Rajeshwar Singh: डॉक्टर राजेश्वर सिंह ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री को पत्र लिखा है. उन्होंने मांग की है कि भारत के स्कूलों में बुनियादी कानूनी शिक्षा को अनिवार्य बनाने के लिए एक विधायी ढांचे का निर्माण किया जाए. उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी पत्र लिखा है. उन्होंने पत्र में कहा कि भारत दुनिया की सबसे युवा आबादी में से एक है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021 में किशोरों द्वारा किए गए अपराधों की दर 2020 में 29,768 मामले से बढ़कर 2021 में 31,170 मामले हो गए हैं.
बाल अपराध की उच्च दर के पीछे प्राथमिक कारणों में से एक युवा वयस्कों में कानूनी साक्षरता की कमी है. किसी आपराधिक कृत्य के दंडात्मक परिणामों के बारे में जागरूकता उन लोगों को रोकेंगे जो सजा के डर से ऐसे अपराध करना चाहते हैं. इस प्रकार, इन अपराधों के संबंध में बुनियादी जानकारी देने से सकारात्मक परिणाम मिलेंगे और समाज और नाबालिगों में सकारात्मक बदलाव आएगा. इतना ही नहीं, होने वाले अपराधों में कमी आएगी. राष्ट्रीय क्षेत्रीय डेटा ग्रिड के अनुसार, सितंबर 2021 तक, भारत के सभी अदालतों में 4.5 करोड़ मामले लंबित हैं, जिससे केस क्लीयरेंस की दर में भारी गिरावट आई है. कानूनी शिक्षा के प्रावधान से जागरूकता का स्तर बढ़ेगा और अपराध पर लगाम लगेगी. संविधान प्रत्येक नागरिक को मानवीय गरिमा के साथ जीवन जीने का अधिकार सुनिश्चित करता है. इसका जिक्र (अनुच्छेद 21) में है.
प्रवर्तन निदेशालय के पूर्व अधिकारी राजेश्वर सिंह, जिन्होंने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन और कोयला ब्लॉक आवंटन में कथित अनियमितताओं जैसे बड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामलों की जांच की थी, ने यह भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21ए के तहत प्रदान किया गया शिक्षा का अधिकार “केवल तभी सार्थक हो सकता है जब शिक्षा प्रदान की जाए.” उन्होंने कहा, “किशोर अपराध की उच्च दर के पीछे प्राथमिक कारणों में से एक युवा वयस्कों के बीच कानूनी साक्षरता की कमी है.”
भारत में कैदियों पर एनसीआरबी के आंकड़ों का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा कि 2019 तक, देश में 31,431 कैदी थे जो 10 वीं कक्षा या उससे ऊपर के लेकिन स्नातक स्तर से नीचे के छात्र थे, जबकि 8,874 कैदी स्नातक थे. उन्होंने लिखा, “जाहिर तौर पर, आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने वाले कई व्यक्तियों की स्कूल प्रणाली तक पहुंच होती है, यह कानूनी शिक्षा इनमें से अधिकांश व्यक्तियों को ऐसी आपराधिक गतिविधियों से रोक सकती है.”
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उन्होंने कहा कि अपराधों और आपराधिक न्याय प्रणाली का बुनियादी ज्ञान प्रदान करने से “सकारात्मक परिणाम मिलेंगे और समाज में सकारात्मक बदलाव आएगा और नाबालिगों द्वारा किए जाने वाले अपराध कम होंगे.” विधायक ने सुझाव दिया कि स्कूली बच्चों को प्रासंगिक अपराधों के बारे में शिक्षित किया जाए, जिनमें साइबर अपराध, नशीले पदार्थों का सेवन और कब्ज़ा, रैगिंग, चोरी, लापरवाही से गाड़ी चलाना, पीछा करना और संबंधित यौन अपराध शामिल हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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