ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन सोमवार को उन वैश्विक नेताओं में शामिल हो गए जो भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थायी सीट दिलाने का समर्थन कर रहे हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया को कई बड़ी चुनौतियों पर भारत का नजरिया सुनने की जरूरत है, तो वहीं रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भी कहा कि वैश्विक बहुमत का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए भारत, ब्राजील और अफ्रीकी देशों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थायी आधार पर प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए.
कैमरन ने सोमवार को नई दिल्ली में शुरू हुए दो दिवसीय एनडीटीवी वर्ल्ड समिट में कहा, “हमें एक रीसेट की जरूरत है. दूसरे विश्व युद्ध के बाद संस्थाओं की स्थापना से दुनिया में बड़ा बदलाव आया है. यह रीसेट का समय है, आप भारत का उदय देख रहे हैं, जो इस सदी में कभी न कभी दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा.”
कैमरन ने कहा, “हमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की जरूरत है. मैंने यह तर्क 2005 में ही दे दिया था, जब मैं कंजर्वेटिव पार्टी का नेता बना था और भारत यूरोप के बाहर पहला देश था, जिसका मैंने दौरा किया था. इसी तरह जब मैं प्रधानमंत्री बना, तो 2010 में यूरोप के बाहर पहला देश, भारत था जहां मैं गया…जाहिर है, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट ऐसी चीज है, जो इस बदली हुई दुनिया में भारत का अधिकार है.”
पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा की उच्च स्तरीय बैठक में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने भी कुछ ऐसी ही बात कही थी. उन्होंने पुनर्गठित सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य के रूप में भारत को शामिल करने, साथ ही अफ्रीकी देशों, ब्राजील, जापान और जर्मनी को स्थायी प्रतिनिधित्व देने और निर्वाचित सदस्यों के लिए अधिक सीटों का समर्थन किया था.
भारत की यूएनएससी में स्थायी सदस्यता की मांग को, जो बाइडेन सहित अन्य वैश्विक नेताओं का समर्थन मिला है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी हालिया द्विपक्षीय बैठक के दौरान भारत की दावेदारी के लिए वाशिंगटन के पूर्ण समर्थन को दोहराया. लावरोव के हवाले से कहा गया, “भारत, ब्राजील जैसे देशों के साथ-साथ अफ्रीका के प्रतिनिधियों को सुरक्षा परिषद में लंबे समय तक स्थायी आधार पर बना रहना चाहिए. वैश्विक बहुमत का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए यह जरूरी है.”
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पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा की उच्च स्तरीय बैठक में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने भी कुछ ऐसी ही बात कही थी. उन्होंने पुनर्गठित सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य के रूप में भारत को शामिल करने, साथ ही अफ्रीकी देशों, ब्राजील, जापान और जर्मनी को स्थायी प्रतिनिधित्व देने और निर्वाचित सदस्यों के लिए अधिक सीटों का समर्थन किया.
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल ग्रेजुएटन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यू सोवसी) में स्थायी सदस्य के रूप में भारत को शामिल करने का समर्थन कर चुके हैं. उन्होंने जर्मनी, जापान, ब्राजील और दो अफ्रीकी देशों की दावेदारी का भी समर्थन किया.
मैक्रों ने 26 सितंबर को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र में आम बहस को संबोधित करते हुए कहा, ‘जर्मनी, जापान, भारत और ब्राजील को स्थायी सदस्य होना चाहिए, साथ ही दो ऐसे देश भी होने चाहिए जिन्हें अफ्रीका अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए नामित करेगा. नए निर्वाचित सदस्यों को भी शामिल किया जाना चाहिए.”
भारत की यूएनएससी में स्थायी सदस्यता की मांग को, जो बाइडेन सहित अन्य वैश्विक नेताओं का समर्थन मिला है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी हालिया द्विपक्षीय बैठक के दौरान भारत की दावेदारी के लिए वाशिंगटन के पूर्ण समर्थन को दोहराया.
(समाचार एजेंसी IANS के इनपुट के साथ)
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