दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को 2021-22 आबकारी नीति से संबंधित कथित धन शोधन मामले में निचली अदालत के आदेश के खिलाफ अपनी याचिका 35 आरोपियों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से देने की अनुमति दे दी, क्योंकि इससे जनता का पैसा बचेगा. ईडी ने तर्क दिया कि सभी आरोपियों को 1,500 पन्नों की अपील पत्रक देने में लगभग 3 लाख रुपये खर्च होंगे.
जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने जांच एजेंसी के उस आवेदन को अनुमति दे दी, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक मोड के माध्यम से आरोपियों के साथ-साथ उनके वकील को याचिका की प्रति देने की बात कही गई थी.
हाई कोर्ट ने मामले में क्या कहा?
अदालत ने कहा कि यदि कोई आरोपी भौतिक या सुपाठ्य प्रति मांगेगा, तो अनुरोध पर विचार किया जाएगा. हाई कोर्ट ने इससे पहले आप नेताओं अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह सहित 40 आरोपियों से ईडी की याचिका पर जवाब मांगा था, जिसमें निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उन्हें मामले में अविश्वसनीय दस्तावेज उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था.
इसलिए अदालत पहुंची ईडी
ईडी ने इलेक्ट्रॉनिक मोड के माध्यम से शेष 35 आरोपियों को नोटिस जारी करने की अनुमति देने के लिए अदालत से संपर्क किया. अदालत ने मामले में स्थगन के लिए ईडी के आवेदन पर भी नोटिस जारी किया था. मामले की अगली सुनवाई अगले साल 30 जनवरी को होगी.
नवंबर में ट्रायल कोर्ट ने ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी व्यक्तियों को चार्जशीट और शेष अविश्वसनीय दस्तावेजों (जिनका उपयोग अभियोजन पक्ष द्वारा अपने मामले का समर्थन करने के लिए नहीं किया गया है) के डिजिटल रिकॉर्ड की आपूर्ति करने का निर्देश दिया था.
केजरीवाल और कविता वाला मामला
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, आप नेता मनीष सिसोदिया और संजय सिंह और बीआरएस नेता के कविता इस मामले में कुछ आरोपी हैं. मामले में कई व्यवसायी भी आरोपी हैं.
ईडी के वकील ने तर्क दिया था कि ट्रायल कोर्ट का आदेश सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विपरीत है. उन्होंने कहा था कि दस्तावेजों की जांच के चरण में ट्रायल कोर्ट ने ईडी को आरोपी को अविश्वसनीय दस्तावेज मुहैया कराने का निर्देश दिया था. हालांकि, शीर्ष अदालत के निर्देश के अनुसार इस स्तर पर केवल अविश्वसनीय दस्तावेजों की एक सूची दी जानी है, न कि दस्तावेज, ईडी के वकील ने तर्क दिया था.
सीबीआई और ईडी के अनुसार, आबकारी नीति को संशोधित करते समय कथित रूप से अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया. दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को नीति लागू की और भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत तक इसे खत्म कर दिया. धन शोधन का मामला दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना द्वारा आबकारी नीति के कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं की जांच की सिफारिश करने के बाद दर्ज सीबीआई मामले से उपजा है.
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