खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह को भगोड़ा घोषित कर दिया गया है और पंजाब पुलिस उसकी तलाश में ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, उसे कुरुक्षेत्र में एक महिला के साथ भी देखा गया था. हालांकि, वह पुलिस की पकड़ में नहीं आ सका है. दूसरी तरफ, अमृतपाल को लेकर कई सनसनीखेज खुलासे हुए हैं.
थाई मसाज
दलजीत कलसी 13 सालों में 18 बार थाईलैंड के ट्रिप पर गया. अमृतपाल जब सिख सिद्धांतों का पालन किए बिना दुबई में रह रहा था, तब भी वह लग्जरी लाइफ जी रहा था. थाइलैंड की इतनी यात्राओं के पीछे के कारणों की जांच की जरूरत है, कहीं वह वेश्यावृत्ति या अन्य किसी गतिविधि में लिप्त तो नहीं था. क्या उसकी थाईलैंड में कोई प्रेमिका थी या थाईलैंड में उसकी दूसरी पत्नी थी.
अमृतपाल के संगठन में महिलाओं को कोई भूमिका नहीं दी गई. रीना रॉय (दीप सिद्धू की गर्लफ्रेंड) को अमृतपाल के दीप सिद्धू के साथ संबंध के बारे में खुलकर बात करने की इजाजत नहीं थी. किरणदीप कौर (अमृतपाल की पत्नी) को कैद में रखा और अमृतपाल द्वारा अक्सर पीटा जाता था. वह अपनी शादी को रिवर्स माइग्रेशन के तौर पर दर्शाना चाहता है कि वह पंजाब में रहेगा. लेकिन उसने एक भारतीय सिख लड़की से शादी क्यों नहीं की? दूसरों को कुछ और उपदेश देते हुए खुद एनआरआई से शादी क्यों किया. अगर असल में यह ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई थी तो उसे महिलाओं को सबसे आगे रखना चाहिए था. किसी भी परिवार की महिलाएं ‘उड़ता पंजाब’ की सबसे बड़ी पीड़ित हैं. ऐसे में, यह दर्शाता है कि यह ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई नहीं है, बल्कि केवल दिखावा है.
सेल्फ रेडिकलाइज्ड किलर असल में अमृतपाल का सहयोगी है. उसकी कार पर WPD का स्टीकर लगा था. हत्या से चार दिन पहले अमृतपाल ने व्यक्तिगत रूप से अपनी बैठक में मर्डर करने के लिए मोटिवेट किया. वास्तविक हत्यारे (संदीप सिंह उर्फ सनी) को अमृतपाल ने उसकी संलिप्तता के बारे में चुप रहने की धमकी दी थी. अमृतपाल सिंह द्वारा अन्य समुदायों के खिलाफ जानबूझकर जहरीले/उकसाने/सांप्रदायिक/हिंसक/भड़काऊ भाषण देने के पीछे के कारण का पता लगाने के लिए जांच की आवश्यकता है.
अमृतपाल, जो दीप सिद्धू की मृत्यु से पहले पंजाब पंथिक-राजनीतिक क्षेत्र में कहीं भी मौजूद नहीं था, इसका एक संदिग्ध अतीत रहा है. इसी वजह से वह इस बारे में खुलकर बात नहीं करता क्योंकि इससे उनकी छवि को नुकसान हो सकता है जिससे विश्वसनीयता में कमी आ सकती है. दुबई में ड्रग डीलर्स जसवंत सिंह रोड के साथ नजदीकी रही है, जिसका भाई पाकिस्तान से ऑपरेट कर रहा है. वह अपने पिछले जीवन के बारे में बात नहीं करता है जहां वह गैर-अमृतधारी था और सिख धार्मिक सिद्धांतों का पालन नहीं करता था. भारत आने के बाद, उसने और उसके संगठन ने एक धार्मिक कट्टरपंथी (विजिलेंस ग्रुप) के रूप में काम करना शुरू कर दिया, जो उसके पहले के व्यक्तित्व के बिल्कुल विपरीत है, जो स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि उसे भारत में भारतीय हित के लिए विरोधी ताकतों द्वारा भेजा गया है.
अमृतपाल के पास सिख रूढ़िवाद का अपना अलग तर्क है. उसके वर्जन का सिख धर्म के पवित्र धर्म के बारे में सच्चाई से कोई लेना-देना नहीं है. उसने सिख इतिहास के गौरवशाली अतीत को आसानी से नजरअंदाज कर दिया. उदाहरण के लिए जब गुरु नानक देव पैदल चले थे, अमृतपाल ड्रग माफिया रवेल सिंह द्वारा गिफ्ट की गई एक शानदार मर्सिडीज में घूम रहा था. बुजुर्गों और विकलांगों के लिए फर्नीचर रखने के लिए गुरुद्वारों की तोड़फोड़ की सिख इतिहास में कोई मिसाल नहीं है. डब्ल्यूपीडी के गुंडों द्वारा बेअदबी/अपवित्रीकरण में जानबूझकर शामिल होना. वह अपनी बात रखने के लिए जानबूझकर धार्मिक ग्रंथों को उद्धृत करते हुए उसे अपना कट्टरपंथी और हिंसक रूप देता है. आम सिख युवाओं द्वारा उसे धार्मिक उपदेशक के रूप में समझा जाता है. वह आम तौर पर महाराजा रणजीत सिंह के शासनकाल का हवाला देता है जहां सभी धर्म, जाति, पंथ के लोग एक साथ खुशी से रहते थे. जबकि अलग जमीन की उसकी मांग केवल सिखों के लिए एक जगह पाने की आकांक्षा है, जो अन्य धर्मों के साथ मिलकर रहने के सिख धर्म के मूल सिद्धांत की निंदा करती है.
वह भगत सिंह और भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ने वाले राष्ट्रीय सिख नायकों की निंदा करता है. उसने कहा कि शहीद भगत सिंह ने एक समुदाय और एक राष्ट्र के विचार को गलत तरीके से प्रचारित किया. उसका कहना था कि शहीद भगत सिंह उतने महान व्यक्ति नहीं थे जितना कि उन्हें दिखाया गया था और उनको फांसी पर लटका दिया गया था, केवल यह उनकी पूजा करने का कारण नहीं हो सकता. ऐसा करके, उसने न केवल स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष को कमतर आंका, बल्कि 1947 में भारत द्वारा प्राप्त स्वतंत्रता के पोषित विचारों की निंदा करके अपने अनुयायियों को राष्ट्र-विरोध के लिए भी उकसाया.
-अमृतपाल के उकसावे पर बाबा बंदा सिंह बहादुर इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवासी छात्रों को निशाना बनाया गया और उन्हें घेर लिया गया. अमृतपाल सिखों के ईसाई धर्म में धर्मांतरण और मिशनरियों द्वारा क्राउड फंडिंग का मुद्दा उठाते रहा है. उसने यह कहकर ईसा मसीह को नीचा दिखाने की कोशिश की कि वह खुद को नहीं बचे, तो वह दूसरों के लिए क्या कर सकते हैं. सी तरह के भड़काऊ भाषण हिंदू धर्म के खिलाफ भी वह देता है.
अमृतपाल सिंह की हालिया गतिविधियां इस तथ्य की ओर इशारा करती हैं कि वह कैसे व्यवस्थित रूप से सिखों को कट्टरपंथी बनाने की कोशिश कर रहा है. पिछले 10 दिनों में, अमृतपाल ने पांच कार्यक्रमों (अमृतसर, मुख्तसर, तरन तारन, मनसा और कपूरथला) में भाग लिया था, जहां 800-1000 लोगों का जमावड़ा था. इस दौरान उसने सिक्खों को ड्रग्स से मरने के बजाय सिक्ख पंथ के लिए अपने प्राणों की आहुति देने के लिए तैयार रहने का आग्रह किया. उसने आरोप लगाया कि सरकार सिखों के शस्त्र लाइसेंस रद्द करके उन्हें निहत्था बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. गुरु गोबिंद सिंह (10वें सिख गुरु) ने सिखों को हथियार रखने का आदेश दिया था ताकि सरकार द्वारा उन्हें सताने पर वे अपनी, अपने परिवार और धर्म की रक्षा कर सकें.
उसने आगे सरकार से सिखों के साथ शांति से बातचीत करने, उन्हें उनके अधिकार देने, सिखों के साथ हुई जबरदस्ती को स्वीकार करने और उसके लिए माफी मांगने के लिए कहा. पंजाब की भावी पीढ़ियों के लिए खालसा शासन प्राप्त करने के लिए युवाओं को एकजुट होने का आग्रह करते हुए, उसने दावा किया कि सिख पंथ विभाजित था जिसके कारण दुश्मन उन पर हमला कर रहे थे और उनकी कमजोरी का फायदा उठा रहे थे. उसने कहा कि पंजाब में ड्रग्स की समस्या के लिए पाकिस्तान को दोष नहीं देना चाहिए क्योंकि दिल्ली और हरियाणा से पंजाब ड्रग्स आता है. उन्होंने दावा किया कि मूसेवाला की हत्या में शामिल सिखों का इस्तेमाल ‘तिलकधारी’ द्वारा एक सिख को मारने के लिए किया गया था.
अमृतपाल पाकिस्तान में सिख समुदाय को दी जाने वाली विभिन्न यातनाओं पर चुप रहा है, जिसमें जबरदस्ती धर्मांतरण के लिए नाबालिग सिख लड़कियों का अपहरण, गुरुद्वारा ननकाना साहिब पर हमला, महाराजा रणजीत सिंह की मूर्ति को नुकसान पहुंचाना और पाकिस्तान में एक गुरुद्वारा को बंद करना शामिल है. क्या वे सिख नहीं हैं और क्या उनकी चीखें अमृतपाल को सुनाई नहीं देती हैं.
वह पंजाब के शांतिपूर्ण माहौल को खराब करना चाहता था और इसका अंदाजा वरिंदर सिंह के अपहरण और हमले में शामिल होने से लगाया जा सकता है. अजनाला की घटना के दौरान अधिकारियों की खुलेआम अवहेलना करना और पुलिसकर्मियों को घायल करना, कपूरथला और जालंधर के गुरुद्वारों में तोड़फोड़ के साथ बेअदबी में शामिल होना, ईसा मसीह और हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ भड़काऊ भाषण देकर सांप्रदायिक माहौल को खराब करना, हिंसा के लिए युवाओं का इस्तेमाल करना और आनंदपुर खालसा फोर्स (AKF) के रूप में अपना संगठन खड़ा करके बंदूक संस्कृति को बढ़ावा देना, राष्ट्रीय अखंडता के लिए खतरा, पंजाब सरकार के खुले में हथियारों का प्रदर्शन नहीं करने के आदेश को नजरअंदाज करना… इसकी लिस्ट काफी लंबी है.
कटे बालों वाला ट्रक ड्राइवर अमृतपाल दुबई में आधुनिक तरीके से जीवन जी रहा था. वहीं एक्टर दलजीत कलसी वित्तीय धोखाधड़ी/पोंजी स्कीम में शामिल था और अक्सर थाईलैंड जाता था. पपलप्रीत ने अमृतपाल की भागने में मदद की. वहीं गुरमीत बुक्कनवाला की फर्नीचर की दुकान है. इन सभी का मकसद पैसा कमाना और कम समय में पावर हासिल करना था. इस सभी ने अपने स्वार्थ के लिए हाथ मिलाया. वे बड़ी महत्वाकांक्षाओं और कम क्षमताओं वाले लोग हैं. इन लोगों ने दीप सिद्धू की आकस्मिक मौत को भुनाया.
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