मुद्दे की परख

भारत की जी20 अध्यक्षता और शिखर सम्मेलन: वैश्विक नेतृत्व और प्रभाव में एक मील का पत्थर

G-20 Presidency India : भारत ने पिछले साल 1 दिसंबर को G20 की अध्यक्षता ग्रहण की थी. उसके बाद से ही देश के विभिन्‍न शहरों में G20 की बैठकों का दौर शुरू हो गया. 9-10 सितंबर, 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में राजधानी नई दिल्ली में भारत ने G20 शिखर सम्मेलन की सफलतापूर्वक मेजबानी की. इस शिखर सम्मेलन में दुनिया की सबसे शक्तिशाली अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं के साथ-साथ विभिन्‍न संगठनों, नागरिक समुदाय और व्यावसायिक क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया. शिखर सम्मेलन को एक ऐसी ऐतिहासिक घटना के रूप में सराहा गया, जिसने वैश्विक मुद्दों पर भारत के नेतृत्व और दृष्टिकोण के साथ-साथ एक उभरती शक्ति के रूप में इसकी उपलब्धियों और आकांक्षाओं को प्रदर्शित किया.

भारत की अध्यक्षता में G20 शिखर सम्मेलन ऐसे महत्वपूर्ण समय में हुआ, जब दुनिया कई चुनौतियों का सामना कर रही थी, जैसे कि कोविड-19 महामारी, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक सुधार, डिजिटल परिवर्तन और भू-राजनीतिक तनाव. भारत ने अपनी अध्यक्षता और शिखर सम्मेलन के लिए “वसुधैव कुटुंबकम” एवं “वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर” का विषय चुना, जो बहुपक्षवाद, समावेशिता और स्थिरता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

भारत ने अपनी अध्यक्षता और शिखर सम्मेलन के लिए 3 व्यापक स्तंभ भी निर्धारित किए: उपचार, सद्भाव और आशा. इन स्तंभों के तहत, भारत का लक्ष्य महामारी के कारण उत्पन्न स्वास्थ्य और मानवीय संकट को दूर करना, वैश्विक सहयोग और एकजुटता को बढ़ावा देना, संतुलित और लचीले विकास को बढ़ावा देना, सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ाना और हरित और डिजिटल अर्थव्यवस्था में तेजी लाना है.

भारत की जी20 की अध्यक्षता और शिखर सम्मेलन ने कई ठोस परिणाम और उपलब्धियां हासिल कीं जो वैश्विक एजेंडे में भारत की प्राथमिकताओं और योगदान को प्रतिबिंबित करती हैं. कुछ बिंदुओं पर नजर:

‘नई दिल्ली डिक्लियरेशन’ को अपनाना, जिसने महामारी और उसके प्रभावों पर काबू पाने, बहुपक्षीय प्रणाली को मजबूत करने, सबसे कमजोर देशों और लोगों का समर्थन करने, सतत विकास लक्ष्यों को आगे बढ़ाने, जलवायु परिवर्तन से लड़ने, डिजिटल सहयोग, और शांति और सुरक्षा को बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने की जी20 की प्रतिबद्धता की पुष्टि की.

‘कोविड-19 पर जी20 एक्शन प्लान’ का शुभारंभ, जिसमें महामारी के लिए एक व्यापक और समन्वित प्रतिक्रिया की रूपरेखा तैयार की गई, जिसमें वैश्विक स्वास्थ्य तैयारियों और लचीलेपन को बढ़ाना, टीकों और उपचारों तक समान पहुंच सुनिश्चित करना, वित्तीय संसाधनों को जुटाना, देशों के बीच व्यापार और निवेश प्रवाह का समर्थन करना और सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों को मजबूत करना एवं विकासशील देशों के लिए कर्ज की राहत देना शामिल है.

‘मजबूत, सतत, संतुलित और समावेशी विकास के लिए जी20 फ्रेमवर्क’ का समर्थन, जिसने संरचनात्मक सुधारों, राजकोषीय स्थिरता, मौद्रिक नीति समन्वय, वित्तीय स्थिरता, गुणवत्ता के आधार पर संकट से एक मजबूत और लचीली पुनर्प्राप्ति प्राप्त करने के लिए एक रोडमैप प्रदान किया. जिसमें बुनियादी ढांचा निवेश, इनोवेशन और उत्पादकता वृद्धि, श्रम बाजार समावेशन, लैंगिक समानता और मानव पूंजी विकास पर जोर देना शामिल है.

‘जलवायु परिवर्तन पर जी20 की पहल’ की घोषणा, जिसका उद्देश्य अनुकूलन और वित्त पर महत्वाकांक्षा बढ़ाकर जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के कार्यान्वयन को बढ़ाना है. इस पहल ने निम्न-कार्बन रूट के विकास का भी समर्थन किया. जिसका उद्देश्‍य दुनिया में कार्बन को कम करना है.

G20 डिजिटल हब की स्थापना, जिसका उद्देश्य सर्वोत्तम प्रथाओं, डेटा और मानकों के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करके, डिजिटल समावेशन और साक्षरता को बढ़ावा देना, साइबर सुरक्षा और डेटा सुरक्षा को बढ़ाना, G20 सदस्यों और भागीदारों के बीच डिजिटल सहयोग और नवाचार को बढ़ावा देना, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ब्लॉकचेन और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के विकास का समर्थन करना है.

‘G20 कॉम्पैक्ट ऑन अफ्रीका’ पर मुहर लगाना, जिसका उद्देश्य अफ्रीकी संघ के एजेंडा 2063 का समर्थन करके, निवेश और व्यापार को बढ़ावा देना, क्षेत्रीय एकीकरण और कनेक्टिविटी को मजबूत करना, मानव विकास और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देना और जी20 तथा अफ्रीका के बीच साझेदारी को बढ़ाना है.

भारत की G20 की अध्यक्षता और शिखर सम्मेलन ने अन्य G20 सदस्यों और भागीदारों के साथ अपने द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभाई है. भारत ने अमेरिका के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने में दिलचस्पी दिखाई, जिसने स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक के अपने दृष्टिकोण को साझा किया और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए बोली का समर्थन किया. भारत ने जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी और यूके जैसे अन्य समान विचारधारा वाले लोकतंत्रों के साथ अपना सहयोग बढ़ाने की दिशा में भी कदम बढ़ाए हैं.

भारत ने चीन और रूस के साथ अपने संबंधों को संतुलित करने की भी कोशिश की, जो भारत के लिए महत्वपूर्ण आर्थिक और रणनीतिक साझेदार थे, लेकिन इसके हितों और मूल्यों के लिए चुनौतियां और खतरे भी थे. भारत ने चीन के साथ 2020-21 के सीमा विवाद के बीच उसके साथ व्यापार और निवेश के अवसरों को भी आगे बढ़ाया. भारत ने रूस के साथ अपने दीर्घकालिक संबंधों को बनाए रखने की भी कोशिश की, जो भारत को रक्षा उपकरणों और एनर्जी का एक प्रमुख सप्लायर था. साथ ही अफगानिस्तान में रूस का दखल और चीन के साथ उसके जुड़ाव पर अपनी चिंताओं को भी दर्शाया.

भारत की जी20 की अध्यक्षता और शिखर सम्मेलन ने विकासशील दुनिया, विशेष रूप से अफ्रीका और जी20 में कम प्रतिनिधित्व वाले अन्य क्षेत्रों की ओर से अपनी चिंताओं और आकांक्षाओं को व्यक्त करने के लिए एक मंच भी दिया. भारत ने इन देशों के लिए टीके, वित्त, प्रौद्योगिकी और बाजारों तक अधिक न्यायसंगत पहुंच की वकालत की. भारत ने संयुक्त राष्ट्र, आईएमएफ, विश्व बैंक और डब्ल्यूटीओ जैसे वैश्विक संस्थानों के सुधार का भी समर्थन किया, ताकि उन्हें 21वीं सदी की जरूरतों के प्रति अधिक लोकतांत्रिक और उत्तरदायी बनाया जा सके.

भारत की G20 की अध्यक्षता और शिखर सम्मेलन ने नई दिल्ली को वह महत्व और प्रभाव दिया है जो भारत ने अपने समकालीन इतिहास में शायद ही कभी अनुभव किया हो. इसने भारत को वैश्विक मुद्दों पर अपना नेतृत्व और दृष्टिकोण प्रदर्शित करने के साथ-साथ अपने हितों और आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने में सक्षम बनाया है. इस समिट ने भारत को अपने हितों और मूल्यों को संतुलित करते हुए प्रमुख शक्तियों और भागीदारों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने में भी सक्षम बनाया है. इस समिट ने भारत को विकासशील दुनिया की आवाज का प्रतिनिधित्व करने और अधिक समावेशी एवं टिकाऊ वैश्विक व्यवस्था पर जोर देने में भी सक्षम बनाया है.

— भारत एक्सप्रेस

उपेन्द्र राय, सीएमडी / एडिटर-इन-चीफ, भारत एक्सप्रेस

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