नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री प्रोफेसर पॉल माइकल रोमर ने भारत में डिजिटल क्रांति की सराहना की और डिजीटल साउथ के देशों को भारत के अनुभव से सीखने की सलाह दी है.
प्रोफेसर पॉल माइकल रोमर (Paul Michael Romer) ने एक इंटरव्यू में कहा कि, “मुझे लगता है कि सबसे पहली बात यह है कि डिजिटल साउथ के दूसरे देशों को खुद से कहना चाहिए कि अगर भारत ऐसा कर सकता है, तो हम भी कर सकते हैं. देशों में आत्मविश्वास और महत्वाकांक्षा होनी चाहिए कि वे कुछ ऐसा करें जो पहले कभी नहीं किया गया हो, जैसा कि भारत ने आधार नंबर बनाकर किया. इसलिए दूसरे देश भारत के अनुभव से सीख सकते हैं, लेकिन उन्हें खुद से यह भी कहना चाहिए कि हमें अमीर देशों पर निर्भर नहीं रहना हैं. हम अमीर देशों को नेतृत्वकर्ता भी नहीं बनने देना चाहेंगे, क्योंकि वे जीवन की गुणवत्ता में उस तरह के सुधार नहीं ला पाएंगे जो हम अपने नागरिकों के लिए वास्तव में चाहते हैं.”
प्रोफेसर पॉल माइकल रोमर इंटरव्यू में कहते हैं, “खैर, यही बात भारत में डिजिटल क्रांति (Digital Revolution) को इतना दिलचस्प बनाती है, कि इसका इस्तेमाल सरकार द्वारा वास्तव में समाज के सभी सदस्यों को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया है. इसने सिर्फ़ कुछ भाग्यशाली लोगों को ही लाभ नहीं पहुँचाया है, और मुझे लगता है कि यह दुनिया भर के ज़्यादातर दूसरे देशों से बहुत अलग है. इसलिए मुझे लगता है कि भारत में मिली सफलता अनोखी है और दूसरे देश इससे सीख सकते हैं.”
पॉल माइकल कहते हैं, “सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण है, और यही भारतीय सफलता से सीख है. अमेरिका में, पश्चिम में, हमारे पास आम तौर पर बहुत अधिक हस्तक्षेप रहित बाजार समाधान है, और सरकार और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग के बिना, हमने इन अन्य देशों में जो देखा है वह यह है कि डिजिटल क्रांति ने वह लाभ नहीं पहुंचाया जो इससे हो सकता था, जिसकी हममें से कई लोगों ने इन नई प्रौद्योगिकियों (Technologies) के आने पर सबसे पहले उम्मीद की थी.”
पॉल माइकल रोमर एक अमेरिकी अर्थशास्त्री और नीति उद्दमी हैं. वह बॉस्टन कॉलेज में अर्थशास्त्र के प्रोफ़ेसर हैं. उन्हें 2018 में विलियम नॉर्डहॉस के साथ अर्थशास्त्र में नोबेल मेमोरियल (Nobel Memorial) पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्हें यह पुरस्कार दीर्घकालिक आर्थिक विकास और तकनीकी नवाचार के साथ इसके संबंध को समझने में उनके योगदान के लिए दिया गया था. इसके अलावा वह अक्टूबर 2016 से जनवरी 2018 तक World Bank में मुख्य अर्थशास्त्री (Chief Economist) भी रहें हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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