टाटा ग्रुप के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा का बुधवार रात मुंबई के कैंडी अस्पताल में 86 साल की अवस्था में निधन हो गया. सोमवार से ही रतन टाटा गहन देखभाल में थे. त्योहारों को लेकर उत्साहित जमशेदपुर शहर में इस घटना की सूचना मिलते ही बाजार जैसे एकदम शांत सा हो गया. पंडालों के लाउड स्पीकर बंद कर दिए गए. जश्न में डूबा शहर अचानक गमगीन दिखने लगा. आपको बतातें चलें कि वैसे तो रतन टाटा के निधन की खबर जिसको मिली सभी दुखी थे, लेकिन एक पूरे शहर का गमगीन हो जाना बहुत कुछ कहता है. इसका मुख्य कारण है टाटा ग्रुप द्वारा जमशेदपुर में किए गए कार्य…
जमशेदपुर में आलम ये था कि लोगों को जैसे ही देहांत की खबर लगी एक बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर निकल टाटा स्टील के प्लांट के गेट के पास पहुंचगए जहां दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. खबरों की मानें तो फिलहाल, कंपनी परिसर को बंद कर दिया गया है.
रतन टाटा ने अपने करियर की शुरुआत जमशेदपुर से की थी. उन्होंने टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी जो अब टाटा मोटर्स के नाम से जानी जाती है में 6 महीने की ट्रेनिंग ली. इसके बाद उन्होंने टाटा स्टील में काम किया. 1965 में वे टिस्को के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में भेजे गए. यहां उन्होंने टेक्निकल ऑफिसर के रूप में काम किया.
जमशेदजी नुसरवाजी टाटा ने 1907 में टाटानगर की स्थापना की थी. आदिवासी गांव साकची में टाटा कंपनी की नींव रखी गई थी. इसके बाद उनके बड़े बेटे सर दोराबजी टाटा ने सबसे पहले टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी की स्थापना की. 1919 में भारत के गवर्नर जनरल वायसराय लॉर्ड चेम्सफोर्ड ने जमशेदजी नुसरवाजी टाटा के सम्मान में इस जगह का नाम जमशेदपुर रखा. साकची से करीब 5 किलोमीटर गुजरने वाली हावड़ा-मुंबई रेल लाइन पर स्थित कालीमाटी स्टेशन का नाम बदलकर टाटानगर स्टेशन कर दिया गया. रतन टाटा, टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के दत्तक पोते नवल टाटा के बेटे थे. जब जेआरडी के उत्तराधिकारी को चुनने की बात आई तो रतन टाटा को सबसे योग्य माना गया.
टाटा स्टील प्लांट के निर्माण के बाद शहर में टाटा ग्रुप ने टीएमएच की स्थापना की. शुरुआत में तो इसे कंपनी के कर्मचारियों के लिए ही उपयोग में लिया गया, लेकिन समय अंतराल के बाद आम लोगों के लिए इसे अस्पताल में विकसित कर दिया गया.
झारखंड से गहरे लगाव के कारण उन्होने लोगों की स्वास्थ्य सुविधाओं का विशेष द्यान था. जिसके लिए टाटा ग्रुप ने यहां 2018 में कैंसर अस्पताल की नींव रखी. इस अस्पताल का काम फिलहाल चल रहा है और यह जल्द ही शुरू हो जाएगा. जिसके बाद यह पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा कैंसर अस्पताल बनेगा.
अच्छी गुणवत्ता युक्त शिक्षा के लिए टाटा की तरफ से एक्सएलआई स्थापना की गयी. इस कॉलेज की गुणवत्ता का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसकी तुलना देश के प्रमुख आईआईएम संस्थानों से की जाती है. साल 1946 में इसकी नींव रखी गयी और 1949 में यह बनकर तैयार हो गया.1960 में टाटा समूह के प्रयासों से ही आरआईटी की स्थापना हुई जिसे बाद में सरकार ने एनआईटी का दर्जा दे दिया.
रतन टाटा आखिरी बार 3 मार्च 2021 को स्थापना दिवस के मौके पर जमशेदपुर आए थे. उनके साथ टाटा ग्रुप के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन भी थे. यहां उनका स्वागत टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन ने किया था. रतन टाटा इस दिन जुबली पार्क में लाइट शो और टाटा स्टील कंपनी के मुख्य समारोह में शामिल हुए थे.
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को टाटा समूह के मानद चेयरमैन और दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा के निधन पर एक दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की. झारखंड के सीएम ने X पर किए अपने पोस्ट में कहा है कि झारखंड जैसे देश के पिछड़े राज्य को विश्व में पहचान दिलाने वाले टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन एवं पद्मविभूषण श्री रतन टाटा जी के देहावसान पर एक दिवसीय राज्यकीय शोक की घोषणा की जाती है.
-भारत एक्सप्रेस
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