Ramcharitmanas: जहां एक ओर पूरे प्रदेश में रामचरितमानस को लेकर तमाम विवाद खड़े किए जा रहे हैं तो वहीं यूपी के कानपुर जिले में एक प्रोफेसर हैं जो कि रामचरितमानस की चौपाइयों के माध्यम से रसायन विज्ञान (chemistry) पढ़ा रहे हैं. इससे वह न केवल बच्चों में अच्छे संस्कार विकसित कर रहे हैं, बल्कि रसायन विज्ञान के कठिन से कठिन फार्मुले को आसानी से समझा रहे हैं, ताकि बच्चों को याद हो सके.
भारत एक्सप्रेस के स्पेशल इंटरव्यू में केमिस्ट्री के प्रोफेसर डॉक्टर पीएस परिहार ने कहा कि वह किस तरह से रामचरितमानस की चौपाइयों के माध्यम से केमिस्ट्री को समझाते हैं. इसी के साथ उन्होंने ये भी बताया कि रामचरितमानस की चौपाइयां कहीं न कहीं वैज्ञानिक आधार लिए हुए हैं. वह कहते हैं कि उनके स्टूडेंट्स भी चौपाइयों की मदद से केमिस्ट्री की पीडायटिक टेबुल से लेकर विषय की थ्योरी डेरिविशन्स यहां तक की न्यूमेरिकल तक आसानी से समझ जाते हैं.
बता दें कि डॉक्टर पीएस परिहार के केमिस्ट्री पढ़ाने का यह तरीका चर्चा का विषय बना हुए है. वह चौपाइयों के माध्यम से बताते हैं कि चौपाइयां किस तरह से रिएक्शन केमिकल पीरियड टेबल के साथ जुड़ी हुई हैं. डॉक्टर परिहार का कहना है कि रामचरित मानस के किसी एक या दो चार चौपाई में नहीं बल्कि सारे 5 कांडों में केमिस्ट्री का समागम है. उन्होंने इससे सम्बंधित कई उदाहरण भी कैमरे के सामने प्रस्तुत किए, जिसे देखकर कोई भी हैरान हो सकता है.
प्रो. परिहार कहते हैं कि इन चौपाइयों के माध्यम से पढ़ाने पर विद्यार्थियों को केमिस्ट्री कठिन भी नहीं लगती है और उनको केमिस्ट्री के साथ ही रामायण की चौपाइयां भी याद हो जाती हैं. वहीं विद्यार्थियों ने भी अपने विचार प्रकट करते हुए भारत एक्सप्रेस को बताया कि जिस तरह से सर पढ़ाते हैं, उससे केमेस्ट्री के कठिन से कठिन फार्मुले भी उन्हें आसान लगने लगते हैं. इससे उनको एक साथ दो विषयों का ज्ञान भी मिल जाता है. छात्र बताते हैं कि अक्सर ही प्रतियोगी परीक्षाओं में कई टेक्निकल सवाल कर दिए जाते हैं और हिंदू धर्म ग्रंथों से भी सवाल आ जाते हैं. ऐसे में हमें अलग से रामचरितमानस को पढ़ने की आवश्यकता नहीं पड़ती. इस तरह से प्रतियोगी परीक्षा की भी तैयारी आसानी से हो जाती है.
बता दें कि हाल ही में सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस में दी गई कुछ चौपाइयों को लेकर आपत्ति जताई थी. इसके बाद सामने आए उनके बयान ने पूरे प्रदेश में बवाल मचा दिया. उन्होंने कहा था कि, रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया है. तुलसीदास ने इसे अपनी खुशी के लिए लिखा था. करोड़ों लोग इसे नहीं पढ़ते. उन्होंने सरकार से इस पर प्रतिबंध तक लगाने की मांग तक कर दी. स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को बकवास बताते हुए इसकी कुछ चौपाइयां हटवाने की मांग की थी. इसी के साथ उन्होंने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भी एक पत्र लिखकर कुछ चौपाइयों को हटाने अथवा संशोधित करने की मांग की है.
-लखनऊ से अर्चना शर्मा के साथ कानपुर से जेबा खान की रिपोर्ट.
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