बिजली विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों की लालफीताशाही तो किसी से छुपी नहीं है, जिसका बिजली विभाग के कर्मियों से वास्ता पड़ा होगा वह इस बात को बहुत अच्छे से जानते होंगे, ऐसे में एक ऐसा फैसला आया है जो इनपर लगाम लगाने के लिए शायद कुछ कारगर साबित हो.
उत्तर प्रदेश में उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग, प्रदर्शन का मानक विनियामवली-2019 के अनुसार उपभोक्ताओं को नए संयोजन सम्बन्धी खराब मीटर बदलवाने बिल ठीक कराने, आपूर्ति में बाधा दूर करने, अस्थाई संयोजन लेने भार वृद्धि कराने, खराब वोल्टेज मिलने आदि शिकायतों को दूर करने के लिए समय सीमा निर्धारित कर दी गई है. यदि तय समय में समस्या दूर नहीं होती है तो उपभोक्ता 1912 टोल फ्री नंबर पर करें कॉल.
उत्तर प्रदेश के ऊर्जा एवं नगर विकास मंत्री ए के शर्मा ने बताया कि वर्तमान में इस व्यवस्था में ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से उपभोक्ताओं को कस्टमर केयर सेन्टर के टोल फ्री नंबर 1912 के माध्यम से आवेदन करना व क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का प्रावधान किया गया है. बकौल ऊर्जा मंत्री बिजली उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा एवं विद्युत उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए मुआवजा कानून को सख्ती से लागू किया जाएगा. प्रदेश के सम्मानित विद्युत उपभोक्ताओं को निर्वाधित विद्युत आपूर्ति और समय पर बिल देने के लिए प्रदेश सरकार एवं ऊर्जा विभाग कटिबद्ध है. समय सीमा में उपभोक्ताओं को सेवा न मिलने पर उन्हें क्षतिपूर्ति दिए जाने का प्रावधान किया गया है.
ऊर्जा मंत्री ए के शर्मा ने कहा उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए मुआवजा कानून को सख्ती से लागू किया जाएगा. उपभोक्ता अपनी शिकायत बिजली कम्पनियों के कस्टमर केयर सेन्टर में या टोल फ्री नम्बर 1912 पर करेगा और यदि तय समय में समस्या दूर नहीं होती है तो उपभोक्ता को टोल फ्री नम्बर 1912 के माध्यम से मुआवजे की मांग भी करनी पड़ेगी. अब इस फैसले के बाद बिजली विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए खतरे की घंटी बजने लगी है वहीं अगर यह कानून सख्ती से लागू होता है तो जनता के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा.
इस कानून से एक तरफ भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगने की उम्मीदें व्यक्त की जा रहीं हैं क्योंकि अब अगर बिजली विभाग से जुड़ी हुई किसी समस्या की कोई फाइल नियम से अधिक दिनों तक पेंडिग रहती है तो इसके खिलाफ विद्युत उपभोक्ता शिकायत कर सकता है और छतिपूर्ति भी प्राप्त कर सकता है. सूबे के ऊर्जा मंत्री ए के शर्मा की सख्ती के चलते बिजली कर्मियों के व्यवहार और कार्यशैली में थोड़ा सुधार तो साफ तौर पर देखा जा रहा है लेकिन बिजली विभाग में ग्राउंड लेवल पर समस्याएँ बहुत जटिल हैं जिनका समाधान होना उतना ही आवश्यक है जितना चुनावों में मतदान होना.
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