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Mysterious Mahavatar Babaji: ‘डेरा-डंडा उठाओ’ महावतार बाबाजी का तकिया कलाम, रजनीकांत जा चुके हैं बाबा की गुफा में

Mysterious Mahavatar Babaji: स्वामी योगानंद को उनकी किताब ‘Autobiography Of a Yogi’ के कारण आज अध्यात्म कि दुनियां में विशेष ख्याति प्राप्त है. उनकी इस किताब में देश के अनेक चमत्कारी संतों का जिक्र मिलता है. इन्हीं संतों में से एक हैं महावतार बाबाजी.

रजनीकांत जब महावतार बाबाजी के गुफा में ध्यान करने पहुंचे तो एक बार फिर बाबा जी की चर्चा नें जोर पकड़ा.  माना जाता है कि बाबा जी की उम्र लगभग 2800 साल है और वह आज भी चिर युवा लगते हैं. हिमालय पर रहने वाले महाअवतार बाबा जी के दर्शन आज तक सिर्फ गिने चुने लोगों को ही हुए हैं. और ऐसे लोगों का यह कहना है कि बाबा जी आज भी हिमालय की गुफा में ध्यानमग्न हैं.

अपने ध्यान में रहने के दौरान बाबाजी संपूर्ण संसार का विचरण कर लेते हैं. उनके पास ध्यान की अलौकिक अवस्था है. बाबा जी के अध्यात्म का स्तर इतना ऊंचा है कि उसकी कल्पना नहीं की जा सकती. अलग-अलग अध्यात्मिक महापुरुषों ने बाबा जी की शक्तियों और ज्ञान की जो व्याख्या कि है, उससे एक बात तो साफ हो जाती है कि महावतार बाबाजी ने अध्यात्म को पर्दे के पीछे रहते हुए वह दिशा दी है, जो बड़े-बड़े ऋषि मुनियों की समझ से परे है.

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शंकराचार्य और कबीर को दी है दीक्षा

महावतार बाबाजी के बारे में परमहंस योगानंद कहते हैं कि जगद्गुरु शंकराचार्य और कबीर को भी उन्होंने ही दीक्षा दी थी. लाहिड़ी महाशय के अनुसार बाबा जी के शिष्यों की एक मंडली है जो उनके साथ ही रहती है. महावतार बाबाजी के बारे में जितना कहा जाए उतना कम हैं. बस सच्चे मन से याद करने वाले की कभी न कभी वह सुनते ही हैं. आज भी लोग उनके रहस्य़मयी जीवन और उनकी खोज में हिमालय पर जाते रहते हैं.

अपरंपार है बाबा जी की लीला

बात करें महावतार बाबाजी शक्तियों की तो जहां एक ओर बाबा जी अदृश्य हो सकते हैं तो दूसरी तरफ उन्हें किसी तरह के भोजन या खाद्य पदार्थ की भी जरूरत नहीं पड़ती. माना जाता है कि बिना बाबा जी की इच्छा के कोई भी उनसे मिल नहीं सकता. बाबा जी से मिलने वालों में से एक केवलानंद का कहना था कि वे बाबा जी से दो बार मिल चुके हैं. उनके अनुसार बाबा जी को मरे हुए को जिंदा करने की शक्ति भी है.

बाबा जी किसी भी भाषा में बोल सकते हैं. लेकिन जो लोग उनसे मिले हैं वे बताते हैं कि बाबा जी आमतौर पर हिंदी में ही बात करते हैं. ‘डेरा-डंडा उठाओ’ महावतार बाबाजी का प्रिय तकिया कलाम है. माना जाता है कि लाहिड़ी महाशय को उन्होंने ही क्रिया योग में दीक्षित किया था ओर उन्हे एक गृहस्थ योगी बनने का आदेश दिया था. इसके अलावा उन्हें एक स्वर्ण महल की सैर भी कराई थी, जोकि पूर्ण रूप से सोने से ही बना था.

Rohit Rai

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