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मां पीतांबरा देवी के महायज्ञ में अखिलेश यादव को दिखाए गए काले झंडे, सपा प्रमुख बोले- बीजेपी ने भेजे गुंडे

Lucknow News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के झूलेलाल पार्क में कई दिनों से चल रहे मां पीतांबरा देवी के महायज्ञ में शामिल होने पहुंचे सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को राम भक्तों ने काला झंडा दिखाकर विरोध किया. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव ने सनातन धर्म के नियमों का उल्लंघन किया, इसीलिए उनको काला झंडा दिखाया गया.

वहीं अखिलेश यादव ने कहा, “बीजेपी बेरोजगारी और महंगाई पर काम नहीं कर पा रही है. इसलिए इस तरह के काम कर रही है. अब मैं समझ सकता हूं कि बीजेपी सरकार ने जानबूझकर मेरी एनएसजी क्यों हटाई. सिक्योरिटी क्यों कम की. मेरा घर क्यों छीना. यूपी में किसी के साथ कुछ भी हो सकता है. आज मैं समझ सकता हूं. ये बीजेपी के लोग हैं.”

सपा प्रमुख ने कहा, “बीजेपी के लोग हम लोगों को शूद्र मानते हैं. उनको ये तकलीफ है कि हम लोग क्यों जा रहे हैं गुरु- संत लोगों से आशीर्वाद लेने. समय बदलेगा. तब उन्हें पता चलेगा…, स्वामी प्रसाद मौर्य को कहा है कि जाति जनगणना के मामले में आगे बढ़ें.” अखिलेश ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, “यहां यज्ञ में शामिल होने आया था मगर भाजपा के पेट में दर्द हो रहा है. मुझे यहां पर कार्यक्रम में जिन लोगों ने बुलाया था, उनको भाजपा और RSS से धमकी मिल रही है. धर्म का कोई ठेकेदार नहीं होता है. BJP ने यहां गुंडे भेजे कि मैं कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकूं.”

रामभक्तों ने क्या कहा

वहीं इस मामले में राम भक्तों का कहना है कि अखिलेश की पार्टी के ही नेता ने स्वामी प्रसाद मौर्य ने श्रीरामचरितमानस का अपमान किया है. उन्होंने कहा कि सपा नेता ने संतों, महंतों पर भी विवादित टिप्पणी की लेकिन अभी तक उन्होंने उनको पार्टी से बाहर नहीं किया है, बल्कि उनको पार्टी की अन्य जिम्मेदारियां सौंप रहे हैं. यज्ञ में मौजूद राम भक्तों ने कहा कि उनको यज्ञ में पीले वस्त्र धारण कर के आना चाहिए था. उनकी पार्टी के लोग सनातन धर्म का अपमान कर रहे हैं और वह यज्ञ में जाकर खुद को सनातनी होने का दावा कर रहे है, ये सिर्फ एक ढोंग है.

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जानें क्या कहा था सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्या ने

मालूम हो कि हाल ही में सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने विवादित टिप्पणी करते हुए कहा था कि रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया है. तुलसीदास ने इसे अपनी खुशी के लिए लिखा था. करोड़ों लोग इसे नहीं पढ़ते. उन्होंने सरकार से इस पर प्रतिबंध तक लगाने की मांग तक कर दी. मौर्य ने रामचरितमानस को बकवास बताते हुए इसकी कुछ चौपाइयां हटवाने की मांग की थी. इसी के बाद उन्होंने संतों और महंतों के लिए भी विवादित बयान दिया था.

-भारत एक्सप्रेस

Archana Sharma

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