तिरुपति बालाजी के प्रसादम लड्डू में जानवरों की चर्बी मिलाए जाने के मामले की जांच की मांग को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (SC) ने केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा है कि क्या राज्य सरकार की ओर से गठित एसआईटी काफी है या फिर मामले की जांच का जिम्मा किसी स्वतंत्र एजेंसी को सौपा जाना चाहिए. कोर्ट 3 अक्टूबर को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. जस्टिस गवई ने इस दौरान कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि देवताओं को राजनीति से दूर रखा जाए. ये श्रद्धालुओं की आस्था का सवाल है.
मामले की सुनवाई के दौरान आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि हमारे पास लैब की रिपोर्ट है. जिसपर जस्टिस केवी विश्वनाथन ने कहा कि रिपोर्ट स्पष्ट नहीं है. कोर्ट ने कहा कि अगर आपने पहले ही जांच के आदेश दिए थे तो प्रेस में जाने की क्या जरूरत थी. जुलाई में रिपोर्ट आई, सितंबर में बयान आया. जस्टिस बीआर गवई ने आंध्र प्रदेश सरकार से पूछा कि आपने एसआईटी का आदेश दिया है. जांच रिपोर्ट आने तक प्रेस में जाने की क्या जरूरत थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप हमेशा ऐसे ही सामने आते रहे हैं, यह दूसरी बार है. कोर्ट ने कहा कि जब आप संवैधानिक पद पर होते हैं तो आपसे अपेक्षा की जाती है कि ऐसा न करें. ये श्रद्धालुओं की आस्था का सवाल है.
वहीं राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में घी निजी विक्रेताओं से खरीदा जाने लगा. गुणवत्ता को लेकर शिकायते आई. हमने निविदाकर्ता को कारण बताओ नोटिस जारी किया. कोर्ट ने पूछा कि जो घी सही नहीं पाया गया, क्या उसका इस्तेमाल प्रसाद के लिए किया गया? कोर्ट ने कहा कि आपको धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना चाहिए. जस्टिस विश्वनाथन ने राज्य सरकार से पूछा कि इस बात का सबूत कहा है कि यह वही घी था, जिसका इस्तेमाल लड्डू बनाने में किया गया था? कोर्ट ने पूछा कि कितने ठेकेदार आपूर्ति कर रहे थे? क्या स्वीकृत घी मिश्रित है? यह कहीं भी स्पष्ट नहीं है कि इसका उपयोग किया गया.
राज्य सरकार ने कोर्ट (SC) को बताया कि एक बार जब यह पाया गया कि उत्पाद उपयुक्त नहीं है, तो दूसरा परीक्षण किया जाता है. फिर लैब में परीक्षण किया जाता है. वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ये आस्था का मामला है. इसकी जांच होनी चाहिए कि कौन जिम्मेदार था और किस मकसद से था. जिसपर जस्टिस गवई ने भी सहमति जताई. एसजी ने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए. याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से पेश वकील राजशेखर राव ने कहा कि मैं यहां एक भक्त के रूप में आया हूं. ये चिंता का विषय है.स्वामी के वकील ने कहा कि प्रभाव के कारण मामले को किसी प्रकार के पर्यवेक्षण की आवश्यकता है. मुख्यमंत्री ने बयान दिया जो कार्यकारी कार्यालय द्वारा विवादित है.
इस पर जस्टिस गवई ने कहा कि वह एक आईएएस अधिकारी है? स्वामी के वकील ने कहा कि हां, यह भी टीडीपी क्या प्रक्रिया अपनाती है. स्वामी के वकील ने कहा कि यह बयान देना कि प्रसाद में मिलावट है, बिना किसी ठोस सबूत के ऐसे कहना, परेशान करने वाला है. किसी उच्च पद पर बैठे व्यक्ति की क्या जिम्मेदारी होती है? आज यह धर्म है कल कुछ और हो सकता है. यह याचिका भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी, तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के पूर्व अध्यक्ष और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी से राज्यसभा सांसद वाईवी सुब्बा रेड्डी ने याचिकाएं दाखिल की है.
सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी याचिका में आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के आरोपों की सुप्रीम कोर्ट (SC) के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एसआईटी गठित कर आरोपो की जांच की मांग की गई है. याचिका में आस्था से खिलवाड़ करने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है. उन्होंने यह भी मांग की है कि आंध्र प्रदेश सरकार को लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल घी पर विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दे. साथ ही उन्होंने एक विस्तृत फॉरेंसिक रिपोर्ट की भी मांग की है.
राज्य सरकार ने गुजरात की एक प्रयोगशाला की रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया था कि लड्डुओं में इस्तेमाल किए गए घी में बीफ, फिश ऑयल और चर्बी (सुअर की चर्बी) के अंश थे. वहीं तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के पूर्व अध्यक्ष और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी से राज्यसभा सांसद वाईवी सुब्बा रेड्डी ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एसआईटी गठित कर इन आरोपों की जांच कराए जाने की मांग की है. इस बीच आंध्र प्रदेश सरकार ने पूरे मामले की जांच के लिए नौ सदस्यीय एसआईटी का गठन किया है, जो आरोपों की जांच कर रही है.
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इससे पहले हिंदू सेना के मुखिया सुरजीत यादव ने याचिका में कहा है कि तिरुपति लड्डू में चर्बी और मछली के तेल की बात सामने आने से करोड़ों हिंदुओं की आस्था को झटका लगा है. याचिका में कहा गया है कि हिंदू भावनाओं को जिन लोगों ने ठेस पहुचाई है, उन पर जांच के बाद कड़ी कार्रवाई हो. सुरजीत यादव ने अपनी याचिका में यह भी कहा है कि यह याचिका आम लोगों के हित मे दायर की गई है, जो वित्तीय और कानूनी रूप से पूरी तरह लैस न होने के कारण स्वयं न्यायालय तक नहीं पहुच सकते है और इस प्रकार वे जनहित याचिका का सहारा लेने की स्थिति में नहीं है.
-भारत एक्सप्रेस
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