Progressive farmer Premchand Sharma: किताबी पढ़ाई केवल पांचवीं तक, लेकिन प्रतिभा बेमिसाल. उत्तराखंड के देहरादून ज़िले में हटाल गांव के रहने वाले प्रगतिशील किसान प्रेमचंद शर्मा की हिमालय जैसी विशाल प्रतिभा को देखते हुए सरकार ने कई पुरस्कारों के साथ ही पद्मश्री से भी सम्मानित किया है. प्रगतिशील किसान पद्मश्री प्रेमचंद शर्मा ने अपनी प्रतिभा और वैज्ञानिक दृष्टि से वो कर दिखाया जो उत्तराखंड के दुर्गम इलाके में रहने वाले किसान के लिए सपने जैसा है.
प्रेमचंद शर्मा का गांव हिमाचल प्रदेश के बॉर्डर से ज्यादा दूर नहीं है. उन्होंने देखा कि उत्तराखंड के लोग काफी संख्या में हिमाचल के खेतों में काम करने के लिए जा रहे हैं, इसीलिए उन्होंने सोचा कि क्यों ना अपने ही गांव में कुछ ऐसा किया जाए, जिससे लोग अपने ही राज्य में रहकर काम कर सके. साल 1994 में उन्होंने खेती के नए प्रयोगों को शुरू किया. आज उनका ये नवाचार जैविक-हाइटेक मॉडल के नाम से जाना जाता है.
प्रेमचंद ने देखा कि उनके इलाके के किसान परंपरागत तरीके से खेती कर केवल जीवनयापन ही कर पा रहे हैं. इसको देखते हुए उन्होंने गोभी, टमाटर और ब्रोकली जैसी सब्जियों को उगाने के तरीकों पर काम किया और सफल मॉडल प्रस्तुत किया. जैविक और हाइटेक तरीकों के मिश्रण से उनके उगाये उत्पादों की खूब मांग होने लगी. प्रेमचंद के कदम यहीं नहीं थमे उन्होंने सेब की खेती पर भी हाथ आजमाये.
प्रेमचंद ने देखा कि अगर पानी का ठीक ढंग से इस्तेमाल किया जाए तो फसलों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इसको देखते हुए उन्होंने सिंचाई के लिए ड्रिप और स्प्रिंकल जैसी आधुनिक पद्धति की शुरूआत की. उनके नवाचार मॉडल के कारण युवाओं में खेती के प्रति दिलचस्पी बढ़ रही है.
पिछले 20 सालों से कृषि क्षेत्र में अहम योगदान देने वाले प्रेमचंद शर्मा को कई पुरस्कार मिले हैं. 2021 में पद्मश्री सम्मान पाने वाले प्रेमचंद चाहते हैं कि उत्तराखंड और देश के अन्य इलाकों के किसान उनके जैविक और हाइटेक खेती के मॉडल अपना कर शहरों की जगह अपने गांव में ही अच्छी आमदनी हासिल करें.
– देहरादून से अभिषेक कुमार, भारत एक्सप्रेस
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