अमित भार्गव
Mathura ki Holi: मथुरा नगरी में खेली जाने वाली होली की बात ही निराली होती है. भगवान कृष्ण उसी रंग के रंग में रंगे जाते हैं, जिनको मथुरा जेल के बंदी तैयार करते हैं. जहां कभी प्रभु का जन्म हुआ था. तो इसी के साथ यहां एक-दो दिन नहीं पूरे 40 दिन चलने वाली होली देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र रहती है.
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा जेल में हुआ था. इसी के चलते यहां के बंदी भगवान कृष्ण सहित उनके भक्तों को रंगने के लिए दिन-रात की कड़ी मेहनत से हर्बल रंग और अबीर-गुलाल तैयार करते हैं. ये तो सभी जानते हैं कि ब्रज में 40 दिनों तक होली खेले जाने की परम्परा सदियों से चली आ रही है. यहां होली की शुरुआत बसंत पंचमी से हो जाती है. बसंत पंचमी से रंग गुलाल उड़ना शुरू होता है जो कि अनवरत 40 दिन तक चलता रहता है. यहां 27 फरवरी से मुख्य कार्यक्रम शुरू होंगे. 27 को को लड्डू मार और 28 फरवरी को बरसाने में लट्ठ मार होली मनाई जाएगी, जिसकी तैयारी महीने भर से चल रही है. एक अनुमान के मुताबिक, होली पर ब्रज में हर साल हजारों कुंतल गुलाल उड़ाया जाता है.
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मथुरा के जिला कारागार में बंद 6 कैदियों द्वारा होली के लिए हर्बल गुलाल तैयार किया है. जो ईको फ्रेंडली के साथ- साथ आपकी त्वचा के लिए भी अनुकूल है. योगी सरकार की पहल से जेल में निरुद्ध कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने का काम किया जा रहा है. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश भर में बने कारागारों को कौशल विकास मिशन के माध्यम से कैदियों को स्वावलंबी बनाया जा रहा है. मथुरा की जिला कारागार में जेल प्रशासन कौशल विकास मिशन के तहत कैदियों को विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिलाकर आत्मनिर्भर बनाने में जुटा हुआ है.
जानकारी के मुताबिक, जेल में अरारोट में सब्जियों को मिलाकर हर्बल गुलाल व रंग बनाया जा रहा है. हर्बल गुलाल बनाने के लिए अरारोट में पालक को पीसकर उसमें से हरा रंग निकालकर इसे तैयार किया जा रहा है. इसी तरह मेथी को पीसकर हल्का हरा रंग, चुकंदर को पीसकर लाल रंग, हल्दी पाउडर का प्रयोग कर पीला गुलाल तैयार किया जा रहा है. वहीं खुशबू के लिए इत्र का इस्तेमाल किया जा रहा है. साथ ही गुलाब जल भी मिलाया जा रहा है.
मथुरा जेल अधीक्षक ब्रजेश कुमार सिंह ने बताया कि होली का त्योहार आते ही हर साल जेल में कई कुंतल गुलाल तैयार किया जाता है. जेल में बंद कैदी सोनू, सनी, रिंकू, अशरफ, विजय, हरेंद्र सिंह कई दिनों से हर्बल गुलाल तैयार करने में लगे हुए हैं. वह कहते हैं कि केमिकल युक्त रंग व अबीर गुलाल त्वचा को नुकसान पहुंचाता है. इसीलिए जेल में ही हर्बल रंग बनवाया जाता है, जो कि यहां के मंदिरों में भी भेजा जाता है और कैदी भी इसी से होली खेलते हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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