यूपी के मदरसों पर योगी सरकार के सर्वे में बेहद चौंकाने वाली जानकारियां निकलकर सामने आ रही हैं. ये जानकारियां सभी मदरसों से जुटाई जा रही हैं.सूबे में कुछ ऐसे मदरसे हैं जो मान्यता प्राप्त हैं और सरकार से किसी भी तरह की कोई सहायता नहीं लेते हैं.कुछ ऐसे मदरसे भी हैं जो गैरकानूनी तौर पर चल रहे हैं साथ ही जिनकी फंडिग का स्रोत पता नहीं है.लेकिन अब इस मामले में बीएसपी सुप्रीमो कूद पड़ी हैं उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमला करते हुए कहा है कि, अगर गैर मान्यता प्राप्त मदरसे प्रदेश पर बोझ नहीं बनना चाहते हैं, यह मदरसे गरीब बच्चों को तालीम देने में लगे हैं तो फिर सरकार दखल क्यों दे रही है.
उतर-प्रदेश में मदरसों की शिक्षा व्यवस्था सुधारने और उनका आधुनिकीकरण करने के मकसद से योगी सरकार मदरसों का सर्वे करा रही है. इन सर्वे के दौरान अधिकारियों को 7500 ऐसे मदरसे मिले हैं जो गैर-मान्यता प्राप्त है. इस लिस्ट में 156 साल पुराना दारुल उलूम देवबंद मदरसा भी शामिल है.
योगी सरकार द्वारा मदरसों को सर्वे कराकर उसकी जांच पर मायावती ने हमला किया है. पूर्व सीएम मायावती ने अपने ट्वीट हैंडल पर लिखा , ‘यूपी सरकार द्वारा विशेष टीम गठित करके लोगों के चन्दों पर आश्रित प्राइवेट मदरसों के बहुचर्चित सर्वे का काम पूरा, जिसके अनुसार 7,500 से अधिक गैर-मान्यता प्राप्त मदरसे गरीब बच्चों को तालीम देने में लगे हैं. ये गैर सरकारी मदरसे सरकार पर बोझ नहीं बनना चाहते तो फिर इनमें दखल क्यों?’
मदरसों पर हो रहे सर्वे के मुद्दे पर सीएम योगी पर हमला बोलते हुए मायावती ने आगे कहा कि, ‘जबकि सरकारी मदरसा बोर्ड के मदरसों के टीचर और स्टाफ के वेतन आदि के लिए बजट प्रावधान के प्रावधान के लिए खासॉतौर से सर्वे कराया जाता है, तो क्या यूपी सरकार इन प्राइवेट मदरसों को अनुदान सूची में शामिल करके उन्हें सरकारी मदरसा बनाएगी ? उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान मदरसों पर बात करते हुए कहा कि, बीएसपी सरकार ने 100 मदरसों को यूपी बोर्ड में शामिल किया था’.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए मायावती ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था बदहाली पर है. उन्होंने प्रदेश की योगी सरकार के साथ-साथ केंद्र की मोदी सरकार और कांग्रेस पर भी हमला बोलते हुए कहा कि, वैसे यूपी और देश के अन्य सभी राज्यों में भी सरकारी स्कूलों के साथ-साथ पूरी शिक्षा व्यवस्था के हालात जो लगातार बदतर होते चले जा रहे हैं, जो किसी से भी छिपा नहीं है, फिर भी सरकारें लापरवाह औप उदासीन क्या इसलिए हैं कि वहां ज्यादातर गरीब और कमजोर वर्गों के बच्चे ही पढ़ते हैं?
-भारत एक्सप्रेस
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