बीकानेर हाउस कुर्की मामले में राजस्थान की नगर पालिका नोखा ने पटियाला हाउस कोर्ट में मध्यस्थता पुरस्कार से संबंधित चल रही कार्यवाही के तहत 92 लाख 24 हजार रुपये जमा करवा दिए है. इसके बाद अदालत ने बीकानेर हाउस की कुर्की पर अंतरिम स्थगन बढ़ा दिया. हालांकि नगर पालिका ने पुरस्कार आदेश को चुनौती देने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय में अपील भी दायर की है.
पटियाला हाउस कोर्ट के जिला न्यायाधीश विद्या प्रकाश ने नगर पालिका को उच्च न्यायालय से कोई भी स्थगन आदेश पेश करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है. यदि ऐसा कोई स्थगन आदेश नहीं दिया जाता है, तो जमा की गई राशि मध्यस्थता पुरस्कार रखने वाली कंपनी मेसर्स एनवायरो इंफ्रा इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में जारी कर दी जाएगी.
वहीं कंपनी के अधिवक्ता साहिल गर्ग ने जमा की गई राशि में विसंगतियों के बारे में चिंता जताई. कोर्ट ने विपक्षी वकील को अगली सुनवाई की तारीख तक इस विसंगति को स्पष्ट करने का निर्देश दिया.
इसके अतिरिक्त न्यायालय ने राजस्थान के अधिवक्ता से न्यायालय के पिछले आदेश के संबंध में अपनी आपत्तियों का समाधान करने को कहा. मामले की अगली सुनवाई 1 फरवरी को होगी. यह मामला मेसर्स एनवायरो इंफ्रा इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में मध्यस्थता पुरस्कार के इर्द-गिर्द घूमता है.
29 नवंबर को, न्यायालय ने एक सप्ताह के भीतर बकाया राशि जमा करने पर बीकानेर हाउस की कुर्की पर सशर्त रोक लगा दी थी. यदि राशि का भुगतान नहीं किया गया, तो न्यायालय ने कुर्क की गई संपत्ति के लिए संभावित नीलामी कार्यवाही की चेतावनी दी थी.
यह विवाद नगर पालिका द्वारा पिछले न्यायालय के आदेशों का पालन करने में विफलता से उपजा है. नवंबर में, न्यायालय ने दिल्ली में बीकानेर हाउस की कुर्की के लिए वारंट जारी किया, क्योंकि एजेंसी बार-बार अवसरों के बावजूद संपत्ति का हलफनामा देने में विफल रही. अपने आदेश में न्यायालय ने कहा कि स्थिति के अनुसार निर्णय ऋणी (जेडी), अर्थात् बीकानेर हाउस की अचल संपत्ति की कुर्की आवश्यक है.
21 जनवरी 2020 को मेसर्स एनवायरो इंफ्रा इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में पारित मध्यस्थता पुरस्कार के तहत नगर पालिका को 50,31,512 रुपये का भुगतान करना था. अदालत ने पहले 18 सितंबर, 2023 को एक निर्देश जारी किया था, जिसमें नगर पालिका को अगले आदेश तक बीकानेर हाउस को हस्तांतरित करने या चार्ज करने से रोक दिया गया था. यह नगर पालिका द्वारा पुरस्कार का पालन न करने के जवाब में था. नगर पालिका ने मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 34 के तहत एक याचिका दायर की थी, जिसमें मध्यस्थ पुरस्कार को चुनौती दी गई थी.
हालांकि, 24 जनवरी, 2024 को यह याचिका खारिज कर दी गई, जिससे डिक्री धारक को पुरस्कार के प्रवर्तन के हिस्से के रूप में बीकानेर हाउस की कुर्की के लिए दबाव डालना पड़ा.
-भारत एक्सप्रेस
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