी है कि सिंधिया बीजेपी से नाराज चल रहे हैं. कांग्रेस से बीजेपी में आने का उन्हें माकूल इनाम तो मिला. पार्टी ने केंद्रीय मंत्री भी बनाया. लेकिन पार्टी के अंदर उनके खिलाफ बगावत के स्वर बुलंद हो रहे हैं. हालांकि, कांग्रेस को जो घाव ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दिए वह इतनी आसानी से भुलाने वाली तो है नहीं, लेकिन सोनिया के बगल में बैठे सिंधिया ने बीजेपी को संकेत तो दे ही दिया है. कहीं न कहीं सिंधिया के मन में मध्य प्रदेश को लेकर कोई खिचड़ी तो पक ही रही है!

बीजेपी में सिंधिया के खिलाफ हैं लोग

हाल ही में मध्य प्रदेश से बीजेपी के पूर्व विधायक सत्यनारायण सत्तन ने कहा था कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस क्यों छोड़ी. उन्होंने कहा कि सिंधिया ने स्वार्थ के लिए बीजेपी ज्वाइन की थी. सिंधिया से पार्टी को कोई फायदा नहीं हो रहा केवल नुकसान के. सिंधिया के साथ आए नेता फिर वापस जा रहे हैं. ये दिखाता है कि लोग स्वार्थ के लिए जा रहे हैं. लेकिन जनता देख रही है लोग सभी को समझ रहे हैं आने वाले चुनाव में उनको जवाब देंगे.

वहीं सियासी जानकारों का मानना है कि सिंधिया अपने सहयोगियों की टिकट के लिए भी चिंतित हैं. हाल ही में सिंधिया ने कहा भी था कि चुनाव के वक्त जिसे जहां से मौका मिले जाना चाहिए. इसमें कोई बुराई नहीं है. वहीं टिकट बंटवारे पर अमित शाह ने साफ-साफ कहा है कि ‘दूल्हा कैसा भी हो, उसकी बुराई न करें’. संगठन के लिए ही काम करें. दूल्हे से उनका मतलब विधानसभा उम्मीदवारों से था. टिकट बंटवारे में नेताओं को साधना पार्टी के लिए मुसीबत बना हुआ है.

बदले-बदले नजर आए सिंधिया

बता दें कि सियासी अटकलों के बीच केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया बीते 1 साल में दलितों के प्रति प्रेम जाहिर करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. इसी साल एक कार्यक्रम के दौरान सिंधिया ने दलित के पैर छुए थे. कुछ ही महीने पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दलित समाज के लोगों के साथ एक सहभोज का आयोजन किया, जिसमें सिंधिया ने अपने हाथों से भोजन परोसा, बल्कि उनके साथ बैठकर भोजन भी किया था. मतलब साफ है कि सिंधिया सियासी पिच पर खुद की पारी खेल रहे हैं.

-भारत एक्सप्रेस

 

 

 

 

 

Rakesh Kumar

Sr. Sub-Editor

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