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Siddiqui Kappan: दो साल बाद लखनऊ जेल से रिहा हुए केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन, PFI से जुड़े होने का लगा था आरोप

Kerala journalist Siddique Kappan: भारत में प्रतिबंधित संगठन पीएफआई (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) के साथ सक्रिय सदस्य के तौर पर जुड़े होने के आरोप में दो साल से लखनऊ की जेल में बंद केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन गुरुवार सुबह रिहा हो गए. जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि बहुत फाइट करने के बाद उनको रिहाई मिली है. जब पीएफआई से कनेक्ट होने के आरोप के बारे में उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह रिपोर्टिंग करने के लिए गए थे और उनके साथ जो तीन लोग थे वह स्टुडेंट्स थे. उन पर झूठा आरोप लगाया गया था. इस दौरान कप्पन ने ये भी कहा कि उनको मीडिया का सपोर्ट मिला.

बता दें कि अक्टूबर 2020 में कप्पन को गिरफ्तार किया गया था. दो साल से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद बुधवार को लखनऊ की सत्र अदालत ने कप्पन की रिहाई के आदेशों पर हस्ताक्षर कर दिए थे और गुरुवार सुबह वह लखनऊ जेल से बाहर आ गए. इसकी जानकारी कप्पन के वकील इशान बघेल ने मीडिया को दी. हालांकि कप्पन के बुधवार शाम को जेल से बाहर निकलने की उम्मीद थी, लेकिन उन्हें रिहा नहीं किया जा सका, क्योंकि मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम पर विशेष अदालत के न्यायाधीश बार काउंसिल के चुनाव में व्यस्त थे. रिहाई आदेश में जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजय शंकर पांडेय ने लखनऊ जेल अधीक्षक को कप्पन को रिहा करने का निर्देश दिया था, अगर वह किसी अन्य मामले में वांछित नहीं हैं तो. हालांकि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने 23 दिसंबर, 2022 को कप्पन को पीएमएलए मामले में जमानत दे दी थी.

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केरल के मलप्पुरम के निवासी, कप्पन 5 अक्टूबर, 2020 को उत्तर प्रदेश के हाथरस शहर में एक दलित महिला के सामूहिक बलात्कार और हत्या को कवर करने के लिए जा रहे थे, जब उन्हें तीन अन्य लोगों के साथ मथुरा टोल प्लाजा से गिरफ्तार किया गया था. पुलिस ने दावा किया था कि आरोपी पीएफआई के सक्रिय सदस्य थे और इलाके में कानून व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे थे. पत्रकार पर यूएपीए और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम सहित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था. बाद में उन्हें प्रवर्तन निदेशालय ने पीएमएलए मामले में बुक किया था.

-भारत एक्सप्रेस

Archana Sharma

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