क्या राहुल गांधी दोबारा बनेंगे कांग्रेस अध्यक्ष या फिर कोई गैर गांधी संभालेगा कांग्रेस की कमान. क्या उनके समर्थक सिर्फ शोर मचाकर राहुल के प्रति अपनी वफादारी दिखाने की कोशिश कर रहे हैं. समर्थक बोल रहे हैंं “वी वॉन्ट” राहुल. इन दिनों कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा निकाल रही है और खुद राहुल गांधी इस यात्रा की नुमाइंदगी कर रहे हैं.कांग्रेस में इस यात्रा को लेकर भारी उत्साह है और खुद सोनिया गांधी इस यात्रा की सफलता के प्रति आशान्वित है.सोनिया गांधी ने तो यहां तक कह दिया था कि ये यात्रा कांग्रेस के लिए संजीवनी बूटी साबित होगी.शायद उन्होंने भी ये मान लिया था कि पार्टी इस वक्त मृत्यु शैय्या में है.राहुल गांधी ने 3 साल पहले अध्यक्ष पद छोड़ दिया था.
एक बार अध्यक्ष पद के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलौत का नाम भी चल रहा था.वह इसलिए कि अगर राहुल गांधी तैयार नहीं हुए तो ऐसी स्थिति में गहलौत का नाम आगे बढ़ाया जा सकता है पर अशोक गहलोत का संबंध तो गांधी परिवार से नहीं है.ऐसे में क्या राहुल गांधी के समर्थक उनके नाम पर राजी होंगे?
इस बीच सबसे पहले राजस्थान कांग्रेस ने ही शनिवार को राहुल गांधी को अध्यक्ष पद संभालने की मांग करता प्रस्ताव पारित किया. उसके बाद तो जैसे होड़ सी मच गई है। छत्तीसगढ़ और गुजरात कांग्रेस से भी ‘वी वॉन्ट राहुल’ की आवाज उठी है. आने वाले दिनों में ये लिस्ट और लंबी हो सकती है ताकि राहुल गांधी पर अध्यक्ष पद संभालने का दबाव बन सके. इसके पीछे रणनीति ये है कि अगर गांधी मान जाते हैं तो अगले महीने होने वाले चुनाव में वोटिंग की नौबत शायद ही आए. इस बीच शशि थरूर समेत कुछ नेताओं ने सोमवार को दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात की. यह मुलाकात इसलिए अहम है कि थरूर के चुनाव लड़ने की चर्चाएं चल रही हैं.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को उम्मीद है कि राहुल गांधी पार्टी का नेतृत्व करने के लिए तैयार हो जाएंगे. उन्होंने कहा, ‘छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रदेश कमिटी और राजस्थान पीसीसी पहले ही इस प्रस्ताव को पास कर चुकी हैं. अगर दूसरे राज्यों से भी ऐसा प्रस्ताव आता है तो राहुल गांधी को इसे लेकर विचार करना चाहिए.धड़ों में बंटी कांग्रेस में ये मानना मुश्किल है कि जी-23 गुट का कोई भी नेता इस रेस में शामिल नहीं हो सकेगा.पार्टी अध्यक्ष पद का चुनाव ऐसे वक्त हो राह है जब कई बड़े नेता कांग्रेस छोड़ चुका हैं. पार्टी छोड़कर जाने वालों में कपिल सिब्बल के बाद गुलाम नबी आजाद का नाम सबसे ऊपर है.साथ ही आनंद शर्मा और मनीष तिवारी जैसे नेता बागी रुख अपनाए हुए हैं.उधर गोवा कांग्रेस के 8 विधायक पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं और जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के 6 नेता भी पार्टी को बाय-बाय कर चुके हैं.
पार्टी अध्यक्ष पद के लिए 24 से नामांकन दाखिल होने शुरू हो जाएंगे. चुनाव में पीसीसी के पदाधिकारी और पार्टी आलाकमान की तरफ से ‘नामित’ प्रतिनिधि ही वोट डालते हैं. वजह साफ है. दो दशक से ज्यादा वक्त से पार्टी की कमान गांधी परिवार के ही हाथ में है लिहाजा डेलिगेट्स की उनमें निष्ठा स्वाभाविक है. पीसीसी की ‘राहुल-राहुल’ राग के जरिए 3 मुख्य संदेश देने की कोशिश की जा रही है. पहला यह कि राहुल गांधी अब भी कांग्रेस में सबसे स्वीकार्य नेता बने हुए हैं. दूसरा, वोटिंग के बजाय आम सहमति के रास्ते पर चला जाए। तीसरा यह कि राहुल गांधी अगर अध्यक्ष पद के लिए मान गए तब तो कोई बात नहीं लेकिन अगर नहीं माने तब भी वह अभी के तरह पार्टी का नेतृत्व करते रहें. यानी ये संदेश कि पार्टी का नेतृत्व करने के लिए उन्हें किसी औपचारिक पद की जरूरत नहीं है, पार्टी उनके हिसाब से ही चलेगी.
-भारत एक्सप्रेस
झांसी के महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा कक्ष में शुक्रवार…
Gomati Book Festival 2024: गोमती पुस्तक मेला में पिछले वर्षों की तुलना में लगभग 30…
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नशा मुक्त भारत के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते…
हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 10,900 करोड़ रुपये के वित्तीय प्रावधान के साथ पीएम…
मास्टरकार्ड के एशिया पैसिफिक के अध्यक्ष अरी सरकार ने इस बात को हाईलाइट किया कि…
भारतीय रेलवे स्टील और खनन उद्योगों में उपयोग के लिए अफ्रीका को 20 डीजल इंजन…