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सोने के बदले कर्ज लेने का चलन बढ़ा, RBI ने सोने के कर्ज में अनियमितताओं पर जताई चिंता

नई दिल्ली: मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों में भारतीय परिवारों और छोटे कारोबारियों के बीच सोने के बदले कर्ज लेने का चलन तेजी से बढ़ रहा है. इसकी वजह महंगाई, आर्थिक अस्थिरता और नकदी की तंगी को माना जा रहा है. हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस क्षेत्र में बढ़ती अनियमितताओं और जोखिमों को लेकर चिंता व्यक्त की है.

सोने के बदले कर्ज क्यों बढ़ रहा है?

सोने के बदले कर्ज (Gold Loans) उन लोगों के लिए सबसे आसान विकल्प बन गया है, जिन्हें तुरंत पैसे की जरूरत होती है.
– कम ब्याज दरें: अन्य प्रकार के कर्ज की तुलना में गोल्ड लोन पर ब्याज दरें कम होती हैं.
– त्वरित प्रक्रिया: दस्तावेज़ीकरण कम होने से यह प्रक्रिया तेज और सुविधाजनक है.
– महंगाई का दबाव: घरेलू जरूरतों और व्यवसायिक चुनौतियों के चलते लोग अपने सोने के गहनों को गिरवी रखकर पैसे जुटा रहे हैं.

RBI ने जताई चिंता

आरबीआई ने हाल ही में इस क्षेत्र में कुछ अनियमितताओं और जोखिमों को उजागर किया है:
1. गिरवी रखे गए सोने का गलत आकलन: कुछ वित्तीय संस्थान और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFCs) सोने की असल कीमत से अधिक मूल्यांकन कर कर्ज दे रही हैं.
2. अत्यधिक ब्याज दरें: ग्रामीण और असंगठित क्षेत्रों में कई लोन एजेंट जरूरत से ज्यादा ब्याज वसूल रहे हैं.
3. पुनर्भुगतान की कठिनाइयां: समय पर कर्ज न चुका पाने की स्थिति में ग्राहकों की गिरवी रखी गई संपत्ति नीलाम होने का खतरा बढ़ गया है.
4. गैर-पंजीकृत संस्थाओं का हस्तक्षेप: कई गैर-पंजीकृत संस्थान और अनौपचारिक एजेंट सोने के बदले कर्ज देने की प्रक्रिया में शामिल हो गए हैं, जिससे पारदर्शिता का अभाव है.

आरबीआई के दिशा-निर्देश

आरबीआई ने कर्जदाताओं और ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने का प्रस्ताव दिया है:
– कर्ज देने से पहले सोने का सही मूल्यांकन सुनिश्चित करना.
– ब्याज दरों और अन्य शुल्कों को पारदर्शी बनाना.
– ग्राहकों को जागरूक करना ताकि वे केवल पंजीकृत संस्थाओं से ही कर्ज लें.
– अनियमित संस्थाओं और एजेंटों के खिलाफ सख्त कार्रवाई.

विशेषज्ञों की राय

वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि सोने के बदले कर्ज लेना सुरक्षित है, लेकिन ग्राहकों को सावधान रहना चाहिए.
– केवल प्रमाणित संस्थाओं से कर्ज लें.
– ब्याज दर और शर्तों को समझने के बाद ही अनुबंध पर हस्ताक्षर करें.
– समय पर कर्ज चुकाने का प्रयास करें ताकि गिरवी रखे गए सोने को खोने का जोखिम न हो.

निष्कर्ष

सोने के बदले कर्ज लोगों की आर्थिक जरूरतें पूरी करने का एक कारगर तरीका है, लेकिन अनियमितताओं से यह क्षेत्र जोखिम में आ सकता है. आरबीआई और सरकार द्वारा उठाए गए कदम इस सेक्टर को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बना सकते हैं.

सोने का कर्ज लेते समय सतर्क रहें और पूरी जानकारी के बाद ही निर्णय लें.

मिताली चंदोला, एडिटर, क्राइम एंड इंवेस्टिगेशन

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