Venus in the horoscope: कहते हैं जिसका शुक्र मजबूत है वह सभी तरह के भोग-विलास के साधनों से संपन्न रहता है. दैत्यों के गुरु शुक्रचार्य को भगवान शिव जी का महान भक्त माना गया है. इनके पास मृतसंजीवनी विद्या है. ये सौंदर्य के स्वामी तथा दिव्य गुणों से युक्त हैं. शुक्र का राजनीतिक ज्ञान त्रैलोक्यविदित है. ये शुक्रनीति नामक विशिष्ट ग्रंथ के रचयिता हैं.
बात करें शुक्र ग्रह की तो इसे सभी तरह के भोग और विलासिता का कारक माना गया है. शुक्र सायंकाल में बली होते हैं. पंडित जितेंद्र तिवारी कहते हैं कि शुक्र राहू शनि बुध और मंगल का दोष शमन करते हैं. शुक्र प्रभावित जातक का भाग्योदय 25से28वें वर्ष में होता है. शुक्र को वृष और तुला राशि का स्वामी माना जाता है. शुक्र से स्त्री, व्यापार, धन आभूषण तथा वाहन सुख का विचार किया जाता है. इसलिए अगर कुंडली में शुक्र मजबूत हैं तो इस तरह के साधनों की कोई कमी नहीं रहेगी. वहीं शुक्र के कमजोर होने पर जातक का जीवन वैभवहीन रहता है.
शुक्र के बुध, शनि, राहू से जहां मैत्रीपूर्ण संबंध हैं वहीं यह सूर्य और चंद्र से शत्रुवत व्यवहार रखता है. कुंडली में शुक्र कई तरह के राजयोग भी बनाता है. ज्यादातर लोगों की कुंडली में स्वराशि या उच्च का केंद्रगत शुक्र राजयोग बनाते हैं. ये अपनी दशा यो महादशा में जातक को रंक से राजा तक बना सकते हैं. शुक्र प्रधान व्यक्ति धनवान होते हैं, क्योंकि शुक्र लक्ष्मी को अतिशय प्रिय हैं. इसलिए मां लक्ष्मी का दिन भी शुक्रवार को ही माना जाता है.
कुंडली में शुक्र बलवान हो तो ऐसे लोग अध्यापक, सरकारी अधिकारी, लेखक, कवि, संपादक, फिल्म-निर्माता, प्रकाशक, संगीतकार और बड़े कलाकार बनते हैं. मजबूत शुक्र वाले लोग वाहन के स्वामी, विलासिता के सभी सुख साधनों से युक्त और कई संपत्तियों के मालिक होते हैं.
शुक्र को मजबूत करने के उपाय
अगर आपकी कुंडली में शुक्र कमजोर है तो आप इन उपायों से उसे मजबूत कर सकते हैं. ऐसे लोगों को जायफल, मैनसिल, पीपरामूल, केशर, इलायची तथा मूली के बीज से मिश्रित जल से स्नान करना चाहिए. शुक्रवार के दिन शुक्र से संबंधित वस्तुओं श्वेतवस्त्र, चांदी, चावल, दूध, इत्र और खीर आदि का दान करना चाहिए. शुक्र ग्रह को मजबूत करने के लिए शुक्र ग्रह के मंत्र का जाप विशेष लाभकारी है. ऐसे में शुक्र के मंत्र ॐ शुं शुक्राय नम: का जाप किया जा सकता है.
रत्न से मिलता है विशेष लाभ
कुंडली का ज्योतिषिय अध्ययन करने के बाद कुछ लोगों को रत्न धारण करने की भी सलाह दी जाती है. एक या दो रती का हीरा चांदी की अंगूठी में जड़वाकर, शुक्लपक्ष के शुक्रवार को भरणी या मृगशिरा नक्षत्र में शुक्रमंत्र से प्राण प्रतिष्ठा करके मध्यमा अंगुली में धारण करना शुभ फलदायी होता है.
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