ऐसा कहा जाता है कि अगर महिलाएं आगे आएंगी तो पुरुष पीछे हो जाएंगे. हम आपके आगे या पीछे नहीं चलना चाहते. हम लोग तो चाहते हैं कि हम आपके साथ कदम से कदम मिलाकर चलें… समाजवादी पार्टी की विधायक रागिनी सोनकर ने जब ये बातें गुरुवार को यूपी की असेंबली में कहीं तो पूरा सदन मेज की थपथपाहट से गूंज उठा. रागिनी के इस भाषण की तारीफ अब चारों ओर हो रही है. तो चलिए आपको बताते है कौन है रागिनी सोनकर जो अपने भाषण से इन दिनों सोशल मीडिया पर छाई हुई है. रागिनी जौनपुर से विधायक हैं और एम्स से उन्होंने डॉक्टरी पढ़ी है. गुरुवार को सदन में महिलाओं के लिए खासतौर पर आरक्षित सदन के खास दिन पर अपने भाषण देने के खास अंदाज से उन्होंने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है.
रागिनी वाराणसी की अजगरा सीट से विधायक कैलाश सोनकर की बेटी हैं. वह खुद भी जौनपुर से विधायक हैं. रागिनी के पति डॉ. संदीप स्किन स्पेशलिस्ट हैं. राजनीति में आने से पहले रागिनी सोनकर दिल्ली एम्स में काम करती थीं. वहां पर वह नेत्र विभाग में थीं. दिल्ली के एम्स से ही उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई भी पूरी की है.
रागिनी विधानसभा में सत्ता और प्रतिपक्ष की 43 महिला विधायकों में से एक हैं. इस बार के विधानसभा चुनाव में उन्होंने सपा के एक कद्दावर नेता को पछाड़कर टिकट हासिल किया था. रागिनी सोनकर को टिकट देने के लिए अखिलेश यादव ने अपने करीबी और चार बार के विधायक का टिकट काट दिया था. शैलेंद्र यादव ललई इस सीट से दावेदार थे लेकिन अखिलेश से नाराजगी के कारण उनका टिकट कट गया और फिर रागिनी ने बाजी मार थी.
रागिनी को विधानसभा चुनाव के दौरान आखिरी वक्त में मछलीशहर से टिकट मिला. इसके बाद उन्होंने 90 हजार से ज्यादा वोट पाकर विधानसभा चुनाव जीता. जौनपुर जिले में 9 विधानसभाएं हैं. रागिनी सोनकर जिले की अकेली महिला विधायक हैं. विधायक बनने के बाद से रागिनी सोनकर काफी ऐक्टिव दिखती हैं. वह यहां एक लोकप्रिय राजनेता मानी जाती हैं. सड़क से लेकर सदन तक उनकी ऐक्टिविटी लगातार बनी रहती है.
रागिनी सोनकर ने यूपी असेंबली के महिला स्पेशल सत्र में हिस्सा लेते हुए जोरदार भाषण दिया है. इस दौरान उन्होंने महिला सरोकारों से जुड़े कई मुद्दों पर अपनी बातें रखीं है. अपने भाषण में राम मनोहर लोहिया का जिक्र करते हुए रागिनी ने कहा है कि लोहिया जी ने कहा था कि देश का विकास तभी होगा, जब देश में नारी का विकास होगा. रागिनी ने कहा कि भारत में सिर्फ 9 प्रतिशत महिलाएं जन प्रतिनिधि के रूप में नेतृत्व कर रही हैं जबकि दुनिया के विकसित देशों में यह आंकड़ा 30 फीसदी है. ऐसे में विकसित देश होने के लिए भारत में महिलाओं को और प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए.
-भारत एक्सप्रेस
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