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दिल्ली हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से मांगी गई जानकारी समय पर उपलब्ध कराने के लिए दिल्ली पुलिस आयुक्त से एक हैंडबुक तैयार करने को कहा

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस आयुक्त से कहा है कि वे एक हैंडबुक तैयार करें, जिसका उपयोग जांच अधिकारी (आईओ) सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से मांगी गई जानकारी समय पर उपलब्ध कराने के लिए कर सकें. जस्टिस प्रतिभा एम सिंह और जस्टिस अमित शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि कई मामलों में जांच अधिकारी इस बात से पूरी तरह अवगत नहीं हो पाते कि विभिन्न प्लेटफॉर्म से मांगी गई जानकारी किस तरह प्राप्त की जा सकती है और कई बार कीमती समय बर्बाद हो जाता है.

पीठ ने कहा, जहां तक दिल्ली पुलिस का सवाल है इस मामले को दिल्ली पुलिस मुख्यालय के पुलिस आयुक्त के पास भेजा जा सकता है, ताकि प्लेटफॉर्म के साथ समन्वय बनाया जाए. हैंडबुक तैयार करने की दिशा में कदम उठाए जा सके और सभी पुलिस स्टेशनों तक पहुंचाया जा सके, जिन्हें इन प्लेटफॉर्म से तत्काल जानकारी की आवश्यकता हो सकती है.

अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण सत्र आयोजित हो

पीठ ने कहा यदि किसी प्रशिक्षण की आवश्यकता है, तो पुलिस आयुक्त सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ बैठक कर जिम्मेदार अधिकारियों को बुला सकते हैं और पुलिस अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण सत्र आयोजित कर सकते हैं. जिससे गंभीर मामलों में अपराध को रोकने या किसी जांच के दौरान आवश्यक जानकारी प्राप्त करने के लिए प्लेटफॉर्म द्वारा उचित सहयोग, सहभागिता और समय पर जानकारी प्रस्तुत की जा सके. पीठ ने कहा है कि हैंडबुक में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से अनुरोध करने के तरीके और उनके नोडल अधिकारियों का विवरण शामिल हो सकता है.

गृह मंत्रालय को रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया

पीठ एक मां द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर विचार कर रहा था, जिसमें उसने दिल्ली पुलिस को अपने 19 वर्षीय बेटे को पेश करने का निर्देश देने की मांग की थी, जो 10 जनवरी से लापता है. दिल्ली पुलिस ने लापता लड़के के इंस्टाग्राम अकाउंट से संबंधित कुछ जानकारी के बारे में 6 सितंबर को मेटा प्लेटफॉर्म को पत्र लिखा था. पीठ ने गृह मंत्रालय (Home Ministry) को मामले में अपनी स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई 11 दिसंबर को तय की है.

12 मिनट के अंदर दी जानकारी

हाल ही में हुई सुनवाई के दौरान मेटा ने न्यायालय को सूचित किया कि उसने एक कानून प्रवर्तन ऑनलाइन अनुरोध प्रणाली स्थापित की है, जिसका उपयोग कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा डेटा प्रकटीकरण (Disclosure) के लिए अनुरोध करने के लिए किया जाता है. यह भी बताया गया कि आपातकालीन अनुरोधों के मामले में लापता बच्चों आदि के मामले में मेटा द्वारा कुछ ही मिनटों में प्रतिक्रिया दी गई है.

इसी तरह के रुख को दोहराते हुए व्हाट्सएप (Whatsapp) ने कहा कि ऐसे उदाहरण हैं जब आतंकवादी गतिविधियों से संबंधित जानकारी अनुरोध प्राप्त होने के 12 मिनट के अंदर दी गई है. वह अपने पास उपलब्ध मूल ग्राहक जानकारी प्रदान करता है, हालांकि इसके पास उपकरणों की अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल उपकरण पहचान से संबंधित जानकारी नहीं है.

गूगल ने कोर्ट को बताया कि उसने भारत सरकार के लिए कंटेंट हटाने के लिए भी एक समर्पित मंच बनाया है. इसके अलावा, रेडिट ने कोर्ट को बताया कि आसन्न मृत्यु (Imminent death) या गंभीर शारीरिक क्षति या अन्य आपात स्थितियों से जुड़ी आपात स्थिति में कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा जानकारी मांगने के लिए अलग-अलग प्रक्रियाएं हैं.

-भारत एक्सप्रेस

 

गोपाल कृष्ण

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