दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने राजधानी के नारायणा/मायापुरी में स्थित जलाशय के पुनरुद्धार और जीर्णोद्धार की मांग करने वाली जनहित याचिका पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिका में अधिकारियों द्वारा की गई पिछली प्रतिबद्धताओं के बावजूद जलाशय की उपेक्षा करने का आरोप लगाया गया है.
कार्यवाहक चीफ जस्टिस विभु बाखरू और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव, सह दिल्ली वेटलैंड प्राधिकरण के अध्यक्ष और अन्य संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है. कोर्ट 12 मार्च को अगली सुनवाई करेगा.
सेंटर फॉर यूथ कल्चर लॉ एंड एनवायरनमेंट नामक NGO द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि जलाशय के पुनरुद्धार में 15 वर्षों से अधिक की से कुछ नहीं किया जा रहा जिसके कारण पहले से खाली पड़ी जमीन के एक महत्वपूर्ण हिस्से पर अवैध निर्माण हो रहा है.
याची ने कहा शहर की पर्यावरणीय स्थिरता और पारिस्थितिक संतुलन के लिए ऐसे प्राकृतिक संसाधनों के महत्व को पहचानना तेजी से जरूरी है. शहर पहले से ही प्रदूषण, लू, वर्षा जल की बर्बादी, भूजल की कमी, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय संसाधनों की सामान्य हानि से जूझ रहा है. इसमें सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार दिल्ली के जल निकायों के संरक्षण और पुनरुद्धार की मांग की गई है.
याचिका में दिल्ली के कार्यकारी अधिकारियों द्वारा वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए इन महत्वपूर्ण पर्यावरणीय संसाधनों की सुरक्षा के लिए अपनी संवैधानिक और कानूनी जिम्मेदारियों को पूरा करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया गया है, साथ ही अदालत के आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए.
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-भारत एक्सप्रेस
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