देश

UP News: RTI में खुलासा- 186 चूहे पकड़ने के लिए रेलवे ने तीन साल में खर्च किए 69 लाख रुपए, 41 हजार में पकड़ा मात्र एक चूहा, अब लखनऊ मंडल ने कही ये बात

UP News: रेलवे स्टेशनों और प्लेटफार्मों पर बड़े-बड़े और मोटे-मोटे चूहों से रेलवे विभाग इतना दुखी व परेशान है कि एक-दो या तीन हजार नहीं बल्कि एक चूहे को पकड़ने के लिए 41 हजार की भारी-भरकम धनराशि तक खर्च कर डाली है तो वहीं अगर तीन साल की बात करें तो रेलवे ने करीब 69 लाख रुपए चूहों को पकड़ने के लिए खर्च कर दिए हैं. यह खबर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है और जिसकी भी नजर इस खबर तक पहुंचती है वो चौंक जाता है. इस खबर पर यकीन कर पाना थोड़ा कठिन हो रहा है लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि यह हैरान कर देने वाला खुलासा चंद्रशेखर गौर की RTI में हुआ है, जो पूरी तरह से सही है.

RTI एक्टिविस्ट चंद्रशेखर गौर ने रेलवे से सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत चूहों पर होने वाले खर्च को लेकर जानकारी मांगी तो ये चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल ने जानकारी दी है कि तीन साल में 69 लाख की बड़ी रकम खर्च करके मात्र 168 चूहों को ही पकड़ा गया है. इस तरह से लखनऊ मंडल ने चूहों को पकड़ने के लिए प्रत्येक वर्ष 23.2 लाख रुपए खर्च किए हैं. यानी एक चूहे को पकड़ने के लिए 41 हजार रुपए खर्च किए गए हैं. फिलहाल इस चौंका देने वाले खुलासे की जमकर चर्चा हो रही है तो वहीं लोग रेलवे की इस कारगुजारी को लेकर सवाल भी खड़े कर रहे हैं और इतनी भारी-भरकम राशि कहां गई इसको लेकर सवाल भी खड़े कर रहे हैं. तो कहीं न कहीं आरटीआई में मिली जानकारी रेलवे में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर इशारा भी कर रही है.

ये भी पढ़ें- Indigo Flight: अबू धाबी जा रहे विमान का आसमान में फेल हुआ हाइड्रोलिक, दिल्ली एयरपोर्ट पर करानी पड़ी इमरजेंसी लैंडिंग

इसको मिला था ठेका

तो वहीं जानकारी सामने आई है कि, रेलवे ने चूहा पकड़ने के लिए सेंट्रल वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन को ठेका दिया था और इसी के बाद इस कार्पोरेशन ने चूहों को पकड़ने का अभियान चलाया था और इसके तहत तीन साल में करीब 1095 दिन चूहों के पकड़ने का तेज-तर्रार अभियान चलाया गया और इस तरह से तीन सालों में अधिकारियों ने 168 चूहे पकड़े. इस तरह से अगर देखा जाए तो जिस कम्पनी ने ठेका लिया था, उसने एक चूहे को करीब साढ़े छह दिन में पकड़ा. यानी एक चूहे को पकड़ने में अधिकारियों ने 41 हजार रुपए पानी की तरह बहाए.

हर साल खर्च हो रहे हैं 23 लाख 16 हजार 150 रुपए

वहीं खबर ये भी सामने आई है कि, अगर रेलवे विभाग के चूहे पकड़ने के अभियान को देखा जाए तो इस तरह से प्रत्येक वर्ष चूहे को पकड़ने वाले अभियान में लगभर 23 लाख 16 हजार 150 रुपए का खर्च आया और तीन साल तक चले इस बड़े अभियान में कुल 69 लाख 48 हजार 450 रुपए को पानी की तरह बहाया गया या फिर कहें बर्बाद किया गया. फिलहाल तो इस खबर के वायरल होने के बाद रेलवे विभाग में हड़कम्प मचा हुआ है.

2013 में पहली बार चूहों को मारने का दिया गया ठेका

मीडिया सूत्रों के मुताबिक, रेलवे विभाग चूहों से इतना परेशान हो गया कि, एक जुलाई 2013 में पहली बार चूहों को मारने का ठेका दिया गया और इसके लिए 3.50 लाख रुपए भी जारी किए गए तो वहीं फिर चूहों को नेस्तानाबूत करने के लिए इसे अभियान की तरह चलाने के लिए साल 2016 में करीब साढ़े चार लाख 76 हजार रुपए कर ठेका दिया गया. तो वहीं रेलवे ने बताया कि चूहों ने न केवल रेल विभाग में हर साल लाखों का नुकसान कर रहे हैं बल्कि यात्रियों को भी परेशान करते हैं और भारी नुकसान उठाना पड़ता है. डाक, पार्सल व जरूरी फाइल व कागजार को कुतर डालते हैं.

आरटीआई में मांगी गई थी पांच मंडल की डिटेल

एमपी के आरटीआई एक्टिविस्ट चंद्रशेखर गौड़ ने एक साथ देश के 5 रेल मंडल (लखनऊ, दिल्ली, अंबाला, फिरोजपुर, मुरादाबाद) से चूहों को पकड़ने के लिए खर्च होने वाले खर्चे को लेकर जानकारी मांगी थी. बता दें कि ये पांचों मंडल उत्तर रेलवे के अंतर्गत ही आते हैं. हालांकि आरटीआई में मांगी गई डिटेल केवल लखनऊ मंडल की ही दी गई थी.

गलत तरीके से प्रस्तुत की जा रही है जानकारी

इस पूरी जानकारी को लेकर पदस्थ सीनियर डिविजनल कमर्शियल मैनेजर रेखा शर्मा ने कहा है कि जो जानकारी प्रसारित की जा रही है वह गलत तरीके से प्रस्तुत की जा रही है. उन्होंने कहा कि हकीकत ये है कि, लखनऊ मंडल में कीट और चूहों को पकड़ने के अभियान की जिम्मेदारी गोमतीनगर स्थित मेसर्स सेंट्रल वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के पास है, जो कि भारत सरकार का ही उपक्रम है. उन्होंने जो खंडन जारी किया है, उसमें आगे जानकारी दी गई है कि, इसमें कीट के साथ ही चूहों को कंट्रोल करने के उद्देश्य से की गई गतिविधियां शामिल हैं. आगे बताया गया है कि फ्लशिंग से लेकर छिड़काव, स्टेबलिंग और रख-रखाव करना. रेलवे लाइनों को कॉकरोच जैसे कीटों से बचाना और चूहों को ट्रेन के डिब्बों में घुसने से रोकना. इसी के साथ ये भी जानकारी दी गई है कि, मीडिया रिपोर्ट्स में 23.3 लाख रुपए इसकी कीमत दर्शायी गई है, जबकि 25 हजार डिब्बों में चूहों को कंट्रोल करने में जो राशि खर्च होती है, उसकी लागत 94 रुपए प्रति कोच है. इसी के साथ इस खंडन में ये भी जानकारी दी गई है कि चूहों की वजह से कोच में जो नुकसान होता है, उसके देखते हुए ये लागत बहुत कम है.

गलत है एक चूहे पर 41 हजार खर्च करने की बात

साथ ही लखनऊ मंडल ने वायरल खबर को लेकर आपत्ति दर्ज कराई है और कहा है कि इससे रेलवे की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है. साथ ही ये भी कहा है कि एक चूहे को पकड़ने में 41 हजार रुपए खर्च करने की बात को गलत तरीके से दर्शाया गया है.

-भारत एक्सप्रेस

Archana Sharma

Recent Posts

चुनावी रैली में बोले पीएम मोदी- ‘जम्मू-कश्मीर के लोग कांग्रेस, एनसी और पीडीपी के तीन खानदानों से त्रस्त हैं’

Jammu Kashmir Election: पीएम मोदी ने चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस…

4 mins ago

‘चट्टानों के बीच तरल’ पुस्तक में प्रकाशित हुईं 51 पुलिसकर्मियों की कविताएं, मुंबई में किया गया लोकार्पण

बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कवि और संपादक रवि यादव ने 51 पुलिसकर्मियों समेत 102…

9 mins ago

मुंबई पुलिस ने BookMyShow के CEO को तलब किया, जानें अगले साल होने वाला Coldplay का कॉन्सर्ट क्यों विवादों में आ गया

ब्रिटिश रॉक बैंड Coldplay 18, 19 और 21 जनवरी 2025 को महाराष्ट्र के नवी मुंबई…

14 mins ago

संत के वेश में वृंदावन से पकड़ा गया 300 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोपी, पुलिस को दे रहा था चकमा

पुलिस का कहना है कि आरोपी बबन शिंदे महाराष्ट्र के बीड और धाराशिव जिलों के…

26 mins ago

उड़ीसा सरकार ने भद्रक जिले में 48 घंटे के लिए निलंबित की इंटरनेट सेवाएं

भद्रक में शुक्रवार को आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट के कारण हिंसा भड़क गई थी. इस…

32 mins ago