Maharashtra: महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी एक बार फिर सुर्खियों में हैं. एक अधिकारी द्वारा इस बात की जानकारी मिली है कि इस बार उन्होंने अपने पद से त्याग पत्र देने की इच्छा जताई है. भगत सिंह कोश्यारी अपनी यह बात पिछले सप्ताह मुंबई यात्रा पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने भी रख चुके हैं. प्रधानमंत्री के सामने अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा था कि वह अब अपना आगे का जीवन पढ़ने, लिखने और दूसरे आराम करने वाली गतिविधियों में बिताना चाहते हैं.
इस संबंध में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का कहना है कि समाज सुधारकों, संतों और बहादुर सेनानियों की भूमि महाराष्ट्र जैसे महान राज्य के राज्य सेवक या राज्यपाल के रूप में अपनी सेवा देना मेरे लिए पूरे सम्मान और सौभाग्य की बात थी. पिछले 3 वर्षों के दौरान मैं महाराष्ट्र के लोगों से मिले प्यार और स्नेह को कभी नहीं भूल सकता.
प्रधानमंत्री मोदी की हाल ही में हुई मुंबई यात्रा के दौरान, मैंने उन्हें सभी तरह की राजनीतिक जिम्मेदारियों से मुक्त होने और अपना शेष जीवन पढ़ने, लिखने और दूसरी गतिविधियों में बिताने की अपनी इच्छा से अवगत कराया है. उन्होंने कहा कि उन्हें हमेशा प्रधानमंत्री से प्यार और स्नेह मिला है. उन्होंने इस बात की उम्मीद जताई कि यह आगे भी जारी रहेगा.
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से विवादों का है पुराना नाता
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को अपने बयानों को लेकर कई बार विवादों का सामना करना पड़ा है. इस बार उन्होंने अपने पद से मुक्त होने की बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने रखी है. महाराष्ट्र में अभी तक बतौर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी लगभग तीन साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं.
राज्यपाल पद को छोड़ने की अपनी यह इच्छा वह ट्विटर के जरिए भी साझा कर चुके हैं. अपने ट्विट्स के क्रम में उन्होंने यह भी कहा है कि वह बहुत जल्द राज्यपाल के पद से मुक्त हो जाएंगे. पद त्यागने का उन्होंने अपना पूरा मन भी बना लिया है.
महाराष्ट्र के राज्यपाल शिवाजी को लेकर दे चुके हैं यह विवादित बयान
छत्रपति शिवाजी को लेकर पिछले ही साल भगत सिंह कोश्यारी ने एक विवादित बयान दिया था. एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि जब हम स्कूल में पढ़ते थे तो हमारे शिक्षक हमसे पूछा करते थे कि आपके पसंदीदा नेता कौन हैं तो इस सवाल के जवाब में लोग अपने मन मुताबिक अलग-अलग नाम लेते थे. अपने जवाब में कोई पंडित जवाहरलाल नेहरू तो कोई महात्मा गांधी तो कोई सुभाष चंद्र बोस का नाम लेकर उन्हें अपना हीरो बताता था.
अपने इस भाषण में उन्होंने आगे कहा था कि लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि आप से अगर अब कोई आपका फेवरेट हीरो पूछे तो दूर जाने की जरूरत नहीं है. यहीं महाराष्ट्र में ही आपको सब कुछ मिल जाएगा. बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा था कि छत्रपति शिवाजी महाराज तो पुराने जमाने की बात हैं. मैं इस नए युग की बात कर रहा हूं कि सब यहीं मिल जाएंगे. इसके आगे उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर से लेकर नितिन गडकरी तक आपको यहीं मिल जाएंगे.
गुजराती और राजस्थानी को लेकर दिया था यह बयान
गुजराती और राजस्थानी लोगों को लेकर दिए एक बयान में उन्होंने कहा था कि अगर राजस्थानी और गुजराती लोगों को मुंबई और ठाणे से हटा दिया जाए तो मुंबई में पैसा नहीं बचेगा. वहीं उनके एक बयान में उन्होंने मुंबई यूनिवर्सिटी में एक बिल्डिंग में बने हॉस्टल का नाम स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर के नाम पर रखने का आदेश वाइस चांसलर को दिया था.
इसके अलावा राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने पिछले साल मार्च के महीने में औरंगाबाद में आयोजित एक कार्यक्रम में यह कहकर बखेड़ा खड़ा कर दिया था कि छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु स्वामी समर्थ रामदास थे.
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