अपने कॉर्पोरेट जैवविविधता संरक्षण कार्यक्रम “तमुरा” के तहत क्रास्नोयार्स्क क्षेत्र के उत्तर में 2024 में पांच खोजी मिशनों को अंजाम देने वाली रूस की तेल कंपनी रोसनेफ्ट ने वहां चिड़ियों की 60 दुर्लभ प्रजातियों की खोज की है. साथ ही उसने ध्रुवीय भालुओं और जंगली बारहसिंगा की गिनती भी की है.
शीर्ष रूसी शोध संस्थानों के वैज्ञानिकों ने रोसनेफ्ट के आर्कटिक रिसर्च सेंटर के विशेषज्ञों के साथ मिलकर पश्चिमी तैमिर प्रायद्वीप में ध्रुवीय भालू की कारा प्रजाति, जंगली बारहसिंगा और पक्षियों की दुर्लभ प्रजातियों का अध्ययन किया. इस सर्वेक्षण में लगभग 17,000 किलोमीटर की उड़ान और पानी पर 3,000 किलोमीटर से अधिक की यात्रा शामिल थी.
रूसी विज्ञान अकादमी के ए.एन. सेवर्टसोव इंस्टीट्यूट ऑफ इकोलॉजी एंड इवॉल्यूशन (IEE) के शोधकर्ताओं ने येनिसे नदी के मुहाने पर ब्रेखोव्स्कीख द्वीपों में रहने वाले दुर्लभ पक्षियों का अध्ययन किया. वैश्विक स्तर पर पक्षी विज्ञान के लिहाज से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में दर्ज 60 प्रजातियों में पेरेग्रीन फाल्कन, ब्रेंट गूज, ब्लैक स्कॉटर और लंबी पूंछ वाली बत्तख के साथ-साथ साइबेरियाई चिफचैफ, रेडविंग और डस्टी थ्रश भी शामिल थे.
शोधकर्ताओं ने प्रत्येक झुंड की आकार और प्रजातियों की विविधता को स्पष्ट करने के लिए बेविक स्वान, गीज़, बत्तख और सीगल की गतिविधियों को रिकॉर्ड किया. आईईई विशेषज्ञों ने बर्फ रहित अवधि के दौरान तैमिर के उत्तर-पश्चिमी तट और कारा सागर द्वीपों पर ध्रुवीय भालुओं की गणना भी की, जिसमें उनकी संख्या 50 पाई गई.
जंगली भालुओं के मौसमी प्रवास और गतिविधि की निगरानी करने तथा उनके प्रसूति मांद और भोजन प्राप्त करने के क्षेत्र का अध्ययन करने के लिए उनमें से कई पर सैटेलाइट रेडियो टैग वाले ट्रांसमीटर लगाए गए थे. मादाओं के साथ रूस में पहली बार नर ध्रुवीय भालुओं पर भी रेडियो टैग लगाए गए थे. टीम के समक्ष 2025 में एक महत्वपूर्ण कार्य ध्रुवीय भालुओं की कारा प्रजाति की हवाई गणना का है. रूस में पहली बार इस तरह की पूर्ण गणना होगी.
“तमुरा” कार्यक्रम के हिस्से के रूप में, रोसनेफ्ट ने साइबेरियाई संघीय विश्वविद्यालय के साथ मिलकर जंगली बारहसिंगों की आबादी का अपना बहु-वर्षीय अध्ययन जारी रखा है. इस वर्ष, उन्होंने पियासिना नदी और उसकी प्रमुख सहायक नदियों के किनारे 1,000 किमी से अधिक की यात्रा की और 3,60,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में हवाई अवलोकन किए.
सिबिर्याकोव द्वीप पर कम से कम 100 बारहसिंगों का एक समूह पाया गया, और पानी में बारहसिंगा के 12 किलोमीटर तैरने की एक अनूठी घटना भी दर्ज की गई. अभियान के दौरान, बारहसिंगा की आबादी की दूर से निगरानी के लिए उन्हें सैटेलाइट ट्रांसमीटरों से टैग किया गया. शोधकर्ताओं ने क्षेत्र की प्रमुख पशु प्रजातियों की स्थिति और उनके जैव संकेतकों के बारे में जानकारी अपडेट करने के लिए एक नए चार वर्षीय “तमुरा” अनुसंधान कार्यक्रम की भी घोषणा की.
नए डाटा के आधार पर, वैज्ञानिक पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिति पर निष्कर्ष पर पहुंच सकेंगे और आर्कटिक क्षेत्र की जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए बेहतर उपाय तैयार करने में सक्षम होंगे. पारिस्थितिकी और जैव विविधता संरक्षण पर विशेष फोकस के साथ चार वर्षों में 10 अभियान चलाए जाएंगे. यह सोवियत काल के बाद से आर्कटिक क्षेत्र का सबसे विस्तृत और व्यापक अध्ययन होगा.
शोधकर्ताओं ने रूसी आर्कटिक में जीवित जीवों का जीनोम डेटाबेस बनाने की एक अनूठी परियोजना के बारे में भी बात की. यह रोसनेफ्ट, इनोप्रैक्टिका और बायोटेक्नोलॉजी कैंपस के बीच एक संयुक्त परियोजना है. इसकी प्राथमिकता वाली गतिविधियों में से एक ध्रुवीय भालू के सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले जीनोम का डिजिटल रिफ्रेंस तैयार करना है. इस दौरान प्राप्त डाटा से न केवल उनकी आबादी की स्थिति का आकलन करने में मदद मिलेगी, बल्कि यह इसके आकार का अनुमान लगाने और संरक्षण योजनाएं तैयार करने में भी सहायक होगा.
-भारत एक्सप्रेस
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