दिल्ली हाईकोर्ट ने जवाहरलाल नेहरू विविद्यालय (JNU) के नौ छात्रों को अंतरिम राहत प्रदान की, जिनके खिलाफ 22 अक्टूबर के फ्रेसर्स पार्टी में मारपीट करने, यौन उत्पीड़न और हिंसा में शामिल होने के आरोपों को लेकर विश्व विद्यालय से निलंबित कर दिया गया था. छात्रों ने 25 अक्टूबर को मुख्य प्राक्टर के उस आदेश को चुनौती दी है जिसके तहत उनलोगों को विविद्यालय से निलंबित कर दिया गया है. इसके अलावा तत्काल प्रभाव से दो सेमेस्टर के लिए परिसर में प्रवेश करने पर भी रोक लगा दी गई थी.
न्यायमूर्ति पुरु षेंद्र कुमार कौरव ने कहा कि विविद्यालय ने प्रभावित छात्रों को उनका पक्ष सुने बगैर निष्कासन का आदेश पारित कर दिया है. निष्कासन के आदेश में कहीं भी छात्रों के पक्ष सुनने की बात नहीं है. इस दशा में इन छात्रों को तब तक अपने छात्रावास के कमरे खाली नहीं कराया जाए जब तक कि उनके मामले की अगली सुनवाई नहीं कर लेता. उन्होंने इसके साथ ही सुनवाई 8 नवंबर के लिए स्थगित कर दी.
यह मामला कथित तौर पर जेएनयू की आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) के समक्ष लगभग 47 छात्राओं की संयुक्त शिकायत से संबंधित है. घटना 22 अक्टूबर को सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ सोशल सिस्टम्स (सीएसएसएस) की ओर से आयोगित फ्रेसर्स पार्टी के दौरान जेएनयू के कन्वेंशन सेंटर में हुई हुई थी. बताया जाता है कि कुछ छात्रों ने उस दौरान लैंगिंक भेदभाव वाले टिप्पणी की थी, जिसके बाद हाथापाई शुरू हो गई थी.
-भारत एक्सप्रेस
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