दिल्ली हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति के खिलाफ दुष्कर्म सहित कई आरोप तय करने के 2021 के ट्रायल कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया और अदालत को मामले में नए सिरे से सुनवाई करने का निर्देश दिया. यह निर्देश तब जारी किए गए, जब व्यक्ति ने बताया कि आरोप तय किए जाने के समय कथित पीड़िता के मोबाइल फोन से वीडियो फुटेज से संबंधित फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (FSL) रिपोर्ट उपलब्ध नहीं थी.
जस्टिस अनूप भंभानी ने हालही में दिए फैसले में कहा इस अदालत का मानना है कि कार्यवाही में उचित कार्रवाई यह होगी कि मामले को वापस ट्रायल कोर्ट को भेजा जाए ताकि आरोप तय करने के सवाल पर नए सिरे से सुनवाई की जा सके, वीडियो-फुटेज और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डेटा पर विधिवत विचार करने के बाद. अब एफएसएल रिपोर्ट और पक्षों को सुनवाई का अधिकार दिया जाए और यदि कानून में उचित हो तो नए सिरे से आरोप तय किए जाएं.
यह मामला 2020 में दर्ज एक प्राथमिकी (FIR) से संबंधित है, जिसमें एक महिला ने एक व्यक्ति पर उसके साथ दुष्कर्म करने और उसके अश्लील वीडियो रिकॉर्ड करने का आरोप लगाया था. एफआईआर के अनुसार पुरुष और महिला ने अक्टूबर और नवंबर 2020 में शारीरिक संबंध बनाए थे. 8 अक्टूबर, 2021 को एक सत्र अदालत ने व्यक्ति के खिलाफ दुष्कर्म सहित कई आरोप तय करने का आदेश दिया.
बाद में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष अपना बयान दर्ज कराते हुए महिला ने कहा कि वह आरोपी के साथ रिश्ते में थी और उनके बीच सहमति से शारीरिक संबंध बने थे. उसने यह भी खुलासा किया कि उसके मोबाइल फोन पर मिली वीडियो फुटेज उसके डिवाइस पर ही रिकॉर्ड की गई थी.
आरोपी ने दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया, जिसमें बताया गया कि आरोप तय करने के समय शिकायतकर्ता के मोबाइल फोन से जब्त वीडियो फुटेज के संबंध में एफएसएल रिपोर्ट ट्रायल कोर्ट के समक्ष उपलब्ध नहीं थी, क्योंकि सबूत प्रयोगशाला में जांच के लिए लंबित थे. 19 मई 2022 को पेश एफएसएल रिपोर्ट ने पुष्टि की कि याचिकाकर्ता (आरोपी व्यक्ति) के मोबाइल फोन से प्राप्त डेटा में कोई चैट या अश्लील वीडियो फ़ाइल नहीं मिली, हालांकि उस फोन पर कुछ अश्लील तस्वीरें पाई गईं.
एफएसएल ने अपनी रिपोर्ट में आगे दर्ज किया था कि दूसरी ओर शिकायतकर्ता के मोबाइल फोन से प्राप्त डेटा में 29 नवंबर 2020 की एक अश्लील वीडियो फ़ाइल पाई गई थी. आरोपी ने तर्क रखा कि सत्र न्यायालय के लिए एफएसएल रिपोर्ट द्वारा अब सत्यापित वीडियो फुटेज को देखना अत्यंत प्रासंगिक है; और कम से कम, वीडियो-फुटेज के आधार पर 8 अक्तूबर 2021 के आदेश द्वारा तय किए गए आरोपों को संशोधित करना चाहिए.
-भारत एक्सप्रेस
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