भारत और पाकिस्तान बतौर स्वतंत्र राष्ट्र एक साथ उभरकर सामने आए, लेकिन दोनों का सफर शुरू से ही एक दूसरे से काफी जुदा था. जहां भारत अपने क्षेत्र की एक बड़ी अर्थव्यवस्था और सुपरपावर की भूमिका में हैं, जिसके चलते विश्व में उसे एक ताकत के रूप में देखा जा रहा है, वहीं दुर्भाग्य से पाकिस्तान ने दशकों से राजनीतिक अस्थिरता और सैन्य दखल को झेलते रहा है. इन गतिविधियों के चलते पाकिस्तान का लोकतांत्रिक ढांचा कभी फल-फूल नहीं पाया. यह बात डॉक्टर शेनाज गनई जो जम्मू-कश्मीर विधानसभा के पूर्व सदस्य हैं, उन्होंने अपने एक लेख में कही है.
पाकिस्तान का राजनीतिक इतिहास सिविल और मिलिट्री जोर-आजमाइश में व्यस्त रही है. इसके चलते स्टेट और नागरिकों के बीच अक्सर अविश्वास का आलम बरकरार रहा है. पाकिस्तान न सिर्फ मौजूदा दौर में, बल्कि तारीखी तौर पर निर्वाचित नेताओं और फौज के बीच संघर्षों से जूझता रहा है. कारण यही है कि यहां लोकतांत्रिक संस्थाएं कभी मजबूत नहीं रहीं और सदैव कमोजर होती गईं.
लियाकत अली खान से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान तक, सिविलयन गवर्नमेंट और फौज के बीच पावर को लेकर संघर्ष लगातार जारी रहा है. लेखक के मुताबिक सतत सत्ता संघर्ष के चलते पाकिस्तान में संवैधानिक विकास नहीं हो पाया.
शेनाज गनई के मुताबिक लोकतंत्र के लिए पाकिस्तान का उथल-पुथल भरा रास्ता छूटे हुए अवसरों, राजनीतिक उथल-पुथल और संस्थागत संघर्षों का एक इतिहास रहा है. 1947 में इसके अस्तित्व में आने के बाद से, देश ने लगातार सैन्य तख्तापलट, भ्रष्टाचार और लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित नागरिक सरकार और शक्तिशाली फौजी स्टैब्लिशमेंट के बीच कभी न खत्म होने वाले संघर्ष को देखा है. नतीजतन, देश की लोकतांत्रिक संस्थाएं और प्रगति गंभीर रूप से प्रभावित हुई है.
लेखक कहना है कि मौजूदा सरकार (शहबाज शरीफ) मिलिट्री के प्रभाव के गढ़ को खत्म करने और अपने अधिकार का दावा करने में असमर्थ है. दुर्भाग्य से, देश की मौजूदा स्थिति गंभीर बनी हुई है, जिसमें आम लोग इस राजनीतिक कलह का खामियाजा भुगत रहे हैं. जबकि, इसके ठीक उलट भारत में लोकतांत्रिक विकास वैश्व के लिए एक प्रेरणास्रोत बना है. भारतने अपने उच्च कोटि की संस्थाओं और लोकंत्रिक मूल्यों के दम पर वाइब्रेंट डिमोक्रेसी के तौर पर खुद को स्थापित किया है. स्थायी व्यवहार के चलते ही भारत ने आर्थिक तौर पर काफी विकास किया है. मानव संसाधन विकास के मामले में भारत ने 189 देशों की सूची में 131वां स्थान हासिल किया है. जबकि, पाकिस्तान 154वे पायदान पर है. वहीं, वर्ल्ड बैंक के मुताबिक ‘इज ऑफ डूइंग बिजनेस’ के मामले में भारत का स्थान 63 है, जबकि पाकिस्तान 108 पायदान पर खड़ा है.
गौरतलब है कि लेखक ने पाकिस्तान की अस्थिरता को समूचे साउथ-ईस्ट एशिया से जोड़कर देखने की बात कही है. लेखक के मुताबिक अस्थिर पाकिस्तान से भारत समेत तमाम पड़ोसी मुल्कों के लिए सही नहीं है.
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