Natwar Singh: शनिवार रात पूर्व विदेश मंत्री के नटवर सिंह का निधन होने के बाद राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ गई है. उनके निधन की जानकारी उनके पारिवारिक सूत्रों ने दी है. गुरुग्राम के एक अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. वह 95 वर्ष के थे. उनके परिवार के मुताबिक इलाज के लिए उनको अस्पताल में करीब दो सप्ताह पहले भर्ती कराया गया था.
पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताया है. उनकी कूटनीति और विदेश नीति की प्रशंसा करते हुए उनके लेखन को भी सराहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया है और लिखा है- “नटवर सिंह जी के निधन से बहुत दुःख हुआ. उन्होंने कूटनीति और विदेश नीति की दुनिया में बहुत बड़ा योगदान दिया. वे अपनी बुद्धिमता के साथ-साथ विपुल लेखन के लिए भी जाने जाते थे. इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं. ओम शांति.”
बता दें कि पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने ‘द लिगेसी ऑफ नेहरू: ए मेमोरियल ट्रिब्यूट’, ‘टेल्स फ्रॉम मॉडर्न इंडिया’, ‘ट्रेजर्ड एपिस्टल्स’ और आत्मकथा ‘वन लाइफ इज नॉट इनफ’ सहित लगभग एक दर्जन किताबें भी लिखीं. वह 2004-05 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया था. सूत्रों के मुताबिक उनका अंतिम संस्कार रविवार को दिल्ली में किया जाएगा, जिसमें शामिल होने के लिए राजस्थान से उनके परिवार के कई सदस्य दिल्ली आ रहे हैं.
उनको 1953 में भारतीय विदेश सेवा के लिए चुना गया था, जिसे उन्होंने 1984 में छोड़ दिया. फिर वो कांग्रेस के टिकट पर राजस्थान के भरतपुर से चुनाव लड़े और लोकसभा सांसद बने. 1985 में, उन्हें केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई और उन्हें इस्पात, कोयला और खान तथा कृषि विभाग आवंटित किए गए. 1986 में वह विदेश मामलों के राज्य मंत्री बने.
उन्होंने पाकिस्तान में भारत के राजदूत के रूप में भी काम किया. उनको 1987 में न्यूयॉर्क में आयोजित निरस्त्रीकरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का अध्यक्ष चुना गया था. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 42वें सत्र में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भी किया था.
नटवर सिंह ने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज में इतिहास में पढ़ाई करने के बाद कैम्ब्रिज, यूके और चीन में पेकिंग विश्वविद्यालय में भी पढ़ाई की. नटवर सिंह ने मात्र 22 साल की उम्र में ही यानी 1953 में आईएफएस ज्वाइन किया था. 1983 में नई दिल्ली में गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन की प्रारंभिक समिति के प्रमुख के रूप में कार्य करने के बाद उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. वह यूके में 1973-77 के दौरान भारत के उप उच्चायुक्त के रूप में कार्य किया और फिर जाम्बिया में भारत के उच्चायुक्त बने. उन्होंने 1980-82 के दौरान पाकिस्तान में भारत के राजदूत के रूप में भी काम किया.
-भारत एक्सप्रेस
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