America Nuclear Bomb: साल था 1945. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ने हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए. इससे विनाशकारी तबाही हुई. अब अमेरिका एक नया परमाणु बम बनाने जा रहा है. बताया जा रहा है कि यह उस परमाणु बहुत ज्यादा शक्तिशाली होगा. अमेरिका ने बी 61-13 – बनाने की अपनी योजना की रूपरेखा बताते हुए एक बयान जारी किया है.
B61-13 360 किलोटन की क्षमता के साथ अमेरिका के शस्त्रागार में सबसे बड़े और सबसे शक्तिशाली परमाणु बमों में से एक बनने के लिए तैयार है. अनुमान लगाया गया है कि यह हिरोशिमा पर गिराए गए बम से 24 गुना अधिक शक्तिशाली होगा और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नागासाकी पर इस्तेमाल किए गए बम से 14 गुना अधिक शक्तिशाली होगा. इस अपग्रेड में अधिक रणनीतिक और लक्षित हमलों की अनुमति देने वाली आधुनिक सुरक्षा, सुरक्षा और सटीकता सुविधाएं भी शामिल होंगी.
बी 61 एक परमाणु गुरुत्वाकर्षण बम है जो 1968 से सेवा में है और पिछले कुछ वर्षों में इसके विभिन्न संस्करण विकसित हुए हैं. सबसे हालिया संस्करण, बी61-12, 2020 में तैयार किया गया था. हालांकि, इसे अमेरिकी कांग्रेस की मंजूरी और फंडिंग का इंतजार है.
अमेरिका की योजना में उसके कुछ सबसे बड़े और सबसे शक्तिशाली बमों जैसे B61-7S और B83-1S को B61-13 से बदलना शामिल है. इस कदम को एक लागत प्रभावी रणनीति के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि इससे अमेरिका के परमाणु भंडार में वृद्धि नहीं होगी. फिर भी, इसकी उच्च-उपज क्षमता के कारण इसने विवाद खड़ा कर दिया है. आलोचकों का तर्क है कि बढ़ी हुई विनाशकारी शक्ति से ज्यादा क्षति हो सकती है और अंतर्राष्ट्रीय तनाव बढ़ सकता है. B61-13 के निर्माण की अनुमानित लागत लगभग 10 बिलियन डॉलर है.
अमेरिकी रक्षा विभाग के अनुसार, B61-13 को आगे बढ़ाने का निर्णय बदलते सुरक्षा माहौल और संभावित विरोधियों से बढ़ते खतरों से प्रेरित है. हालांकि बयान में स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन माना जाता है कि मुख्य प्रतिद्वंद्वी रूस और चीन हैं, दोनों के पास महत्वपूर्ण परमाणु शस्त्रागार हैं.
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बताया गया है कि रूस के पास 4,489 परमाणु हथियार हैं, इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका के पास 3,708 और चीन के पास 410 परमाणु हथियार हैं. हालिया रिपोर्टों से पता चलता है कि तीनों देश अपने परमाणु परीक्षण स्थलों पर नई सुविधाओं और सुरंगों के निर्माण सहित अपनी परमाणु क्षमताओं का विस्तार कर रहे हैं. परमाणु हथियारों की इस बढ़ती दौड़ ने वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता के बारे में चिंताएं बढ़ा दी हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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