बिहार विधानसभा से निष्कासित राजद नेता रामबली सिंह की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार और विधानसभा ऑफिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. कोर्ट 25 अक्टूबर को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. रामबली सिंह ने पटना हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की खंडपीठ सुनवाई कर रही हैं. रामबली सिंह पर पार्टी विरोधी क्रियाकलापो एवं अनुशासन भंग करने का आरोप था.
तत्कालीन सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने उन आरोपों को सही पाते हुए छह फरवरी को विधान परिषद से उनकी सदस्यता समाप्त कर दी थी. सभापति के आदेश के विरुद्ध उन्होंने हाई कोर्ट में दायर की थी. बता दें कि राजद के एमएलसी रामबली सिंह ने एक कार्यक्रम के दौरान नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा था कि नीतीश कुमार अति पिछड़ा वोट बैंक के जरिए पिछले 18 सालों से बिहार के सियासत और उसके सिरमौर बने हुए है. उन्होंने अति पिछड़ों को गला काटने का काम किया है.
इस बात को लेकर 11 नवंबर 2023 को राजद के उप मुख्य सचेतक सुनील कुमार सिंह ने सदन में सभापति को पत्र लिखकर रामबली सिंह मि सदस्यता रद्द करने संबंधी करने संबंधी याचिका में सुनील सिंह ने कहा था कि रामबली सिंह राजद के सदस्य रहते हुए राजद विधान मंडल दल के नेता पर मनगढ़ंत आरोप लगाए हैं. रामबली सिंह ने कहा था कि 2015 में नीतीश कुमार ने तेली जाति को अति पिछड़ा बना दिया. यह वही जाती है, जो बिहार में सबसे ज्यादा टैक्स भरता है. नीतीश कुमार ने उसे अति पिछड़ा बना दिया. अति पिछड़ों के लिए कर्पूरी ठाकुर ने अपनी जान की परवाह नहीं की थी. आज अति पिछड़ा समाज भिखाड़ी हो गया है.
-भारत एक्सप्रेस
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